विधान परिषद की 12 में कम से कम दस सीटें जीतेगी भाजपा

भारतीय जनता पार्टी विधान परिषद की बारह सीटों पर होने वाले चुनाव में कम से कम दस सीटें जीत सकती है और यदि बहुजन समाज पार्टी का समर्थन मिला तो एक और सीट उसके पास आ सकती है;

Update: 2021-01-06 08:23 GMT

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी विधान परिषद की बारह सीटों पर होने वाले चुनाव में कम से कम दस सीटें जीत सकती है और यदि बहुजन समाज पार्टी का समर्थन मिला तो एक और सीट उसके पास आ सकती है ।

हालांकि निर्वाचन आयोग ने अभी चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया है लेकिन उत्तर प्रदेश विधान परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है ।

भाजपा प्रदेश चुनाव समिति की सोमवार को हुई बैठक में प्रत्याशियों के नाम पर चर्चा की गई । प्रत्याशियों के नाम केंद्रीय संसदीय बोर्ड को भेजे जायेंगे । इसके लिये पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को नामित किया गया है ।

विधान परिषद के जिन 12 सदस्यों का कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा है उनमें समाजवादी पार्टी के छह ,भाजपा के तीन और बसपा के तीन हैं जिनमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कांग्रेस में जाने से उनकी सदस्यता दलबदल कानून के तहत पहले ही खत्म कर दी गई थी ।

भाजपा के जिन तीन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तथा उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा भी हैं ।

भाजपा के खाते में दस और सपा के खाते में एक सीट जाना तय है । यदि भाजपा को बसपा का साथ मिला तो 11वीं सीट भी पार्टी जीत सकती है । बसपा के विधानसभा में 19 सदस्य होने के बावजूद राज्यसभा चुनाव में उसका एक प्रत्याशी जीत गया था । भाजपा ने अपना एक और उम्मीदवार खड़ा कर उसकी मुसीबत नहीं बढ़ाई थी लेकिन अंतिम समय में सपा ने अपना एक प्रत्याशी उतार कर बसपा प्रमुख मायावती को नाराज कर दिया था । सपा प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया था और बसपा प्रत्याशी को जीत मिल गई थी । तभी मायावती ने कहा था कि विधान परिषद चुनाव में सपा को हराने के लिये भाजपा की मदद करने से भी पीछे नहीं रहेंगी ।

यदि सुश्री मायावती अपने कहे पर कायम रहती हैं तो भाजपा के पास ग्यारहवीं सीट भी आ सकती है ।

भाजपा की चुनाव समिति की सोमवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ,दोनों उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य,प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ,पार्टी के उत्तर प्रदेश मामले के प्रभारी राधा मोहन सिंह तथा महासचिव अरूण सिंह शामिल हुये ।

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