वन विभाग बीट गार्डों को देगा वायरलेस

बिलासपुर ! पिछले सात वर्षों से बंद पड़े वायरलेस सिस्टम को जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए फिर से शुरू करवाया जा रहा है।;

Update: 2017-04-03 22:31 GMT

नई व्यवस्था शीघ्र शुरू होगी,मोबाइल के भरोसे चल रहा काम,नेटवर्क न मिलने से सूचनाएं प्रभावि
  अपराधी उठा रहे फायदा
   72 बीट में होगी व्यवस्था
  7 वर्ष बाद नई व्यवस्था

बिलासपुर !  पिछले सात वर्षों से बंद पड़े वायरलेस सिस्टम को जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए फिर से शुरू करवाया जा रहा है। बिलासपुर वन मंडल की सभी 72 बीट को आधुनिक संचार से लैस किया जाएगा ताकि जंगलों के भीतर होने वाले अपराध व घटनाएं को तुरंत पकड़ लिया जाए। वन विभाग सभी बीट गार्ड को अब वायरलेस मुहैया करवाएगा।
गौरतलब है कि वर्ष 1995 से जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखकर वायरलेस सिस्टम शुरुआत की गई थी लेकिन कुछ वर्षों में ही यह सिस्टम ठप्प हो गए और बीट गार्ड सिर्फ मोबाइल के भरोसे काम कर रहे हैं। नेटवर्क के अभाव के कारण जंगल के भीतर की घटनाएं समय रहते पता नहीं चल पाती है। वर्ष 2010 में वायरलेस सिस्टम अचानक बंद हो गया था, अब इस सिस्टम को वन विभाग फिर शुरू करने जा रहा है। इसके लिए और आधुनिक ढंग से बीट गार्ड को प्रशिक्षित किया जा रहा है। बताया जाता है कि 70-80 बीट गार्ड को वायरलेस दी जाएगी।
वन अपराधों में इजाफा
जंगलों में आवागमन व अन्य संसाधनों की सुविधाएं बढऩे से वन अपराध में भी इजाफा हुआ है। तस्कर स्थानीय लोगों के सहयोग से आज भी वन्य प्राणियों का शिकार और लकड़ी की तस्करी करने में पीछे नहीं है। जंगल के भीतर पुख्ता संपर्क व्यवस्था नहीं होने का अपराधी पूरा फायदा उठाते हैं। जंगल में अतिक्रमण से लेकर तस्करी तक में कुछ वर्षों में काफी वृद्धि हुई है।
वन विभाग के पिछली कार्रवाई पर नजर डालें तो स्पष्ट हो जाता है कि जंगल में तस्करी काफी बढ़ी है।
प्रबंधन समितियों की मनमानी
पूरे बिलासपुर वन मण्डल में जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए 98 वन प्रबंधन समिति की गठित की गई है। लेकिन आधे से अधिक समितियां निष्क्रिय है।
क्योंकि ज्यादातर जंगलों में अवैध कटाई खोन्ध्रा, सोंठी, कोटा रेंज व खुडिया के आसपास होती है। इन क्षेत्र में ग्राम वन प्रबंधन समितियों की मनमानी भी है, जबकि बहुत सारे अधिकार भी शासन द्वारा इन समितियों को दी गई है जिसका दुरुपयोग करने में ग्राम वन प्रबंधन समिति पीछे नहीं है।

 

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