जोहरान ममदानी ने नेहरू को याद किया

दुनिया भर में इस समय दक्षिणपंथी, पूंजीवादी और धार्मिक कट्टरता वाली सोच राजनीति पर हावी हो चुकी है;

Update: 2025-11-05 21:30 GMT
  • सर्वमित्रा सुरजन

दुनिया भर में इस समय दक्षिणपंथी, पूंजीवादी और धार्मिक कट्टरता वाली सोच राजनीति पर हावी हो चुकी है। इसलिए जोहरान ममदानी की जीत एक बड़ी राजनैतिक घटना के तौर पर देखी जा रही है। हालांकि वे अमेरिका के महज एक शहर के मेयर ही चुने गए हैं और इसका वैश्विक राजनीति पर कोई प्रत्यक्ष असर नहीं पड़ने वाला है।

34 बरस के जोहरान ममदानी न्यूयार्क शहर के 111वें मेयर बन गए हैं। जीत के बाद अपने भाषण में ममदानी ने दो मशहूर हस्तियों को याद किया-पं.जवाहरलाल नेहरू और नेल्सन मंडेला। पं. नेहरू ने 14 -15 अगस्त 1947 की आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल में ऐतिहासिक भाषण दिया था, उस ट्रिस्ट विद डेस्टिनी (नियति से मुठभेड़) भाषण की कुछ पंक्तियां जोहरान ममदानी ने उद्धृत की, उन्होंने कहा कि:

'मैं जवाहरलाल नेहरू के शब्दों के बारे में सोचता हूं। एक ऐसा क्षण आता है, जो इतिहास में बहुत कम आता है, जब हम पुराने से नए की ओर कदम बढ़ाते हैं, जब एक युग का अंत होता है, और जब एक राष्ट्र की आत्मा, जो लंबे समय से दबाई गई थी, अभिव्यक्ति पाती है।'

अमेरिका, भारत और पूरी दुनिया में मोदी समर्थकों को ममदानी की ये बातें कानों में बुरी तरह चुभी होंगीं। नेहरूजी के जिंदा रहते और उनकी मौत के 61 साल बाद भी अगर कोई उन्हें इस शिद्दत से याद करता है, तो न जाने संघी मानसिकता के लोगों को यह बात कैसे बर्दाश्त होती होगी। क्योंकि भाजपा ने पहले से नेहरूजी के बारे में तरह-तरह की झूठी बातें फैलाकर उन्हें एक अय्याश व्यक्ति की तरह स्थापित करने की कोशिश की, मानो उन्होंने खानदानी दौलत के बूते ऐशो आऱाम के सिवाए कुछ नहीं किया। लेकिन इतने झूठ प्रचार के बावजूद दुनिया के उदार और लोकतांत्रिक सोच वाले नेता उनके मुरीद हैं। प्रधानमंत्री मोदी जिस देश में जाते हैं, वहां नेहरू-गांधी के विचारों से उनका साक्षात्कार हो ही जाता है, एक ट्रिस्ट विद डेस्टिनी यह भी है। बहरहाल, नेहरूजी के अलावा जोहरान ममदानी ने नेल्सन मंडेला को भी याद किया, जिन्होंने गांधीवादी आदर्शों पर चलते हुए रंगभेद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी और सफल हुए। ममदानी ने कहा कि: 'आज रात हमने इतिहास लिखा है। जैसा कि नेल्सन मंडेला ने कहा था- 'जब तक यह पूरा नहीं हो जाता, यह हमेशा असंभव लगता है'। मेरे दोस्तों, हमने इसे कर दिखाया है।'

नेहरू और मंडेला को याद करते हुए जोहरान ममदानी अब न्यूयार्क की कमान संभालेंगे और वो सारे वादे पूरे करेंगे जो यहां के कामगार, मेहनतकश समुदाय के जीवन को बेहतर बनाएंगे।

जोहरान ममदानी न्यूयार्क के पहले मुस्लिम और पहले दक्षिण एशियाई मूल के पहले मेयर बने हैं। लेकिन उससे भी खास बात यह है कि ममदानी वर्ल्ड ट्रेड ट्विन टावर पर 11 सितंबर 2001 को हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद मुस्लिम होते हुए भी न्यूयार्क शहर के मेयर बने हैं। अलकायदा ने इस आतंकी हमले को अंजाम दिया था, जिसका खामियाजा बरसों तक अल्पसंख्यक समुदाय को शक की निगाहों का सामना करते हुए भुगतना पड़ा। पाठकों को माई नेम इज़ खान एंड आई एम नॉट ए टेरेरिस्ट( मेरा नाम खान है और मैं आतंकवादी नहीं हूं) संवाद याद होगा, जो शाहरुख खान अभिनीत माई नेम इज़ खान फिल्म का है। इस फिल्म या इसी तरह 11 सितंबर के बाद बनी कई फिल्मों में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ हुए भेदभाव को दिखाया गया। हकीकत यह भी है कि राष्ट्रपति कलाम से लेकर शाहरुख खान जैसे प्रतिष्ठित अभिनेता को अमेरिका के विमानतलों पर अपमानजनक तरीकों से सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ा। लेकिन यह अमेरिकी समाज की उदार सोच, व्यापक नजरिया और लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था का कमाल है, जिसने अल्पसंख्यकों के खिलाफ चलाए गए कट्टरपंथी अभियान के आगे सिर नहीं झुकाया।

जब वर्ल्ड ट्रेड टावर पर आतंकी हमला हुआ, उस समय जोहरान ममदानी केवल 9 बरस के थे, और मैनहटन में ही रह रहे थे। लेकिन उनकी धार्मिक पहचान पर इस घटना को लेकर हमले हुए। साउथ कैरलाइना से रिपब्लिकन पार्टी की प्रतिनिधि नैंसी मैक ने 25 जून को एक पोस्ट में ईद पर ज़ोहरान ममदानी के कुर्ते पायजामे वाली तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था, '9/11 के बाद हमने कहा था- हम कभी नहीं भूलेंगे। मुझे लगता है कि हम भूल गए। यह बहुत ही दुखद है।' नैंसी मैक ने कुर्ते पायजामे को आतंकवाद से जोड़ दिया। कट्टरपंथ और संकीर्ण मानसिकता से चलने वाले लोग इसी तरह भावनाओं को भुनाने का काम करते हैं। याद कीजिए 2019 झारखंड चुनावों में नरेन्द्र मोदी ने कपड़ों से अल्पसंख्यकों की पहचान की बात कही थी। जोहरान ममदानी पर मुसलमान होने के नाम पर कई हमले हुए, उनके परिवार को धमकियां मिलीं। लेकिन वे इनसे विचलित नहीं हुए। बल्कि उन्होंने कहा कि: 'मैं किसी ऐसे देश का समर्थन नहीं कर सकता जहां नागरिकता धर्म या किसी और आधार पर बांटी जाती हो। हर देश में समानता होनी चाहिए, यही मेरा विश्वास है।' यह बात उन्होंने इजरायल को यहूदी देश के तौर पर मान्यता देने के विरोध में कही थी। हालांकि इससे पता चलता है कि ममदानी का नागरिक समानता और मानवाधिकारों पर कितना यकीन है।

अमेरिका की नागरिकता और बचपन से वहीं जीवन गुजारने के बावजूद उनकी भारतीय मूल का होने की पहचान समय-समय पर सामने आती रही। उनके प्रचार कार्यक्रम काफी रोचक होते थे, जिसमें वे अक्सर हिंदी फिल्मों पर आधारित करते थे। यहां तक कि मेयर चुनाव जीतने के बाद उन्होंने जब जनता को संबोधित किया तो उसमें पीछे धूम मचा ले का टाइटल ट्रैक बज रहा था। हिंदी फिल्मों का ऐसा असर जोहरान ममदानी पर स्वाभाविक है। वे सलाम बॉम्बे, मॉनसून वेडिंग, द नेमसेक जैसी उम्दा फिल्म बनाने वाली मीरा नायर के बेटे हैं। उनके पिता महमूद ममदानी राजनीति शास्त्र के ज्ञाता और शिक्षक हैं। महमूद ममदानी के परिवार का गुजरात से नाता है। लिहाजा जोहरान ममदानी अपनी गुजराती पहचान का जिक्र भी करते हैं।

2002 के गुजरात दंगों में जिस तरह मुसलमानों का बड़े पैमाने पर कत्लेआम हुआ और उसमें आज तक इंसाफ का इंतजार है, उस बारे में भी जोहरान ममदानी खुलकर बोलते रहे हैं। नरेन्द्र मोदी और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को जोहरान एक ही पलड़े पर तौलते हैं। इस वजह से रिपबल्किन पार्टी के नेता तो जोहरान ममदानी से चिढ़ते ही हैं, अमेरिका में रहने वाले कट्टरपंथी हिंदुओं का एक धड़ा भी उनके खिलाफ ही था। डोनाल्ड ट्रंप ने इसी का फायदा उठाते हुए मेयर चुनाव से ठीक पहले न्यूयार्क शहर को एक तरह से धमकी देते हुए कहा था कि 'यदि वामपंथी उम्मीदवार जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क शहर के महापौर पद पर चुनाव जीतते हैं, तो संभव है कि मैं अपने प्यारे पहले घर के लिए आवश्यक न्यूनतम राशि के अलावा संघीय निधि से कोई और मदद नहीं करूंगा, क्योंकि एक वामपंथी के रूप में, इस महान शहर की सफलता या यहां तक कि अस्तित्व में बने रहने की कोई संभावना नहीं है! किसी वामपंथी के सत्ता में आने से हालात और बदतर हो सकते हैं, और मैं राष्ट्रपति होने के नाते, खराब स्थिति में पैसा नहीं भेजना चाहता। देश चलाना मेरा दायित्व है, और मेरा दृढ़ विश्वास है कि अगर ममदानी जीत गए तो न्यूयॉर्क शहर पूरी तरह से आर्थिक और सामाजिक रूप से तबाह हो जाएगा।' ट्रंप ने ममदानी को निवार्सित करने की धमकी भी दी थी, लेकिन इसके बावजूद जनता ने ममदानी के लिए ही वोट किया।

ट्रंप ने जिस तरह उनके वामपंथी विचारों की भर्त्सना की है, वह स्वाभाविक है। क्योंकि राजनीति भी ट्रंप के लिए व्यापार का ही एक जरिया है। एलन मस्क ने भी जोहरान ममदानी का विरोध किया था। मस्क भी बड़े व्यापारी ही हैं।

दुनिया भर में इस समय दक्षिणपंथी, पूंजीवादी और धार्मिक कट्टरता वाली सोच राजनीति पर हावी हो चुकी है। इसलिए जोहरान ममदानी की जीत एक बड़ी राजनैतिक घटना के तौर पर देखी जा रही है। हालांकि वे अमेरिका के महज एक शहर के मेयर ही चुने गए हैं और इसका वैश्विक राजनीति पर कोई प्रत्यक्ष असर नहीं पड़ने वाला है। मगर इसके दूरगामी असर की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।

जोहरान ममदानी की जीत को डोनाल्ड ट्रंप के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि इस ऐतिहासिक जीत के बाद अब ममदानी की असली परीक्षा शुरु होगी। क्योंकि अमेरिका की सत्ता इस समय ट्रंप जैसे इंसान के हाथ में है, जिसके लिए सबसे पहले व्यापारिक लाभ है, बाकी सारी चीजें दोयम हैं। ट्रंप अपनी इस हार को आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे और हर तरह से ममदानी को झुकाने की कोशिश करेंगे। कट्टरपंथी और पूंजीवाद के जरिए शोषण के हिमायती लोग इसमें उनका साथ देंगे, ऐसे में जोहरान ममदानी को अपने राजनैतिक कौशल से इन बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। मगर फिलहाल कट्टरपंथ पर उदारवाद की जीत के जश्न का मौका है। बाकी नेहरू और मंडेला को याद कर जोहरान ममदानी ने जाहिर कर दिया है कि वह किस तरह अपने विरोधियों का मुकाबला करेंगे। 

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