डॉ. देवांगन के खिलाफ आरोप प्रमाणित नहीं, बरी
उतावलेपन पर उपेक्षापूर्ण ढंग से घर पर ही प्रसव कराने की वजह से नवजात शिशु की मृत्यु होने के मामले में आरोपी डाक्टर अरूण देवांगन को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कु. मोहनी कंवर की अदालत;
राजनांदगांव। उतावलेपन पर उपेक्षापूर्ण ढंग से घर पर ही प्रसव कराने की वजह से नवजात शिशु की मृत्यु होने के मामले में आरोपी डाक्टर अरूण देवांगन को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कु. मोहनी कंवर की अदालत ने आरोप प्रमाणित न होने पर बरी कर दिया है। प्रकरण का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि ओवर ब्रिज के पास रहने वाले ढालसिंह चंदेल ने उसके घर के सामने धमार्थ चिकित्सालय के डाक्टर अरूण देवांगन पर आरोप लगाया था कि 28 मार्च 2005 को उसकी पत्नी श्रीमती मधु चंदेल को सुबह नौ बजे प्रसव दर्द हुआ। वह उसे क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहा था कि उसी समय अरूण देवांगन वहां पहुंचा और उससे कहा कि अस्पताल मत जाओ मैं घर पर ही प्रसव करा दूंगा।
ऐसा कहकर उसने मधु चंदेल को 5-7 इंजेक्शन लग? दिया। शाम को चार बजे उन्होंने मधु का पेट दबा-दबाकर बच्चे को बाहर निकाला और कहा कि बच्चे को तत्काल शिशु रोग विशेषज्ञ के पास ले जाओ। वे बच्चे को लेकर डा. नरेन्द्र गांधी के पास पहुंचे किन्तु बच्चा बच नहीं पाया।
उतावलेपन एवं उपेक्षा पूर्ण ढंग से प्रसव कराने की वजह से शिशु की मृत्यु का आरोप लगाते हुए ढालसिंह ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायी। कोतवाली पुलिस ने इस मामले में धारा 304 (क) भादंसं के तहत न्यायालय में अभियोग पत्र पेश किया किन्तु डाक्टर अरूण देवांगन पर लगे आरोप प्रमाणित नहीं हुए और उन्हें समस्त आरोपों से दोषमुक्त कर दिया गया।