10 करोड़ बकाया, मुफ्त इलाज बंद,गरीब स्मार्टकार्ड धारक भटकने पर मजबूर

बिलासपुर ! स्मार्ट कार्ड से प्राइवेट नर्सिंग होम में गरीबों का इलाज नहीं हो रहा है। क्योंकि नर्सिंग होम्स को इंश्योरेंश कंपनी द्वारा इजाज का भुगतान नहीं किया जा रहा है।;

Update: 2017-03-02 22:06 GMT

निजी अस्पताल संचालकों को बीमा कंपनी ने 6 माह से नहीं किया भुगतान
बिलासपुर ! स्मार्ट कार्ड से प्राइवेट नर्सिंग होम में गरीबों का इलाज नहीं हो रहा है। क्योंकि नर्सिंग होम्स को इंश्योरेंश कंपनी द्वारा इजाज का भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिले के नर्सिंग होम्स का दस करोड़ का भुगतान लटका हुआ है। जबकि शासन के स्मार्ट कार्ड से इलाज का भुगतान करने यूनाईटेड इंश्योरेंश कंपनी को ठेका दिया गया। कंपनी को 31 दिनों के भीतर बिल का भुगतान करना है, मगर नर्सिंग होम्स को पिछले 6 माह से स्मार्ट कार्ड के इलाज का भुगतान ही नहीं हो पाया है। डाक्टरों का संघ स्मार्ट कार्ड से इलाज बंद करने शासन पर दबाव बना रहा है। स्मार्ट कार्ड से गरीब मरीजों का इलाज बहुत कम हो पा रहा है।
नर्सिंग होम्स संचालकों का इंश्योरेंश कंपनी पर आरोप है कि बिना कमीशन लिए भुगतान रिलीज नहीं किया जा रहा है। जिले में 85 नर्सिंग होम्स में स्मार्ट कार्ड से इलाज की सुविधा है।
ऑनलाइन प्रक्रिया
नर्सिंग होम्स संचालक भुगतान नहीं होने से काफी परेशान हैं। कंपनी का कहना है कि बिलों की जांच के बाद भुगतान किया जाता है। स्मार्ट कार्ड का बिल आनलाईन दिया जाता है फिर जांच के बाद इसका भुगतान होता है। इधर स्मार्ट कार्ड लेकर गरीब मरीज नर्सिंग होम्स में भटक रहे हैं। जिले में चार लाख स्मार्ट कार्ड बनाए गए हैं लेकिन स्मार्ट कार्ड का लाभ गरीब परिवारों को काफी कम मिल रहा है।
4 लाख स्मार्ट कार्ड धारक
जिले में चार लाख स्मार्ट कार्ड धारक हैं। लेकिन 80 प्रतिशत स्मार्ट कार्ड में लोगों को लाभ मिलना बंद हो चुका है। पिछले दो साल में नर्सिंग होम्स को केवल 20 प्रतिशत राशि का भुगतान किया गया है। शतप्रतिश भुगतान अभी तक कंपनी द्वारा नहीं किया गया है।
जिले में 85 नर्सिंग होम्स
जिले में 89 नर्सिंग होम्स में स्मार्ट कार्ड में इलाज की सुविधा है परंतु लाखों का बकाया भुगतान नहीं होने के कारण नर्सिंग होम्स संचालकों ने स्मार्ट कार्ड से इलाज करना बंद कर दिया है। संचालकों द्वारा शासन को बिल भुगतान नहीं होने की शिकायत करने के बाद भी भुगतान नहीं हो पा रहा है। कंपनी को दस करोड़ का भुगतान नर्सिंग होम्स को करना है। मगर कम्पनी भुगतान करने में काफी विलंब कर रही है। जिसके कारण गरीब परिवारों का इलाज नहीं हो पा रहा है। गरीबों को अस्पतालों में स्मार्ट कार्ड से इलाज की सुविधा जारी है परंतु सरकारी अस्पतालों का हाल सभी को पता है।  शासन के पास सीनियरों डाक्टरों की फौज होने के बाद भी सरकारी अस्पतालों की हालत काफी खराब है। शासन स्मार्ट कार्ड योजना के तहत गरीब जनता को अच्छे इलाज के लिए 50 हजार की राशि एक साल में देती है। जनता को हर साल शासन 30 हजार का इलाज के लिए सुविधा तो दे रही है। परंतु व्यवस्था में गड़बड़ी के कारण गरीबों को स्मार्ट कार्ड का लाभ नहीं मिल पा रहा है। गरीब जनता स्मार्ट कार्ड को दिखाकर नर्सिंग होम्स में इलाज होता है। स्मार्ट कार्ड से इलाज के बिल का भुगतान इंश्योरेंश कंपनी को करना है।  कंपनी को 31 दिनों के भीतर बिल का भुगतान करना है। भुगतान में देरी होने के कारण स्मार्ट कार्ड में इलाज नर्सिंग होम्स में लगभग बंद हो गया है। कम्पनी का कहना है कि बिलों की जांच करने के बाद बिल का भुगतान किया जाता है। लेकिन डाक्टरों के संघ कहना है कि कंपनी ने बिल का भुगतान कई माह से नहींकिया है जिसके कारण बिल करोड़ों में पहुंच गया है।
कंपनी कमीशन मांगती है
नर्सिंग होम्स संचालकों का कहना है कि इंश्योरेंश कंपनी भुगतान के पहले कमीशन की मांग करती है। जो नर्सिंग होम्स कमीशन नहीं देते उनका भुगतान लटकाए रखते हैं। जबकि डाक्टरों ने शासन को पत्र द्वारा जानकारी दी है कि भुगतान नहीं होता है तो स्मार्ट कार्ड में इलाज करना बंद कर दिया है।
स्वास्थ्य विभाग ने कंपनीको भुगतान करने का आदेश जारी किया है। मगर पिछले दो माहसे कंपनी द्वारा भुगतान ही नहीं किया गया है। एक दिन पूर्व रायपुर में कंपनी के स्वास्थ्य के अधिकारी और डाक्टरों की बैठक हुई बैठक में राशि भुगतान को लेकर विवाद भी हुआ है। इंश्योरेंश कंपनी और नर्सिंग होम्स संचालकों के बीच विवाद के चलते गरीबों का स्मार्ट कार्ड से इलाज नहीं हो पा रहा है।

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