सरकार के लिए जश्न, आदिवासियों के लिए मृत्यु दिवस
जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण कर जश्न मना रहे होंगे, उसी समय इस इलाके के आदिवासी मृत्यु दिवस मनाएंगे;
नई दिल्ली। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण कर जश्न मना रहे होंगे, उसी समय इस इलाके के आदिवासी मृत्यु दिवस मनाएंगे। इस दिन ना कोई बच्चा स्कूल जाएगा, ना ही कोई आदिवासी बाजार, यहां तक कि इस दिन किसी भी आदिवासी परिवार में खाना भी नहीं बनाया जाएगा, आम तौर पर ऐसा आदिवासी उस वक्त करते हैं, जब उनके घर में किसी की मौत हो जाए। सरकार की इस परियोजना के विरोध में इस इलाके के 72 गांवों के 75 हजार आदिवासी शामिल हैं।
कभी नरेन्द्र मोदी और भाजपा के साथ खड़ रहने वाले ये आदिवासी अचानक विरोध में खड़े हो गए, क्योंकि आदिवासी मानते हैं, सरकार की यह योजना उनके विनाश पर खड़ी है, इसके लिए उनकी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है, साथ ही बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होने वाला है। यह पूरा इलाका शिड्यूल-5 के अंतर्गत आता है, पेसा कानून के तहत आदिवासी बहुल किसी भी इलाके में कोई भी निर्णय ग्रामसभा की स्वीकृति नहीं लिया जा सकता। यहां जब ग्रामसभा से इस संबंध में राय ली गई, तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया। सरकार ने ग्रामसभाओं के इस प्रस्ताव को कलेक्टर के पास भेज दिया, जिससे वे उन पर दबाव डालकर इसे पास करा सकें। आदिवासी नेता प्रफुल्ल वसावा का आरोप है, कि कलेक्टर जब अपने मकसद में कामयाब नहीं हुए, तो उन्होंने इन प्रस्तावों को रद्दी की टोकनी में डालकर जमीन पर कब्जा करने की कोशिश शुरु की गई। वे बताते हैं, कि केवडिया की जिस टेकरी पर इस स्टेच्यु का निर्माण किया जा रहा है, वहां वरता बाबा का स्थान था, जहां आदिवासी पूजा किया करते थे। जमीन अधिग्रहण से पहले एक रात अचानक पुलिस आई और टेकरी से यह स्थान हटा दिया गया, आदिवासी के सारे पूजा स्थान तोड़ दिए गए। कुछ दिन बाद इस स्थान का चयन स्टेच्यु के लिए किया गया। आदिवासी इस परियोजना का विरोध साल 2010 से कर रहे हैं, आज भी इस इलाके के तमाम सरपंचों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस कार्यक्रम में न आने का अनुरोध किया है। वसावा कहते हैं, कि हमारा विरोध सरदार पटेल से नहीं हैं, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधा, पर भाजपा अपनी हर परियोजना देश को तोड़ने के लिए बनाती है, वह इस परियोजना के बहाने इस इलाके के आदिवासियों और पाटीदारों को आमने-सामने कर रही है।