नागरिकों की पहचान के काम में विश्वसनीयता बरती जानी चाहिये: कांग्रेस

असम में भारतीय नागरिकों के नाम वाले एनआरसीका पहला मसौदा जारी होने पर कांग्रेस ने आज कहा कि इस काम में किसी भी तरह का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।;

Update: 2018-01-01 17:59 GMT

नयी दिल्ली।  असम में भारतीय नागरिकों के नाम वाले राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का पहला मसौदा जारी होने पर कांग्रेस ने आज कहा कि इस काम में किसी भी तरह का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां जारी एक बयान में कहा कि नागरिकों की पहचान के काम में पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता बरती जानी चाहिये और पूरी जिम्मेदारी के साथ हर नागरिक की जांच-पड़ताल की प्रक्रिया होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस कार्य में किसी नागरिक को दस्तावेजों के बहाने प्रताड़ित करने या उनके उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। कांग्रेस पार्टी समाज के सभी वर्गों के साथ न्याय की पक्षधर है और इस कार्य में असम के किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव स्वीकार नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई तथा असम गण परिषद के नेताओं के साथ एनआरसी के काम की प्रक्रिया शुरू की जायेगी। यह कार्य दिसम्बर 2013 से उच्चतम न्यायालय की निगरानी में चल रहा है और इसका पहला मसौदा 31 दिसम्बर की आधी रात को प्रकाशित किया गया। 

असम में एनआरसी का पहला मसौदा जारी किया गया है और इसमें सिर्फ 1.9 करोड़ लोगों को ही अब तक भारत का वैध नागरिक माना गया है। बाकी लोगों के नाम पंजीयिका में चढ़ाने के लिए उनके नाम का सत्यापन विभिन्न चरणों में किया जाना हैं।

एनआरसी का मसौदा वर्ष 2018 को पूर्ण रूप से बनकर तैयार किया जाना है। इससे पहले वर्ष 1951 में यह पंजिका तैयार की गयी थी। असम में अवैध प्रवासियों को ढूंढने का काम चल रहा है।
 

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