असहिष्णुता है, 'टैरिफ युद्ध' की वजह

भारत पर अधिकतम 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अलावा अमेरिका ने दुनिया के लगभग 67 देशों पर 'व्यापार टैरिफ' लगाया है;

By :  Deshbandhu
Update: 2025-09-05 19:12 GMT
  •  रमाकांत नाथ

भारत पर अधिकतम 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अलावा अमेरिका ने दुनिया के लगभग 67 देशों पर 'व्यापार टैरिफ' लगाया है। 'व्यापार शुल्कों' में यह वृद्धि और कमी भारत के विरुद्ध एक सुनियोजित लेन-देन के रूप में देखी जा सकती है। स्पष्ट है, डोनाल्ड ट्रंप भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करने का काम कर रहे हैं। भारत पर अमेरिकी 'व्यापार शुल्कों' का प्रभाव बहुत बड़ा होगा

द्वितीय विश्वयुद्ध' के बाद से जारी 'शीतयुद्ध' की समाप्ति ने अमेरिका को विश्व की एकमात्र शक्ति बना दिया था। दुनिया के लगभग सभी देश अमेरिका के इर्द-गिर्द प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम कर रहे थे। इस अवसर का लाभ उठाकर अमेरिका ने अपने पूंजी बाजार का विस्तार और पूरी दुनिया में पूंजीवाद को सक्रिय करने का प्रयास किया।

अमेरिका के उकसावे पर 'विश्व व्यापार संगठन' (डब्ल्यूटीओ) ने दुनियाभर में व्यापार का विस्तार करके अमेरिकी पूंजी बाजार को अप्रत्यक्ष रूप से मजबूत करने का असफल प्रयास किया था। व्यापार के आधार पर दुनिया के बंट जाने से अमेरिका के हितों को भारी नुकसान पहुंचा। 'शीतयुद्ध' में सोवियत संघ अमेरिका के प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरा था, लेकिन बाद में रूस, चीन और जापान जैसी महाशक्तियां अमेरिका के सामने आईं। भारत, इजरायल और ब्राजील भी विकासशील देशों की सूची से उठकर विकसित देशों की दौड़ में शामिल हो गए। ऐसे में अमेरिका का नेतृत्व दुनिया में काफी हद तक अप्रभावी होता गया।

इसी तरह पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बाद ईरान को परमाणु शक्ति-संपन्न देशों की सूची में शामिल करने से अमेरिका का प्रभाव दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है। जब व्यापार ने दुनिया को कई क्षेत्रों में बांट दिया है और इसके कारण अमेरिकी पूंजी बाजार को व्यापक नुकसान पहुंच रहा है, तब अमेरिका असहिष्णु हो गया है। इसी असहिष्णुता के परिणामस्वरूप अमेरिका ने अपने आयातों को लेकर पूरी दुनिया को फिर से एक क्षेत्र में बदलने की कोशिश शुरू कर दी है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जहां दुनिया के कई देशों पर 'व्यापार कर' (टैरिफ) बढ़ाकर उनकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं वे अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करके अमेरिका को फिर से दुनिया का नंबर एक देश बनाने का सपना देख रहे हैं। इसी वजह से वे 'अमेरिका को फिर से महान बनाओ' (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन, 'मागा') का आह्वान कर रहे हैं।

आज व्यापार पूरी दुनिया के देशों, उनकी अर्थव्यवस्थाओं और करोड़ों लोगों को नियंत्रित कर रहा है। देशों के बीच व्यापार आधारित असहिष्णुता फैल रही है। विशेष रूप से अमेरिका इस असहिष्णुता का शिकार हुआ है और इसके परिणामस्वरूप विश्व में एक नया युद्ध शुरू हो गया है, जिसे कई लोग 'टैरिफ युद्ध' या 'व्यापार युद्ध' का नाम दे रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में 2018 से 2021 के बीच कुछ क्षेत्रों में टैक्स लगाए थे। अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप 2025 से व्यापार-करों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं और अमेरिका को फिर से दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाने, अमेरिकी सीमा की सुरक्षा, कनाडा और मेक्सिको के साथ संघर्ष को समाप्त करने, विश्व में शांति और स्थिरता बनाए रखने, परमाणु युद्ध की भयावहता से बचने आदि की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वे 'कर-युद्ध' फांद रहे हैं; लेकिन इसका कारण वह नहीं है जो कहा या प्रकाशित किया जा रहा है।

इस युद्ध का मुख्य कारण असहिष्णुता है। इसी वजह से अमेरिका की पहल पर दुनिया एक 'व्यापार युद्ध' में प्रवेश कर गई है। ट्रंप को अपने पहले कार्यकाल के दौरान चीन पर 20 प्रतिशत 'व्यापार शुल्क' लगाने के लिए आलोचना का सामना भी करना पड़ा था, जिससे अमेरिका में 60 प्रतिशत चीनी आयात प्रभावित हुए थे और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा था। मई 2019 में ट्रम्प ने पड़ोसी मेक्सिको पर 25 प्रतिशत 'व्यापार शुल्क' लगाने की धमकी दी थी, जिससे मेक्सिको को अमेरिकी आधीनता स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

सन् 2020 में ट्रंप प्रशासन ने कनाडा और मेक्सिको के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे 'अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौता' कहा जाता है, जिसने इन देशों के बीच व्यापार पर टैरिफ को समाप्त कर दिया। इस समझौते के छह महीने बाद ट्रंप प्रशासन ने कनाडा से एल्युमीनियम आयात पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया, जिसे कनाडा के विरोध के बाद वापस ले लिया गया। ट्रंप का पहला कार्यकाल विवादास्पद था और वे उससे सीखने में विफल रहे। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की दुनिया भर में अमेरिकी 'व्यापार टैरिफ' का विस्तार करने के लिए आलोचना हुई। उसने दुनिया को एक और आर्थिक मंदी में धकेल दिया।

भारत पर अधिकतम 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अलावा अमेरिका ने दुनिया के लगभग 67 देशों पर 'व्यापार टैरिफ' लगाया है। 'व्यापार शुल्कों' में यह वृद्धि और कमी भारत के विरुद्ध एक सुनियोजित लेन-देन के रूप में देखी जा सकती है। स्पष्ट है, डोनाल्ड ट्रंप भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करने का काम कर रहे हैं। भारत पर अमेरिकी 'व्यापार शुल्कों' का प्रभाव बहुत बड़ा होगा और इसका असर शुरू भी हो चुका है। भारत के पास अतिरिक्त कर वृद्धि से बचने का एक अवसर था, लेकिन भारत सरकार ने ट्रंप प्रशासन से इस पर चर्चा नहीं की। परिणामस्वरूप अमेरिका को भारत का वार्षिक निर्यात, जो 48 मिलियन डॉलर का है, सीधे प्रभावित होगा। 'ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव' ने कहा है कि भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर 66 प्रतिशत प्रभाव पड़ेगा। इसका असर वस्त्र, परिधान, आभूषण, पशुओं की खाल, जूते, पशु उत्पाद आदि के निर्यात पर पड़ेगा।

भारत को असली नुकसान उसके पड़ोसी देशों से होगा। अमेरिका ने भारत के पड़ोसियों और अन्य एशियाई देशों जैसे चीन, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, पाकिस्तान, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम जैसे देशों पर बहुत कम 'व्यापार कर' लगाए हैं। उन देशों का सामान अमेरिकी बाजार में सस्ता होगा और नतीजे में ये पड़ौसी देश भारत से ज़्यादा समृद्ध होंगे। अमेरिका ने भारत में निर्मित इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, दवाओं और ऊर्जा उत्पादों पर कर नहीं लगाया है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में भारत में बेरोजगारी निश्चित है। ऐसे में भारत के पास यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व के देशों और अफ्रीकी देशों में अपने व्यापार का विस्तार करने का एक विकल्प है। भारत अमेरिकी आयात पर 'व्यापार कर' बढ़ा सकता है।

'अबकी बार (की) ट्रम्प सरकार' भारतीयों को युद्धबंदी बनाकर हाथ-पैर में हथकड़ी-बेडी लगाकर वापस भेजने, 'ऑपरेशन सिंदूर' को समाप्त करने, विश्व मंच पर भारत को कई बार अपमानजनक परिस्थितियों में डालने और भारत को नुकसान पहुंचाने के अनगिनत प्रयासों के काम कर रही है। अमेरिका के अपराधियों में से एक भारतीय 'साहूकार' को बचाने की कोशिश में 140 करोड़ लोगों को असहनीय पीड़ा में धकेला जा रहा है। यह 'साहूकार प्रेम' और अमेरिका की असहिष्णुता के कारण करोड़ों भारतीयों को युद्ध के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

(लेखकओडिशा के वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। )

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