सिसोदिया के भाजपा में शामिल होने के ऑफर के दावे पर पार्टी ने किया पलटवार

भाजपा ने कहा है कि शराब घोटाले के बारे में पूछे गए सवालों का केजरीवाल और सिसोदिया के पास कोई जवाब नहीं है, इसलिए वो इस तरह की अनर्गल बातें कर रहे हैं।;

Update: 2022-08-22 13:58 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा भाजपा की तरफ से उनकी पार्टी में शामिल होने के ऑफर के दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए भाजपा ने कहा है कि शराब घोटाले के बारे में पूछे गए सवालों का केजरीवाल और सिसोदिया के पास कोई जवाब नहीं है, इसलिए वो इस तरह की अनर्गल बातें कर रहे हैं। भाजपा मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार और कट्टर बेईमानी को भाजपा पुरजोर तरीके से उजागर कर रही है और लगातार सवाल भी पूछ रही है। उन्होंने कहा कि हमने जनता के सवालों को उठाकर केजरीवाल से 24 घंटे में जवाब देने की मांग की थी लेकिन इस घोटाले पर जवाब देने के बजाय केजरीवाल, सिसोदिया और उनकी आम आदमी पार्टी अनर्गल बातें कर रही है। इससे यह साबित हो गया है कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के पास जनता के सवालों का कोई जवाब नहीं है।

भाजपा की तरफ से मनीष सिसोदिया को पार्टी में आने के ऑफर को लेकर उनके दावों को पूरी तरह से गलत और अनर्गल बताते हुए भाटिया ने कहा कि जिनकी नियत खोटी है, सोच छोटी है उनको कोई क्या तोड़ेगा? उनका अहंकार दिल्ली की जनता तोड़ रही है और ये सब अनर्गल बातें करना बंद कीजिए। उन्होंने शराब घोटाले को लेकर कई नए तथ्यों के साथ आरोप लगाते हुए कहा कि आपका अहंकार और गुरूर भी टूटेगा और जनता के हर एक रुपये की वसूली भी सुनिश्चित की जाएगी।

सिसोदिया के ट्वीट और केजरीवाल के दावे पर कटाक्ष करते हुए भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सिसोदिया को कट्टर ईमानदारी का सर्टिफिकेट देते हैं। आजकल जिसको कट्टर ईमानदारी का सर्टिफिकेट केजरीवाल जी दे देते हैं, वो जेल जरूर जाता है। मनीष सिसोदिया कहते हैं, मैं झुकुंगा नहीं। विवेचना के बाद आप कानून के सामने झुकेंगे भी और आपका भ्रष्टाचार रुकेगा भी।

उन्होंने आबकारी नीति को लेकर बनाई गई समिति की सिफारिश के विपरीत जाकर भ्रष्टाचार करने के लिए नई नीति बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये छोटे भ्रष्टाचारी नहीं हैं बल्कि ये भ्रष्टाचार का कीर्तिमान बना रहे हैं। ये सरकार में रहते हुए भी सरकारी संस्थाओं से नफरत करते हैं।

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