अक्टूबर के अंत तक सावधानी जरूरी

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने जलजनित बीमारियों के नियंत्रण के लिए सभी संबंधित संस्थाओं के प्रयासों की सरहाना के साथ हिदायत दी है कि अक्टूबर के अंत तक सावधानी जरूरी है;

Update: 2017-09-13 17:02 GMT

नई दिल्ली।  दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने जलजनित बीमारियों के नियंत्रण के लिए सभी संबंधित संस्थाओं के प्रयासों की सरहाना के साथ हिदायत दी है कि अक्टूबर के अंत तक सावधानी जरूरी है। उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि स्वास्थ्य विभाग इस वर्ष के अपने अनुभवों से सीख लेकर एक दस्तावेज और संशोधित कार्य योजना तैयार करे ताकि अगले वर्षों में जलजनित बीमारियों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके। 

स्वाइन फ्लू के प्रसार पर चिंता जताते हुए उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि वह नैशनल सैंटर फार डिजिज कन्ट्रोल के विशेषज्ञों के साथ इन्फ्लूयंजा वायरस के वर्तमान गंभीरता प्रबंधन और रोकथाम के लिए समन्वय कर दिशा निर्देश तैयार करें। स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त महानिदेशक ने एक प्रजेंटेशन प्रस्तुत कर बताया कि पिछले दो वर्षों की तुलना में इस वर्ष डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में कमी आई है। 

उन्होंने बताया कि नौ सितम्बर तक डेंगू के मामले 2015 में 15867, 2016 में 4431 और 2017 में 829 हैं। इसी प्रकार चिकनगुनिया के मामले 2016 में 7750 और 2017 में 259 रहे हैं। उपराज्यपाल को अधिकारियों ने बताया कि पिछली बैठक के निर्देशानुसार सभी हितधारक जनसामन्य को जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर सूचना, शिक्षा और संचार की गतिविधियों को अखबार में विज्ञापन, पम्पलैट वितरण, रेडियो आदि से प्रचार कर रहे हैं।
 विभिन्न समूहों व सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि के प्रशिक्षण के लिए एक अभियान भी आयोजित किया गया। इसके अतिरिक्त सभी 11 जिलों के उपायुक्तों के कार्यालयों में प्रत्येक रविवार को जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता    है। 

अधिकारियों ने दावा किया कि सभी अस्पतालों में चिकनगुनिया और डेंगू से संबंधित दवाइयां और अन्य वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं इसके अतिरिक्त 998 बिस्तर बुखार के रोगियों के लिए रखे गए हैं। इस साल यह संख्या 75 प्रतिशत अधिक है। मौसमी इन्फ्लूयंजा एच1 एन 1, स्वाइनफ्लू की प्रवृत्ति तैयारियों और बचाव आदि से अवगत करवाते हुए कहा कि अगस्त महीने में एच.1 एन.1 के मामले में ज्यादा बढ़ोतरी होती है लेकिन पिछले एक सप्ताह से इसमें कमी आई है और 2009 की तुलना में इस वर्ष का वायरस अधिक घातक होने के कारण पूरे भारत में इसका अनुपात बढ़ा है। समीक्षा बैठक में उपराज्यपाल अनिल बैजल के अलावा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। 

डीडीए के समाज सदन आवंटन नीति में संशोधन को उपराज्यपाल ने दी मंजूरी

दिल्ली के उप राज्यपाल और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अध्यक्ष अनिल बैजल की अध्यक्षता में राज निवास में आयोजित डीडीए की बैठक में कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला लिया गया है। इनमें डीडीए के समाज सदनों के आबंटन की नीति को पूर्ववर्ती नीति के अनुसार संशोधित किया गया है। गौरतलब है कि कुछ संगठनों ने डीडीए के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए उन्हें आबंटित किए गए समाज सदनों का दुरुपयोग किया था लिहाजा उनके आबंटन रद्द कर दिए गए थे। संशोधित नीति के अनुसार आवासीय स्कीमों की चारदीवारी के अंदर के समाज सदन के आबंटन में पॉकेट के नागरिक कल्याण संघ (आर.डब्ल्यू.ए.) को तभी प्राथमिकता दी जाएगी अगर आबंटितियों द्वारा निर्माण लागत में भागीदारी की हो। 

तथापि अगर आर.डब्ल्यू.ए. की ऐसी इच्छा न हो तो इन समाज सदनों को अन्य आवेदकों को लाइसेंस शुल्क आधार पर आबंटित किया जाएगा। गैर सरकारी संगठनों (एन.जी.ओ.) के अलावा सरकारी, अर्ध सरकारी, क्षेत्र में सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होने वाली स्वायत्त निकाय जैसी पंजीकृत समितियां समाज सदन के आबंटन के लिए पात्र होंगी। अगर किसी क्षेत्र में एक से अधिक आर.डब्ल्यू.ए.हैं, उनमें मूल्यांकन का मानदंड शामिल किया गया है। समाज सदन लाइसेंस आधार पर तीन वर्ष की अवधि के लिए आवंटित किए जाएंगे, जिसे इसके आगे दो वर्ष की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। वाचनालय, पुस्तकालय, जिम, इंडोर गेम्स, इंटरनेट कियोस्क, योगा, हॉबी कोर्स, संगीत कार्यक्रम, परफोरमेंस आर्ट, फिल्म फैस्टिवल,  प्रदर्शनी, मैजिक शो,  सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यकलाप आदि विद्यमान कार्यकलापों के अतिरिक्त कौशल विकास अथवा किसी अन्य कल्याणकारी कार्यकलापों जैसे नए कार्यकलापों को शामिल किया गया है। आवेदन-पत्र सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत पंजीकृत होने चाहिए और इन्हें डीडीए में पंजीकृत कराना होगा ।

1000 वर्ग मीटर तक के प्लाटों पर निर्मित गैर वातानुकूलित (नॉन एयर कंडीशंड) समाज सदनों के लिए देय लाइसेंस फीस 2000 रुपये प्रति माह होगी तथा एयर कंडीशंड समाज सदनों के लिए 4000 रुपये प्रति माह होगी। 1000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले प्लाट पर निर्मित समाज सदनों के लिए यह लाइसेंस फीस क्रमश:  4000  रुपये प्रति माह और 8000 रुपये प्रतिमाह होगी। तीन वर्ष की आरंभिक लाइसेंस अवधि के बाद लाइसेंस फीस में इसके बाद अधिकतम दो वर्ष की अवधि के लिए वार्षिक आधार पर 10: प्रति वर्ष की दर से वृद्धि की जाएगी ।  एक मंजिला/द्विमंजिला समाज सदनों का आबंटन, क्षेत्रीय मुख्य अभियंताओं द्वारा किया जाएगा तथा बहु-उद्देश्यीय, बहुमंजिला समाज सदनों का आबंटन एक समिति द्वारा किया जाएगा। प्रति वर्ष प्रति सदस्य रु. 1000 से अधिक नहीं तथा प्रति सदस्य रु. 100 से अधिक नहीं मासिक अंशदान तथा प्रत्येक आश्रित से रु. 50 का प्रभार लिया जाएगा। अतिरिक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए इन शुल्कों में  संशोधन किया जाए। सदस्यों के अतिथिगण भी भुगतान के आधार पर इन सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं। अतिथि प्रत्येक प्रति प्रवेश पर 10 रुपये से अधिक नहीं होगा। 
 

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