कुर्सी बचाने, मित्रों पर लुटाने वाला बजट : कांग्रेस

कांग्रेस ने बुधवार को वर्ष 2024-25 के बजट को ‘कुर्सी बचाने’ के लिए ‘मित्रों’ पर मेहरबान बजट करार दिया जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के बजट का आकार चार गुना कर दिया है;

Update: 2024-07-24 22:44 GMT

नई दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को वर्ष 2024-25 के बजट को ‘कुर्सी बचाने’ के लिए ‘मित्रों’ पर मेहरबान बजट करार दिया जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के बजट का आकार चार गुना कर दिया है और देश के सर्वांगीण विकास की रफ्तार बढ़ा दी है।

आम बजट 2024-25 पर लोकसभा में चर्चा आरंभ करते हुए कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने कहा कि इस साल का बजट कुछ पर मेहरबान है तो कुछ तो दरबान बनाने वाला है। जिन पर मेहरबानी की है उन्हें दिल खोल कर दिया है और बाकियों को दरवाजे पर खड़ा कर दिया है।

उन्होंने कहा,“ मोदी सरकार ने कृषि बजट का आकार घटा दिया है। जो कृषि बजट दो दशक पहले जीडीपी का 4.97 प्रतिशत था जो अब 2.74 प्रतिशत रह गया है। कृषि उपज का न्यूनतम मूल्य तय करते समय स्वामीनाथन का फार्मूला भूल गये हैं। हमारे समय गेहूं की एमएसपी 119 प्रतिशत बढ़ायी गयी लेकिन मोदी सरकार ने गेहूं की एमएसपी 47 प्रतिशत और धान की एमएमपी 50 प्रतिशत बढ़ायी।”

सुश्री सैलजा ने कहा,“ ये पूंजीपतियों के मित्र हैं और किसानों के दुख को नहीं समझते। हमारी सरकार ने 72 हजार करोड़ रुपए का किसानों का ऋण माफ किया था और मोदी सरकार ने 16 लाख कराेड़ रुपए का उद्योगपतियों का ऋण माफ किया है। आज हर किसान पर 35 लाख रुपए का कर्ज है। मौजूदा सरकार ने किसान को मजबूर और मजदूर बना दिया है।”

उन्हाेंने फसल बीमा योजना के खराब क्रियान्वयन का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले साल बीमा कंपनियों को फसल बीमा योजना में 36 लाख करोड़ रुपए प्रीमियम मिला है लेकिन दावे नहीं निपटाये नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भी शंभु बार्डर पर किसान बैठा है। सरकार बात करने को तैयार नहीं है। अपने किसानों को आतंकवादी कह रही है। आखिर किसान क्या मांग रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी की लीगल गारंटी नहीं देती तब तक किसानों के साथ न्याय नहीं हो सकता है। किसान को मजबूर मजदूर बना कर भारत काे विकसित नहीं बनाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि बजट भाषण में वित्त मंत्री ने मनरेगा का नाम नहीं लिया, उन्हें इस बात का दुख है। कोविड महामारी के मुश्किल वक्त में मनरेगा ने ही स्थिति को संभाला था। लेकिन आज मजदूर और दयनीय हो गया है। उन्होंने मांग की कि न्यूनतम मजदूरी 400 रुपए होनी चाहिए।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को गरीब का ख्याल रखना चाहिए। उसकी नीतियों से अमीर और अमीर बन रहे हैं । गरीब आदमी महंगाई से मजबूर हो रहा है। उन्होंने भाजपा की नेता प्रतिपक्ष रहीं श्रीमती सुषमा स्वराज काे उद्धृत करते हुए कहा कि आंकड़ों से पेट नहीं भरता है। महंगाई बढ़ती जा रही है, सब्जियां महंगी होती जा रही हैं। आटे दाल का भाव पता रहना चाहिए। शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। सरकारी प्राथमिक स्कूल बंद होते जा रहे हैं।

बेरोज़गारी की समस्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,“ बजट बनाने के से पहले हमारे घोषणाापत्र में पहली नौकरी पक्की का हमारा वादा तो पढ़ लेते। रेलवे, रक्षा सेवा में भर्ती बंद हैं। राज्यों में खाली पदों में भर्ती नहीं की जा रही है। सेना में भर्ती की अग्निवीर योजना के खोखले पन का खुलासा कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सदन में किया है। यह सेना के साथ और हमारे नौजवानों के साथ नाइंसाफी है। अग्निवीर योजना को खत्म कर देना चाहिए।”

सुश्री सैलजा ने कहा कि छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं दी जा रही है जबकि गरीब दलित आदिवासी छात्रों को इसी का सहारा है। यह नहीं भूलना चाहिए कि बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर ने भी छात्रवृत्ति से पढ़ाई की थी। छात्रवृत्रि का पैसा अनुसूचित जाति जनजाति के आवंटन को गौशालाओं के लिए खर्च किया जा रहा है।

उन्होंने सरकार को उलाहना देते हुए कहा, “हमारे आइडियाज़ ले लें तो देश को फायदा हो जाएगा। गुरुग्राम और फरीदाबाद की बदहाली पर अपनी सरकार के मंत्रियों की बात ही सुन लीजिये । बजट में वल्लभगढ़ मेट्रो , हिसार अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे, गोरखपुर परमाणु संयंत्र के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। चुनाव में आपको युवा महिला,किसानों अग्निवीरों ने दंडित किया है। लेकिन आप ये समझ नहीं पा रहे हैं।” उन्होंने मांग की, “अग्निवीर योजना समाप्त करो, 400 रुपए न्यूनतम मजदूरी करो।”

कांग्रेस ने कहा कि यह बजट ऐसा है कि कुर्सी को बचाओ, मित्रों पर लुटाओ।

भाजपा के विप्लब देव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसे समय देश की कमान संभाली जब भारत की अर्थव्यवस्था को फ्रेजाइल पांच के अंतर्गत गिना जाने लगा था। लेकिन श्री मोदी ने अपनी सूझबूझ से पारदर्शी एवं ईमानदार प्रयासों से अर्थव्यवस्था को उबार लिया और आज कोरोना के बाद सात प्रतिशत तक विकास दर पर देश को ले आये हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय देश का बजट 16 लाख करोड़ रुपए का होता था, वह आज 48 लाख करोड़ रुपए से पार हो गया है। पूंजीगत व्यय में 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है इससे बुनियादी ढांचा मजबूत होगा और रोज़गार बढ़ेगा।

श्री देव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बजट के माध्यम से पांच साल में 4.1 करोड़ युवाओं को रोज़गार देने की बात कही है। विश्व की टॉप 500 कंपनियों में इंटर्नशिप एक करोड़ युवाओं को मिलेगी। जापान, कोरिया और चीन के बाद भारत में कौशल विकास पर जोर दिया जा रहा है। युवाओं को रोज़गार भी मोदी की गारंटी है जो इस बजट से पूरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि बजट में शिक्षा पर 1.08 लाख करोड़ रुपए खर्च किये जाने का प्रावधान किया गया है। किसानों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए एवं खाद पर सब्सिडी के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सरकार ने बजट में महिलाओं के लिए तीन लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

श्री देव ने कहा कि संविधान की बात करने वाली कांग्रेस ने कुल 70 बार अनुच्छेद 356 लगा कर चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त करके लोकतंत्र की हत्या की है। कांग्रेस के 10 साल के शासन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह असम से राज्यसभा सांसद चुने जाने के बावजूद कभी पूर्वोत्तर के दौरे पर नहीं आये। जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में मंत्रियों के 700 और प्रधानमंत्री के 90 दौरे हुए हैं।

समाजवादी पार्टी के बीरेंद्र सिंह ने बजट का विरोध किया और कहा कि किसानों की आय बढाने की जरूरत है और इससे ही उनकी स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। इसके लिए खेती की लागत कम करनी होगी और किसानों को उनके उत्पादों की सही कीमत देनी होगी। किसानों को एमएसपी का झुनझुना दिया गया है जबकि असलियत यह है कि कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाने का काम किया जा रहा है।

उन्होंने अग्निवीर योजना का भी मुद्दा उठाया और कहा कि किसान और गरीब का बेटा सेना में भर्ती होता है।उनको सेना में सम्मान मिलना चाहिए। सैनिक की सारी सुविधाएं उन्हें मिलनी चाहिए जिसे मोदी सरकार ने बंद कर दिया है और उन्हें अग्निवी बना दिया गया है। अग्निवीर को शहीद होने पर शहीद का भी दर्जा नहीं दिया जाता है। उन्होंने रेल में सुविधाएं उपलब्ध कराने का भी मुद्दा उठाया और कहा कि रेलों में साफ सफाई की व्यवस्था नहीं है और इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी ने बजट को जन विरोधी बताया और कहा कि भाजपा पिछले 10 साल के दौरान भेदभाव तथा अभिमान की राजनीति करती रही है लेकिन अब वक्त बदल गया है। देश की जनता ने लोकतंत्र के भाजपा के स्टाइल को नामंजूर किया है इसलिए मेजे बजाकर हो हल्ला करने वालों की संख्या घटी है। अच्छे दिन का सपना दिखाकर सत्ता में आई भाजपा ने लोगों के साथ अन्याय किया और उनका शोषण किया है।

उन्होंने महंगाई को लेकर भी सरकार को घेरा और कहा कि आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। गैस, सब्जियां और अन्य जरूरी वस्तुओं के दाम आम लोगों की पहुंच से बहुत ऊपर हैं। भाजपा सरकार में दलितों के साथ अत्याचार हो रहा है और यह बात सामाजिक न्याय मंत्रालय के आंकड़ों में दी गई है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में दलितों के साथ बड़ी संख्या में अत्याचार होने का डाटा है।

उन्होंने कहा कि भाजपा के 240 सांसद हैं और यदि उसने सही तरह से महिलाओं को तृणमूल कांग्रेस की तरह न्याय दिया होता तो 80 महिला सांसद भाजपा होनी चाहिए। उन्होंने छात्रों के साथ भी अन्याय करने का मोदी सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि वह लाखों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। केंद्रीय विद्यालयों में साढे सात लाख से ज्यादा पद खाली हैं उन पर नियुक्ति नहीं हो रही है। मजदूरों के साथ भी न्याय नहीं हो रहा है और आसमान छूती महंगई में उनके साथ अन्याय जारी है।

भाजपा सरकार को घोटाले की सरकार बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी से देश में काला धन पर प्रतिबंघ लगाने की बात कही गई थी लेकिन काला धन वापस नहीं आया और पूरा पैसा बाजार से रिजर्व बैंक में लौट आया। इसी तरह से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद खत्म होने की बात की जाती है लेकिन सच्चाई सबके सामने है और वहां आए दिन आतंकवादियों के हमले हो रहे हैं। किसानों की आय वर्ष 2022 में दोगुना करने की बात की थी लेकिन वह भी नहीं हुआ। दो करोड़ युवाओं को हर साल रोजगार देने की बात की थी वह भी फेल हुई। इस तरह से मोदी सरकार ने जो भी गारंटी दी वह सारी की सारी फेल हुई है।

तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसिंयों का दुरुपयोग कर रही है और राजनीतिक एजेंडे के तहत इन एजेंसिंयों के जरिए विरोधी दलों के नेताओं को सताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की स्थिति अलग है। भाजपा वहां शून्य है। भाजपा का वहां कोई वजूद नहीं हैं और वह भाजपा के सामने झुकने वाले भी नहीं है। वित्त मंत्री का यह सातवां बजट है लेकिन इस बजट में पूरी तरह से उनका पर्दाफाश हो गया है। यह बजट जनता का बजट नहीं है।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के दयानिधि मारन ने बजट 2024-25 पर लोकसभा में चर्चा

पर हिस्सा लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने तमिल लोगों को नहीं समझते हैं और इस बजट में तमिलनाडु के साथ धोखा किया गया है। प्रधानमंत्री सिर्फ उनके लिए काम कर रहे हैं जो उनको वोट दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी की गारंटी पर केंद्र सरकार ने करोड़ रूपये खर्च किये जो आम लोगों का पैसा था।

उन्होंने कहा कि धनराशि की कमी की वजह से चेन्नई मेट्रो रेल का काम लंबित है लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोई फंड नहीं जा रही है। उन्होंने कहा कि महंगाई की वजह से मध्यम वर्ग बहत परेशान है लेकिन सरकार को इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

द्रमुक नेता ने कहा कि चेन्नई में बाढ से बड़ी तबाही हुई लेकिन उसके बारे में बजट में एक रुपया नहीं दिया गया है जबकि चुनिंदा राज्यों को बाढ राहत पैकेज दिया गया है। तमिलनाडु सरकार ने बाढ आपदा राहत के 37 हजार करोड़ रुपये की मांग की गयी लेकिन मात्र सरकार ने मात्र दो सौ 76 करोड़ रुपये दिये गये जबकि गुजरात में बाढ के बाद हजारों करोड़ रुपये दिये गये। तमिलनाडु के साथ किये गये इस प्रकार के व्यवहार के लिए वहां के लोग आपको नहीं भूलेंगे।उन्होंने कहा कि बजट में जनगणना के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार जनगणना इसलिए नहीं कराना चाहती है क्योंकि उनके सहयोगी दल जाति जनगणना कराने की बात कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा उपेनिवेश काल से भी बुरे हालात में देश को ले जा रही है। महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है। महंगाई से सीधे सीधे देश के सबसे गरीब लोग प्रभावित हो रहे हैं लेकिन इसे कम करने को लेकर सरकार के पास कोई नीति नहीं है। सरकार ने नदियों को जोड़ने के लिए बड़ी बड़ी परियोजना लाने की बात की थी लेकिन अब तक कितने नदियों को जोड़ा गया इस पर सरकार को श्वेत पत्र लाना चाहिए।

तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के श्रीभारत माथुकुमली को बजट को दूरदर्शी करार दिया और कहा कि इसमें अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि लघु एवं सूक्ष्म उद्योग को बढाने के लिए सरकार ने इस ओर ध्यान दिया है क्योंकि देश की रीढ है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष महंगाई के लिए जिस प्रकार सरकार को दोषी करार देती है इसके लिए उसे अपने गिरेबान में झांकनी चाहिए। विपक्ष को यह याद रखना चाहिए कि यूपीए सरकार में समय महंगाई की दर क्या थी।

तेदेपा के नेता ने कहा कि बजट में इस इस प्रकार का प्रावधान किया गया है जिसमें विश्व की टॉप 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप करने का मौका मिलेगा। सरकार का यह सराहनीय सोच है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में आंध्र को इसलिए विशेष ध्यान रखा गया है क्योंकि प्रदेश का विभाजन अवैज्ञानिक तरीके से किया। विभाजन की वजह से आंध्र प्रदेश के समक्ष कई चुनौतियां थी जिसे दूर करने के लिए अधिक धनराशि की जरूरत थी।

जदयू के दिनेश चंद्र यादव ने बजट का समर्थन करते हुए कहा कि सदन में कुछ सदस्यों ने कहा कि यह बिहार का बजट है इसे अलावा कुछ नहीं है। इस प्रकार का आरोप लगाना सही नहीं है। आधा बिहार बाढ से तो आधा बिहार सूखे से परेशान है इसके बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री प्रदेश को आगे ले जाने का काम किया है। बिहार में आज सभी गांव की सड़कें पक्की है और सभी गांवों बिजली पहुंची है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग लगातार की जा रही है लेकिन कुछ तकनीकी वजह से नहीं मिल पा रही है। बिहार के पिछड़ेपन को देखते हुए बजट में जो धनराशि का प्रावधान किया गया है उसके लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) की सुप्रिया सुले ने बजट चर्चा में भाग लेते हुये कहा कि सदन में जम्मू-कश्मीर की अनुदान मांगों पर चर्चा की जा रही है। वहां चुनाव कराने की बात की गयी थी, लेकिन अब वहां का बजट लाया गया है। राज्य की जनता चुनाव चाहती है। सरकार ने न्यायालय में भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराये जायेंगे, जल्दी चुनाव करायेंगे। जब वहां लोकसभा चुनाव हो सकते हैं तो विधानसभा के चुनाव भी कराये जा सकते हैं।

श्रीमती सुले ने कहा कि सत्ता पक्ष को सुनकर निराशा हुई। पचास वर्ष पूर्व की बातें की जा रही हैं। उनका आज क्या औचित्य है। कार्पोरेट टैक्स कम किया गया है, लेकिन कितना कम किया गया है यह नहीं दर्शाया गया है। कार्पोरेट टैक्स कम करने में देरी हुई, जिससे निवेश कम हुआ। निवेश के लिए महौल तैयार नहीं किया गया।

श्रीमती सुले ने कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था संकट में है। यह सोचना पड़ेगा कि देश में वैश्विक रूप से कहां हैं, यह सभी को सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक को धन्यवाद देना चाहिये, जिसने लाभांश की भारी राशि सरकार को दी है, जिससे सरकार बहुत चीजों को संभालने में कामयाब रही है।

उन्होंने कहा कि बजट में जनगणना कब करायी जायेगी, इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है। जब तक जनगणना नहीं करायी जायेगी, तब तक विधायिका में आरक्षण कैसे लागू किया जायेगा।

श्रीमती सुले ने कहा कि सांसद निधि बढ़ायी जानी चाहिये, महाराष्ट्र में विधायक को भी पांच करोड़ रुपये विधायक निधि में मिलते हैं और सांसद को भी पांच करोड़ रुपये ही मिलते हैं। इसे बढ़ाकर 30 करोड़ रुपये किया जाना चाहिये या फिर कम से कम 15 करोड़ रुपये तो किये ही जाने चाहिये।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में रहते हुए 10 वर्ष पूरे होने के बावजूद भी यदि 80 करोड़ जरूरतमंदों को मुफ्त राशन देने की जरूरत पड़ रही है, इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “जब हम सरकार में आयेंगे तो किसानों को रेवड़ियां नहीं बांटेंगे, उन्हें सम्मान से न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे। ”

कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि बजट में दूरदर्शिता का अभाव और आर्थिक कुप्रबंधन है। बजट में सहयोगी दलों की ओर से शासित राज्यों को प्राथमिकता दी गयी है। आंध्र प्रदेश को हालांकि ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है, उसे राजधानी के विकास के लिये जो 15000 करोड़ रुपये दिये गये हैं, वह उसे ऋण के रूप में मिले हैं। यह राज्य की ऋण की स्थिति को और खराब करेगी।

उन्होंने कहा कि बजट में इंडिया समूह में शामिल दलों के शासित राज्यों की अनदेखी की गयी है। बिहार को बुनियादी ढांचे के विकास के लिये तो धन दिया गया है, लेकिन कर्नाटक को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा कि इस सरकार की नीतियों से गरीब तो परेशान हैं ही, मध्य वर्ग भी परेशान है। देश में एसयूवी कारों की बिक्री बढ़ रही है जबकि छोटी कारें और दुपहिया वाहनों की बिक्री घट रही है। इससे स्थिति को समझा जा सकता है।

श्री थरूर ने कहा कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति खराब है, कुपोषण की बड़ी समस्या है और विषमता बढ़ रही है। भारत में एक तिहाई आबादी की औसत दैनिक कमाई 100 रुपये से कम है।

उन्होंने मध्य वर्ग के लिए स्वास्थ्य बीमा महंगे न करने की जरुरत पर बल दिया। सबके लिए मूलभूत बीमा पॉलिसी प्रस्तुत की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि शिक्षा पर बजट कम किया जा रहा है। सरकार इस क्षेत्र में अपने ही लक्ष्य पूरे नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि रोजगार की स्थिति ठीक नहीं है, इस ओर सरकार को विशेष ध्यान देनेा चाहिये।

श्री थरूर ने कहा कि रेल दुर्घटनायें बढ़ रही हैं, रेलगाड़ियों में टक्कर निवारक कवच यंत्र के लिए आवंटन बजट का आधा हिस्सा ही व्यय किया जा रहा है।

भाजपा के भर्तहरि मेहताब ने बजट चर्चा में शामिल होते हुये कहा कि बजट में राजनीतिक दूरदर्शिता है। यह बजट गरीबों, किसानों को आगे ले जायेगा। बजट से स्पष्ट हो रहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभाव से निकल आयी है। उन्होंने कहा कि बजट में पूर्वी राज्यों के विकास के लिये ध्यान दिया गया है। बजट में जो प्रावधान किये गये हैं, उसकी सराहना की जानी चाहिये।

उन्होंने कहा कि चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है, इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

श्री मेहताब ने कहा कि रोजगार की समस्या को दूर करने में निजी क्षेत्र की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इस ओर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिये।

शिव सेना के रवींद्र दत्तराम वाईकर ने बरसात में देश भर के शहरों में जलभराव का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार मुंबई शहर को इस संकट से निजात दिलाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी शहर का महत्व वहां की ढांचागत व्यवस्था के कारण बढ़ता है और मुंबई में रेल के विकास पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कोंकण के लिए सीधे रेल सुविधा सेवा के विस्तार पर जोर दिया।

समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा ने बजट को जन विरोधी तथा भेदभावपूर्ण बताया और कहा कि बजट में किसानों की खुशहाली के लिए कुछ नहीं है और पूरी तरह से उनकी अनेदखी हुई है। यह बजट सामाजिक भेदभाव को बढाने वाला है और इसमें जाति गणना तथा किसानों के हित में कुछ भी कदम नहीं उठाए गये हैं। मनरेगा की मजदूरी बढाने को लेकर लगातार बात की जा रही है, लेकिन बजट में मनरेगा में बढोतरी का कोई प्रावधान नहीं है। बुनकर कई तरह की समस्याओं से गुजर रहे हैं लेकिन बजट में उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कुछ भी नहीं किया गया है।

कांग्रेस की प्रणीति सुशीलकुमार शिंदे ने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर ने दलितों को आरक्षण देने के लिए संविधान में व्यवस्था की, लेकिन भाजपा सरकार को आरक्षण की व्यस्था खटकती है। भाजपा 2014 से झूठे प्रचार से आजाद भारत की राजनीति विरासत को भुलवाने का असफल प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत यदि आज चांद पर पहुंचा है तो इसका श्रेय पंडित जवाहर लाल नेहरू की दूरदर्शिता को जाता है, जिन्होंने इसरो का गठन किया था। उन्होंने कहा कि देश में दस साल निशुल्क अनाज बांटा जा रहा है, लेकिन बहुत से कार्डधारकों को राशन नहीं मिल रहा है।

उन्होंने बजट में बिहार तथा आंध्र प्रदेश को मिले पैकेज का जिक्र किया और कहा कि इन राज्यों को विशेष सहायता दी जानी चाहिए और इसमें उन्हें कोई दिक्कत भी नहीं है लेकिन सवाल है कि महाराष्ट्र को यह सुविधा क्यों नहीं मिली जबकि उसे यह सुविधा मिलनी चाहिए।

भाजपा के जगदीश शेट्टार ने बजट को विकसित भारत के विजन को पूरा करने वाला बताया और कहा कि इसमें जो कदम उठाए गये हैं उसमें समाज के सभी वर्गों को फायदा देने का काम हुआ है। बजट में जिस तरह से सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है वह भाजपा के ‘सबका साथ सबका विकास’ के विचार को यथार्थ रूप देने का काम करता है। बजट में नयी फसलों और स्टार्ट अप को भी महत्व दिया गया है और यह विजन हमारे किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। इससे खेतीबाड़ी करने वालों को फायदा होगा और किसान को इसका सीधा फायदा होगा।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में लगातार विकास के काम हो रहे हैं और पिछले दस साल के दौरान कोई भ्रष्टाचार भी सामने नहीं आया है जबकि कांग्रेस के शासन में आए दिन घोटाले होते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व ही अलग है और उनके इस व्यक्तित्व का ही प्रभाव है कि वह देश ही नहीं दुनिया में सबसे लोकप्रिय नेता हैं।

शिवसेना (ठाकरे गुट) के अनिल देसाई ने कहा कि किसानों एवं युवाओं के लिए बजट प्रावधानों को अपर्याप्त बताया और कहा कि युवाओं को ठेकेदारों के रहम पर छोड़ा जा रहा है। उन्होंने महाराष्ट्र को सर्वाधिक कर प्रदाता राज्य बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र के लिए पर्याप्त आवंटन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बजट में रेल संरक्षा के बारे में कोई बात नहीं कही गयी है जबकि रेल दुर्घटनाएं बढ़ गयीं हैं।

समाजवादी पार्टी के धर्मेन्द्र यादव ने बजट को जनविरोधी करार दिया और कहा कि भाजपा ने 2014 में वादा किया था कि हर साल दो करोड़ रोजगार सृजित करेंगे। आज भाजपा बताये कि बीस करोड़ नौजवानों के रोज़गार कहां हैं। अब 11वें बजट में याद आयी, लेकिन इंटर्नशिप के झुनझुने से युवा खुश होंगे, यह गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए। आईआईएम और आईआईटी के छात्रों को तो नौकरी दे नहीं पा रहे हैं। सारे संस्थानों को बरबाद कर दिया है। शिक्षा को निजी हाथों में देकर 90 प्रतिशत गरीबों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश रची जा रही है। सरकार का मकसद दलितों, पिछड़े वर्ग के आरक्षण के अधिकार को समाप्त करना है।

उन्होंने कहा कि सरकार यह काम दलितों आदिवासियों एवं पिछड़ों के हितों के विरुद्ध कर रही है। भाजपा सरकार के शासनकाल में पिछड़ों की संपत्ति 17 प्रतिशत से घटकर नौ प्रतिशत रह गयी है। उन्होंने मांग की कि अर्द्धसैन्य बलों के जवानों को पुरानी पेंशन स्कीम दी जाये। उन्होंने कहा कि संविदा कर्मियों और आउटसोर्सिंग को बढ़ावा देकर सरकार आरक्षण को समाप्त करना चाहती है। देश का जनमानस इसे समझ चुका है और इन्हें उत्तर प्रदेश के साथ देश से भी बाहर करेगा।

कांग्रेस के सुखदेव भगत ने कहा कि बजट जनता के लिए होता है, लेकिन कल हमने देखा कि बजट सत्ता के लिए है। उन्होंने कहा कि बजट का संबंध वित्त से होना चाहिये कुर्सी से नहीं। उन्होंने इंटर्नशिप योजना को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि बजट में जो लक्ष्य है उसके अनुसार हर कंपनी को करीब बीस हजार इंटर्नशिप देनी पड़ेगी जो बहुत मुश्किल है। बजट एमएसपी को कानूनी दर्जा पर मौन हैं।

भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय की एक टिप्पणी पर विपक्ष के सदस्य उत्तेजित हो कर शोर शराबा करने लगे । इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि यदि कोई असंसदीय शब्द बोला गया है तो उसे कार्यवाही से निकाल दिया जाएगा। पीठासीन अधिकारी दिलीप सैकिया ने भी कहा कि वह असंसदीय शब्द को निकाल दिया जाएगा।

हंगामे के बीच अध्यक्ष ओम बिरला आसन पर आ गये थे, उन्होंने कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई से आपत्ति वाले मुद्दे पर बोलने को कहा। श्री गोगोई ने कहा कि वह असंसदीय शब्द दोहरा कर सदन का अपमान नहीं करना चाहते हैं, लेकिन बात को समाप्त करने के लिए सदस्य को खेद प्रकट करना चाहिये।

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