साइकिल को मिला हाथी का साथ
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की दो सीटों- फूलपुर और गोरखपुर में 11मार्च को होने वाले उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए बसपा ने रविवार को अपनी प्रतिद्वंद्वी सपा के उम्मीदवारों को समर्थन देने की घोषणा कर दी;
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की दो सीटों- फूलपुर और गोरखपुर में 11 मार्च को होने वाले उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने रविवार को अपनी प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवारों को समर्थन देने की घोषणा कर दी। मायावती की पार्टी अखिलेश की सपा के साथ हालांकि मंच साझा नहीं करेगी। गोरखपुर और इलाहाबाद में बसपा नेताओं की हुई बैठक में पार्टी कोऑर्डिनेटरों ने सपा प्रत्याशियों को इसी शर्त के साथ समर्थन देने का ऐलान किया। सपा-बसपा के इस रणनीतिक जोड़ ने चुनावी रण में भाजपा की रणनीति को बदलने पर मजबूर कर दिया है। इससे पहले मध्य प्रदेश व राजस्थान के विधानसभा व लोकसभा के उपचुनावों में सत्ताधारी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। दोनों ही सीटों पर 11 मार्च को मतदान होना है।
गोरखपुर क्षेत्र के बसपा कोआर्डिनेटर घनश्याम खरवार ने यह घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी ने सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद को समर्थन देने का निर्णय लिया है। श्री खरवार यहां चंपा देवी पार्क में कार्यकर्ता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि बसपा अध्यक्ष मायावती का आदेश है कि बसपा के प्रत्येक कार्यकर्ता इस उपचुनाव में सपा के उम्मीदवार के लिए घर-घर जाकर वोट मांगे।
70 फीसदी मतदाताओं के समर्थन का दावा
राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि दोनों दलों के एक साथ आने पर पिछड़े, दलित और मुसलमानों का बेहतरीन गठजोड़ बनेगा। इन तीनों की आबादी राज्य में 70 फीसदी से अधिक है। तीनों एक मंच पर आ जाएंगे तो भाजपा के लिये मुश्किल हो सकती है।
2019 में होगा महागठबंधन!
उप चुनावों में सपा उम्मीदवारों को समर्थन दिए जाने की घोषणा के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने 2019 में प्रस्तावित लोकसभा चुनावों में भी गठबंधन की संभावना के साफ-साफ संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा, बसपा का सपा से या अन्य पार्टी से आम चुनाव में गठबंधन होगा तो यह गुपचुप नहीं रहेगा। गठबंधन खुलकर होगा और इसके बारे में मीडिया को सबसे पहले अवगत कराया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन के संकेत देते हुए कहा कि यदि विधानपरिषद व राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के सातों विधायक बसपा का समर्थन करते हैं तो बसपा राजस्थान व मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है।
राज्यसभा चुनाव मिलकर उतारेंगे उम्मीदवार
मायावती ने कहा, बसपा ने सपा से मिलकर राज्यसभा में एक उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है। उन्होंने साफ किया भाजपा यदि अतिरिक्त उम्मीदवार खड़ा करती है तो सपा, बसपा और कांग्रेस एक दूसरे को अपना वोट ट्रांसफर करवाना ही पड़ेगा। भाजपा ने राज्यसभा और विधान परिषद के पिछले चुनाव में अतिरिक्त उम्मीदवार खड़े कर दिये थे। हालांकि, दोनों में अतिरिक्त उम्मीदवार हार गये थे।
1993 में हुआ था सपा-बसपा गठबंधन
वर्ष 1993 में बसपा के तत्कालीन अध्यक्ष कांशीराम और मुलायम सिंह यादव की पार्टी सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा। इसका नतीजा रहा कि 1993 में राम लहर के बावजूद भाजपा सत्ता हासिल करने से चूक गई और सपा-बसपा गठबंधन ने सरकार बनाई और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री चुने गये।