केजरीवाल की अपमानजनक भाषा पर भाजपा विधायकों ने उपराज्यपाल का खटखटाया द्वार

दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री द्वारा विपक्ष को निशाना बना कर अपशब्द कहने के बाद भाजपा विधायकों ने नोक-झोंक के बाद विपक्ष के विधायकों की मर्दानगी को ललकारे जाने की शिकायत उपराज्यपाल के घर जाकर की;

Update: 2017-10-07 01:48 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा विपक्ष को निशाना बना कर अपशब्द कहने के बाद आज भाजपा विधायकों ने विधानसभा के अंदर तीखी नोक-झोंक के बाद विपक्ष के विधायकों की मर्दानगी को ललकारे जाने की शिकायत शुक्रवार सुबह उपराज्यपाल अनिल बैजल के घर जाकर की। विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सीएम पद की गरिमा भूल गए हैं, बल्कि अब वो विधानसभा में भी किसी टपोरी की तरह बात करने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गली-गलौज पर उतर आए थे और विपक्ष के विधायकों पर टिप्पणी करते हुए कहा था किमर्द के बच्चे हो तो सामने आओ। खुद को दिल्ली का मालिक बताकर उन्होंने लोकतंत्र और दिल्ली की जनता दोनों का ही अपमान किया है। उन्होंने उपराज्यपाल से मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

साथ ही कहा है कि मुख्यमंत्री विपक्ष के विधायकों पर व्यक्तिगत हमले करते हैं, जो स्वीकर नहीं किया जा सकता। भाजपा विधायक ओपी शर्मा ने तो सीधे केजरीवाल पर ही निशाना साधा और कहा कि उनके अंदर जहर भर हुआ है, जो अपशब्दों के जरिए बाहर निकलता है। उन्होने कहा कि केजरीवाल को वो उनकी भाषा मे ही जवाब देना जानते हैं और यदि वह विपक्ष की मर्दानगी को ललकार रहे है, तो केजरीवाल समय और जगह तय कर लें उनको मर्दानगी का सबूत भी मिल जाएगा।

भाजपा विधायकों ने कहा कि केजरीवाल में वह गरूर पूरी तरह हावी हो गया है, जिससे बचने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए बचने की प्रार्थना की थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं, लेकिन खुद को दिल्ली का मालिक कहते हैं, सदन में निरंकुश तानाशाह की तरह बर्ताव करते हैं।

उपराज्यपाल को भाजपा विधायकों ने अनुस्मरण पत्र देते हुए कहा कि विपक्ष ने चेतावनी दी कि यदि मुख्यमंत्री के अनैतिक और घटिया व्यवहार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं, जब दिल्ली सरकार में पूरी तरह से दुशासन और दुव्र्यवहार का राज स्थापित हो जाएगा। विपक्ष के नेता ने कहा कि सदन की बैठक में मुख्यमंत्री के अमर्यादित व्यवहार, असंसदीय भाषा और विपक्ष की प्रताडऩा के विरोध में उन्हें मजबूरीवश सदन से वाकआउट करना पड़ा।

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