राजनीतिक चंदे के लिए आया बांड

पारदर्शी बनेगी राजनीतिक दलों के चंदे की प्रक्रिया;

Update: 2018-01-03 01:15 GMT

नई दिल्ली। सरकार ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की प्रक्रिया का साफ सुथरा और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से इलेक्टोरल बांड के लिए आज अधिसूचना जारी कर दी। बांड को खरीदने वाला इसे किसी भी वैध राजनीतिक दल को दे सकेगा और उस पर किसी व्यक्ति या संस्थान का नाम नहीं होगा लेकिन राजनीतिक दल को चुनाव आयोग में दिये जाने वाले रिटर्न में बांड से मिले चंदे की राशि का उल्लेख करना होगा। यह बांड सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक की शाखाओं से ही प्राप्त किए जा सकते हैं। हालांकि, इसके लिए दानदााता को एसबीआई में केवायसी डिटेल्स देनी होंगी।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बताया, वर्ष 2001 में चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने की कोशिश की गयी थी और चेक से चंदे देने पर आयकर में छूट देने की घोषणा की गयी थी। अब मोदी सरकार इसमें और पारदर्शिता लाने की कोशिश करते हुये इलेक्टोरल बांड लेकर आयी है। इसके लिए भारतीय स्टेट बैंक को अधिकृत किया गया है और इस बैंक की चुनिंदा शाखाओं पर ही यह बांड मिलेगा। 

एक फीसदी से अधिक वोट लेने वाले दलों को ही मिलेगा लाभ

जेटली ने कहा, सिर्फ चंदे के लिए राजनीतिक दल पंजीकृत कराने वालों को इस बाँड से चंदा नहीं मिल सकेगाा। इससे सिर्फ उन्हीं राजनीतिक दलों को चंदा मिल सकेगा जिन्हें पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट मिला हो। नए राजनीतिक दल को भी चंदा नहीं मिल सकेगा। 

15 दिन के लिए ही मिलेगा बांड

वित्त मंत्री ने कहा, इस बांड को समानांतर मुद्रा बनने से रोकने के लिए इसे बहुत सीमित समय के लिए ही जारी किया जायेगा। समय-समय पर सरकार इसे जारी करने की घोषणा करेगी। बांड की वैधता 15 दिनों की होगी और इसी अवधि में राजनीतिक दलों को इस बांड को अपने घोषित खाते में जमा कराना होगा। 

चंदा देने वाले का नहीं होगा नाम

वित्त मंत्री ने कहा, यह सत्ता पक्ष से अधिक विपक्ष के हित है क्योंकि बाँड पर चंदा देने वाले का नाम नहीं होगा जिससे यह पता नहीं चलेगा कि किसने किस दल को कितनी राशि का इलेक्टोरल बाँड दिया है। उन्होंने इससे चुनावी चंदा तंत्र में पारदर्शिता आने की उम्मीद जताते हुये कहा कि इसके बाद कुछ लोग चेक भी चंदा देने के लिए आकर्षित होंगे। 

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