कोलकाता की घटना के बाद दिल्ली के डॉक्टरों ने भी बंद किया काम

देश की राजधानी के कई सरकारी अस्पतालों के सीनियर और जूनियर डॉक्टर पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के समर्थन में उतर आए;

Update: 2019-06-14 13:53 GMT

नई दिल्ली। देश की राजधानी के कई सरकारी अस्पतालों के सीनियर और जूनियर डॉक्टर पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने आज प्रतीकात्मक हड़ताल कर काम का बहिष्कार किया।

अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर, सभी आउट पेशेंट विभागों (ओपीडी), रूटीन ऑपरेशन थिएटर सेवाओं और वार्ड विजिट्स को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरजंग अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सांकेतिक विरोध में अपने सिर पर पट्टियां बांधकर प्रदर्शन किया और सभी गैर-आपातकालीन सेवाओं को निलंबित कर दिया।

केवल पूर्व नियुक्ति वाले रोगियों को ओपीडी में पंजीकृत किया जा रहा था, जबकि नए रोगियों का पंजीकरण एम्स और सफदरजंग अस्पतालों में संकाय की उपलब्धता के अनुसार किया जा रहा था।

डायग्नोस्टिक सेवाएं भी निर्बाध रूप से काम नहीं कर रही हैं।

कोलकाता में 75 वर्षीय बुजुर्ग की इलाज के दौरान हुई मौत के बाद प्रशिक्षु डॉक्टर की बेरहमी से की गई पिटाई के विरोध में कई रेजीडेंट डॉक्टरों ने जंतर-मंतर पर भी देर सोमवार को प्र्दशन किया।

बंगाल में हिंसा की निंदा करते हुए, एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने देश भर के सभी आरडीए के सदस्यों को प्रतीकात्मक हड़ताल में शामिल होने का आग्रह किया है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी अपनी सभी राज्य की शाखाओं के सदस्यों से शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन करने और काले बैज पहनने को कहा है।

वहीं, कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दो डॉक्टरों पर हमले के विरोध में पश्चिम बंगाल में मंगलवार से ही जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं।

हड़ताल को देखते हुए, एम्स ने भर्ती मरीजों की देखभाल के लिए आकस्मिक उपाय किए हैं, जिनमें आईसीयू और वार्ड शामिल हैं।

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