क्या खत्म होगी रथयात्री की यात्रा ?
प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले मोदी ने आडवानी को मार्गदर्शन मंडल में भेजा, इस बार माना जा रहा है, कि उनका टिकट भी कटने वाला है;
नई दिल्ली ।लोकसभा के हालिया चुनाव में एक सवाल खड़ा हो रहा है, कि क्या इस चुनाव में भाजपा के रथयात्री लालकृष्ण आडवानी की यात्रा खत्म होने जा रही है। भाजपा ने गांधी नगर सीट पर उनका विकल्प तलाशना शुरु कर दिया है, आडवानी की उम्र इस वक्त 92 साल है ऐसे में भाजपा मानती है, कि उन्हें घर बिठा देने से कोई नुकसान भी नहीं होने वाला।
लालकृष्ण आडवानी वो नेता हैं, उन्हें भाजपा को 2 सीट से बढ़ाकर सत्ता तक पहुंचाने का श्रेय जाता है। नरेन्द्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने और गुजरात दंगों के बाद बचाया भी उन्हीं ने किया था।
आडवानी एक वक्त भाजपा के रथयात्री माने जाते हैं, सत्ता तक पहुंचने के लिए उनकी पहली रथयात्रा सोमनाथ से राममंदिर बनाने के लिए शुरु हुई थी, जिसके सारथी नरेन्द्र मोदी थे। सारथी से रथी बने मोदी ने सबसे पहले आडवानी को ही किनारे लगाने का काम किया।
प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले मोदी ने आडवानी को मार्गदर्शन मंडल में भेजा, इस बार माना जा रहा है, कि उनका टिकट भी कटने वाला है। साल 1991 से गांधीनगर सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे आडवानी को भाजपा ने अभी तक उन्हें इस बारे में सूचित नहीं किया है, पर उस सीट पर उनका विकल्प खोजना शुरु कर दिया है। यहां से किसी ब्राम्हण या पाटीदार उम्मीदवार को उतारा जा सकता है।
हालांकि खबर यह भी है, कि भाजपा की इस अतिसुरक्षित सीट से अमित शाह और मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन भी चुनाव लड़ना चाहती हैं। सूत्र बताते हैं, कि अभी तक आडवानी ने भी अपने सचिवालय को इस संबंध में कोई सूचना नहीं दी है, कि वे एक बार फिर उम्मीदवार बनने जा रहे हैं।