मुख्यमंत्री ने गजेन्द्र तिवारी के उपन्यास के विमोचन के दौरान किया गवाह का खुराक भत्ता बढ़ाने का ऐलान

मुख्यमंत्री ने उनके षीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए कहा कि यह उपन्यास देष की न्यायिक व्यवस्था सहित सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक विशयों पर केन्द्रीत है;

Update: 2018-04-10 15:43 GMT

बागबाहरा। मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह ने दिनांक 08 अप्रैल 2018 की षाम को अपने निवासी कार्यालय में अदालत की पृश्ठभूमि पर व्यंग्यात्मक शैली में लिखे गये 515 पृष्ठीय उपन्यास ''ब्लैक होल डी इंडिका का विमोचन गरिमामय समारोह में किया। उल्लेखनीय है कि उपन्यास लेखक महासमुन्द जिले के बागबाहरा निवासी सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार गजेन्द्र तिवारी अस्वस्थ होने के कारण इस अवसर पर स्वत: उपस्थित नहीं हो सके।

मुख्यमंत्री ने उनके षीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए कहा कि यह उपन्यास देष की न्यायिक व्यवस्था सहित सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक विशयों पर केन्द्रीत है। उन्होंने कहा कि विसंगतियों को दूर करने के लिए सकारात्मक सोच और ऊर्जा की आवष्यकता होती है।    

उपन्यास लेख के अनुज एवं किताब के संपादक रिटायर्ड जिला जज सुरेन्द्र तिवारी ने उपन्यास के एक अंष का उल्लेख करते हुए गहवा के खुराक भत्ते की अपर्याप्त की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्शित करते हुए कहा कि डाइट- मनी की दर षासन द्वारा निर्धारित दैनिक मजदूरी की दर से कम नहीं होनी चाहिए।

यदि दैनिक डाइटमनी की वर्तमान दर को 100/- से बढ़ाकर 234/- कर दिया जाता है तो यह उपन्यास लेखक के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक बेहतर तरीका होगा। इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में समारोह में उपस्थित विधि सचिव  रविशंकर शर्मा को अविलंब कार्यवाही करने का निर्देष देकर अपनी संवेदनषीलता और विसंगति को दूर करने के दृढ़ संकल्प का सराहनीय परिचय दिया, जिसका तल ध्वनि से स्वागत किया गया।
    

समारोह को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक ने उपन्यास की मीमांषा करते हुए इसे इक्कीसवीं सदी में अब तक लिखे गये उपन्यासों में से सर्वश्रेश्ठ होना निरूपित किया गया।

छ.ग. के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं साहित्य मर्मज्ञ डॉ. सुशील त्रिवेदी ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि विधायिका और कार्यपालिका पर तो कई व्यंग्य लिखे गए हैं, किन्तु न्यायपालिका पर व्यंग्यात्मक षैली में लिखा गया यह सबसे बड़ा उपन्यास है, जिसमें अदालती भाशा को साहित्यिक भाशा में परिवर्तित कर दिया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस उपन्यास में व्यंग्य की तिलमिलाहट के साथ रूमानियत का लड़का भी है, जो पाठक को बांधे रखता है। उपन्यासकार के साहित्यिक अवदान का काव्यात्मक षैली में परिचय देते हुए विमोचन समारोह के आयोजनकर्ता छत्तीसगढ़ साहित्य मंडल के अध्यक्ष इंजीनियर अमरनाथ त्यागी ने कहा कि यह उपन्यास जीवन के इंद्रधनुशी रंगों को निगलने वाले महाषून्य की गाथा है।

न्यायाधीषगण, अधिवक्तागण, साहित्यकारों, अधिकारियों एवं गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन उपन्यासकार के इंजीनियत पुत्र वीरेन्द्र तिवारी ने किया।

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