भाजपा के भस्मासुर पीछे लग गए हैं
भाजपा ने अपने वोट बढ़ाने के लिए जिस सांप्रदायिक धु्रवीकरण को हथियार बनाया था और इसके लिए अपनी एक अघोषित सेना तैयार की थी;
- सर्वमित्रा सुरजन
कल तक जिन्हें आतंकवादियों की बहन बता रहे थे, अब श्री शाह उन्हें अपनी बहन बता रहे हैं। लेकिन यह कोई हृदय परिवर्तन नहीं है, यह केवल मौके की नज़ाकत भांप कर दिया गया बयान लग रहा है। क्योंकि असल में तो देश का पूरा माहौल ही इस कदर नफरत और सांप्रदायिकता से भरा बना दिया गया है कि कदम- कदम पर मुसलमानों से उनकी देशभक्ति के सबूत मांगे जाते हैं।
भाजपा ने अपने वोट बढ़ाने के लिए जिस सांप्रदायिक धु्रवीकरण को हथियार बनाया था और इसके लिए अपनी एक अघोषित सेना तैयार की थी, अब वही सेना भस्मासुर बनकर भाजपा के पीछे लग गई है। इसकी ताजा मिसाल मध्यप्रदेश से आई है। जहां भाजपा सरकार के मंत्री विजय शाह ने एक बेहद अशिष्ट, अभद्र और अशोभनीय टिप्पणी कर्नल सोफिया कुरैशी के लिए की थी। जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह सोमवार को इंदौर के महू के रायकुंडा गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर बेहद घटिया बयान दे दिया। जिसका वीडियो मंगलवार को वायरल हुआ। वीडियो में उन्होंने इतनी निर्लज्जता भरी टिप्पणी कर्नल सोफिया कुरैशी के लिए की कि यहां उसे दोहराना कर्नल सोफिया की बेकद्री ही मानी जाएगी, लेकिन टिप्पणी का सार यही था कि धर्म के कारण उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी के संबंध आतंकवादियों से जोड़े थे। ऐसा करते हुए विजय शाह को यह उम्मीद रही होगी कि सरदार उन्हें शाबासी देगा। लेकिन अब सरदार को भी समझ आ गया है कि मामला पूरा उल्टा पड़ गया है। इसलिए सरदार और उनके सिपहसालार अब मामले को संभालने में लग गए हैं।
खुद विजय शाह को समझ आ गया कि इस समय सांप्रदायिक सेना का कोई सिपाही साथ खड़ा नहीं होगा, तो उन्होंने माफी मांग ली, लेकिन ये माफी काफी नहीं मानी जा रही है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए आदेश दिया कि 4 घंटों के भीतर विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। और इस पर सोमवार को सुनवाई भी होनी है। इधर कांग्रेस ने मंगलवार को ही विजय शाह के घर के बाहर प्रदर्शन किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत तमाम नेताओं ने इस मामले की कड़ी भर्त्सना की। भाजपा के दोहरे रवैये पर सवाल उठाए, तो अब भाजपा नेतृत्व चौकन्ना हो गया है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने खुद संज्ञान लिया और मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा ने विजय शाह को तलब किया, जिसकी एक तस्वीर सामने आई है जिसमें विजय शाह हवाई चप्पलों में ही प्रदेश अध्यक्ष के सामने बैठे हैं। उन्होंने मीडिया के सामने भी कहा कि मैं बहन सोफिया से हजार बार माफी मांग सकता हूं।
कल तक जिन्हें आतंकवादियों की बहन बता रहे थे, अब श्री शाह उन्हें अपनी बहन बता रहे हैं। लेकिन यह कोई हृदय परिवर्तन नहीं है, यह केवल मौके की नज़ाकत भांप कर दिया गया बयान लग रहा है। क्योंकि असल में तो देश का पूरा माहौल ही इस कदर नफरत और सांप्रदायिकता से भरा बना दिया गया है कि कदम- कदम पर मुसलमानों से उनकी देशभक्ति के सबूत मांगे जाते हैं। अगर कोई कहीं नमाज पढ़ते दिख जाए तो उसे संदेह की नजर से देखा जाता है। अभी एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक व्यक्ति ट्रेन में अपनी सीट पर बैठकर नमाज़ पढ़ रहा है और उसके सहयात्रियों में से एक चुपके से उसका वीडियो बना रहा है मानो उसने कोई अपराध किया हो। मोदी के 11 सालों के शासन का निचोड़ अब ऐसी ही जहरीली बूंदों में नजर आ रहा है।
इसलिए विजय शाह अब चाहे सोफिया कुरैशी को बहन का संबोधन दें या भाजपा नेता कर्नल सोफिया कुरैशी के घर जाकर उन्हें देश की बेटी बताएं, भाजपा की असलियत उजागर हो ही चुकी है। विजय शाह का मामला एकदम ताजा है और उस समय सामने आया जब प्रधानमंत्री मोदी युद्धविराम के ऐलान के बाद अपनी सरकार की मजबूती बताने में लगे थे, इसलिए इस समय भाजपा किसी किस्म का नुकसान नहीं देखना चाहती तो उसने अपने मंत्री को माफी मांगते हुए दिखा दिया।
लेकिन ध्यान दें तो पहलगाम हमले के बाद भी भाजपा का सांप्रदायिक चेहरा दिखा था। भाजपा छत्तीसगढ़ ने ट्वीट किया था कि धर्म पूछा था, जाति नहीं। इसके बाद आतंकी घटना के विरोध के नाम पर देश में मुस्लिमों को प्रताड़ित करने की खबरें आईं। करांची बेकरी में विजयवाड़ा, हैदराबाद आदि शहरों में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की, सिर्फ इसलिए क्योंकि बेकरी का नाम पाकिस्तान के शहर करांची पर है। नफरतियों को यह नजर नहीं आया कि यह दुकान किसकी है और क्यों इसका नाम करांची पर रखा गया। वैसे भी नाम कुछ भी हो, क्या किसी निर्दोष की दुकान या प्रतिष्ठान पर हमला करके आतंकवाद खत्म किया जा सकता है, यह सवाल इन अराजक तत्वों से पूछा जाना चाहिए। खैर इन्हें भी पता है कि कितने भी सवाल समाज में शांति और अमन चाहने वाले लोग पूछ लें, जब तक इनके आकाओं का हाथ सिर पर है, कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इसलिए ट्रोलर्स ने हिमांशी नरवाल को भी ट्रोल किया और उन पर बेहूदा टिप्पणियां कीं। क्योंकि शहीद विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने केवल यही अपील की थी कि जो कुछ पहलगाम में हुआ उसके लिए देश के अल्पसंख्यकों या कश्मीरियों को निशाना बनाना गलत है। ऐसी नफरत मत दिखाइए।
जिन लोगों के जीवन में केवल नफरत रस का संचार होता है, वे भला ऐसी बात कैसे बर्दाश्त कर सकते थे, लिहाजा उन्होंने हिमांशी नरवाल के चरित्र पर ही कीचड़ उछाल दिया। सांप्रदायिक नफरत से भरे उन्मादी लोगों की यह भी एक खास पहचान है कि जब उन्हें किसी स्त्री का विरोध करना हो तो वे उसके चरित्र को दागदार करने की कोशिश करते हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी के मामले को भी इस एंगल से देखने की जरूरत है।
वैसे जब युद्धविराम करने के फैसले के बारे में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी, तो ट्रोलर्स ने उन्हें भी निशाने पर ले लिया। उनके साथ-साथ उनकी बेटी के सोशल मीडिया एकाउंट्स पर जाकर ट्रोलिंग की गई। इस शर्मनाक वाकये पर आईएएस एसोसिएशन तो अपने सदस्य के साथ खड़ा नजर आया और उसने एक खिलाफ बयान जारी किया। लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर एक शब्द नहीं कहा। न ही भाजपा की तरफ से कोई अफसोस या चिंता जाहिर की गई कि समाज में कैसे लोगों का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वे एक अधिकारी को ट्रोल कर रहे हैं, जिसने केवल अपना कर्तव्य निभाया है।
भाजपा ने विजय शाह से माफी जरूर मंगवा ली है, लेकिन उसके रवैये में कोई बदलाव आ गया है, यह खुशफहमी नहीं पालनी चाहिए। भाजपा अब भी पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का सियासी फायदा लेना चाहती है, इसलिए ये सारा प्रहसन हो रहा है। अगर भाजपा को अफसोस होता तो उसकी तरफ से इस समय यूपीए सरकार को कोसने वाले ट्वीट नहीं किए जाते। कुछ दिन पहले भाजपा ने ट्वीट किया था कि यूपीए सरकार के वक्तए आतंकी हमलों के बाद कुछ नहीं किया गया और मोदीजी ने कितने कड़े कदम अभी उठाए हैं। इसके बाद एक ट्वीट भाजपा की कर्नाटक इकाई की तरफ से हुआ, जिसमें कसाब को बिरयानी खिलाने वाले झूठ को फिर कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल किया गया और लिखा है कि उन्होंने बिरयानी खिलाई, हमने ब्रह्मोस दागी। भाजपा इस समय जिस तरह पूरे देश में तिरंगा यात्रा निकाल रही है और तमाम भाजपा नेता मोदीजी की शान में कसीदे पढ़ते हुए शौर्य रस वाले भाषण दे रहे हैं, यह सब ऑपरेशन सिंदूर को मोदी के खाते में डालने की कोशिश है। यानी सेना का नाम लेकर भी उसे श्रेय न देने का तरीका है।
वैसे मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने आदमपुर एयरबेस पर आपरेशन सिंदूर के लिए सेना की तारीफ करते हुए कहा कि 'आपके इस ऑपरेशन ने न केवल भारत की आत्मरक्षा की क्षमता को दिखाया, बल्कि देशवासियों में एकता और आत्मविश्वास को भी बढ़ाया।' उन्होंने कहा कि भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना ने मिलकर पाकिस्तानी सेना को क़रारा जवाब दिया, जिस पर आतंकवादी भरोसा करते थे। वहीं भाषण के आखिरी में सैनिकों के परिवारों को भी धन्यवाद देना मोदीजी नहीं भूले, उन्होंने कहा कि 'आपके परिवार भी इस युद्ध के सच्चे सिपाही हैं। उनकी प्रेरणा और बलिदान के बिना यह संभव नहीं होता।' प्रधानमंत्री ने सैनिकों से यह भी वादा किया कि सरकार उनकी ज़रूरतों को पूरा करने और सेना को और मज़बूत करने के लिए हर संभव क़दम उठाएगी।
इस भाषण के इन हिस्सों को दोहराना इसलिए जरूरी लगा क्योंकि चंद घंटे बीते भी नहीं थे कि विजय शाह ने उसी सेना का अपमान करने वाला बयान दे दिया। अब नरेन्द्र मोदी बताएं कि वे सेना और सैनिकों के परिवार के साथ किस तरह खड़े हैं।