छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के एक साल पूरे
छत्तीसगढ़ सरकार के कुपोषण मुक्ति की पहल पर राज्य में पिछले वर्ष दो अक्टूबर से शुरू हुए प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को एक साल पूरा हो गया है;
रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकार के कुपोषण मुक्ति की पहल पर राज्य में पिछले वर्ष दो अक्टूबर से शुरू हुए प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को एक साल पूरा हो गया है और इस अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं।
छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया ने एक बयान में कहा कि अभियान के तहत विभिन्न योजनाओं के एकीकृत क्रियान्वयन और समन्वित प्रयासों से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है तथा कुपोषित बच्चों में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है। योजना के शुरू होने के दौरान राज्य में लगभग चार लाख 92 हजार बच्चे कुपोषित थे , जिनमें 67 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बहुत ही कम समय में ही प्रदेश में कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी आई है तथा यह एक बड़ी उपलब्धि है जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व और उनकी दूरदर्शी सोच की वजह से फलीभूत हुआ है।
श्रीमती भेड़िया ने कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद होने पर भी बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के माध्यम से राज्य के 51,455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 28,78,000 हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया गया है।
उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने लॉकडाउन के समय से कोरोना वारियर्स की तरह काम कर रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी उन्होंने सफलता के लिए बधाई देते हुए कहा कि कुपोषण से जंग लंबी है, लेकिन सबके सहयोग से सुनिश्चत रूप से जीत हासिल होगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बताया कि विभाग हितग्राहियों को लाभान्वित करने निरंतर उन तक पहुंच रहा है। विश्व बैंक ने भी प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कोरोना वायरस के नियंत्रण के साथ ही टेक होम राशन वितरण कार्य की प्रशंसा की है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार छत्तीसगढ़ में पांच वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे। कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ‘ की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की। अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया। राज्य के
नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गयी। आगामी तीन वर्षों में राज्य को कुपोषण मुक्त कराने के लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य और अन्य विभागों का समन्वित प्रयास जारी है।