डॉक्टरों से मारपीट हो गैरजमानती व 14 वर्ष हो सजा : आईएमए की मांग
देश के 75 प्रतिशत से अधिक चिकित्सक किसी न किसी प्रकार की हिंसा का सामना कर चुके हैं;
नई दिल्ली। देश के 75 प्रतिशत से अधिक चिकित्सक किसी न किसी प्रकार की हिंसा का सामना कर चुके हैं और करीबन 18 राज्यों में कानून हैं जो इन मामलों पर नियंत्रण रखने के लिए हैं, बावजूद इसके चिकित्सकों को मरीजों के रिश्तेदारों के गुस्से का शिकार होना पड़ जाता है, क्योंकि कानूनों का ठीक प्रकार से पालन नहीं किया जा रहा है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दावा किया कि ऐसे हमलों के तमाम वीडियो देखने के बाद पाया कि ये हमले कंगारू कोर्ट की तरह होते हैं, जिनमें एक व्यक्ति पहल करता है और वहां मौजूद अन्य व्यक्ति तोड़फोड़ में शामिल हो जाते हैं, भले ही उनका उस मामले से कोई वास्ता हो या न हो।
कंगारू कोर्ट की तुलना उन हमलों से की जा सकती है, जो बिना सोचे समझे किये जाते हैं और जिनमें भीड़ यकायक हिंसक हो जाती है, भले ही उसे तथ्यों की जानकारी हो या न हो। अभी तक, ऐसी हिंसा चोरों, जेबकतरों और महिलाओं से छेड़छाड़ करने वालों के साथ हुआ करती थी। परंतु, चिकित्सकों के ऊपर ऐसे हमले सुनने में नहीं आते थे। इन घटनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
डॉक्टरों व चिकित्सा कर्मियों पर ऐसे हमले होना चिंता का विषय है और अब समय आ गया है कि इस पेशे की गरिमा और सम्मान को बरकरार रखने की दिशा में कदम उठाये जाएं।
आईएमए के अध्यक्ष पदमश्री डॉ. केके अग्रवाल तथा मानद महासचिव डॉ. आरएन टंडन कहते हैं कि 'डॉक्टरों के विरुद्ध किसी भी तरह की हिंसा दंडनीय अपराध होनी चाहिए। यह एक गैर जमानती अपराध होना चाहिए जिसमें कम से कम 14 वर्ष सजा का प्रावधान हो।’
उन्होंने कहा कि देश भर में आपात सेवाओं के दौरान डॉक्टरों पर सर्वाधिक हिंसा होती है और ऐसे 48.8 प्रतिशत मामले आईसीयू में या सर्जरी के दौरान होते हैं। जैसा कि फिल्मों में दिखाया जाता है, ऐसी घटनाओं के बाद पुलिस असहाय की तरह मौके पर पहुंचती है और उसके पास कई तरह के बहाने होते हैं।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि, 'ऐसी घटनाओं में शामिल प्रत्येक व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। अस्पताल के अधिकारियों को ऐसी वारदातों पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और इनसे बचने के लिए उचित कदम उठाये जाने चाहिए। अस्पतालों को सुरक्षित स्थान घोषित कर देना चाहिए और लोगों को आईसीयू अथवा सर्जरी रूम के बाहर भीड़ नहीं लगाने देना चाहिए। इसके अलावा, रिश्तेदारों के बैठने का स्थान काफी दूर होना चाहिए तथा मृतक के शरीर को रिश्तेदारों के सामने से नहीं ले जाना चाहिए।’