अधिवक्तागण न्यायपालिका के घटक हैं तथा समाज के न्यासी हैं : नाईक
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि जनतंत्र के तीन स्तम्भों विधायिका, कार्यपालिक और न्यायपालिका हैं और अधिवक्तागण न्यायपालिका के घटक हैं तथा समाज के न्यासी हैं;
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि जनतंत्र के तीन स्तम्भों विधायिका, कार्यपालिक और न्यायपालिका हैं और अधिवक्तागण न्यायपालिका के घटक हैं तथा समाज के न्यासी हैं।
श्री नाईक ने मंगलवार को यहां गांधी भवन प्रेक्षागृह में अधिवक्ता जन सेवा संस्थान द्वारा आयोजित 31वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्री नाईक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश को स्वतंत्रता दिलाने में वकीलों का महत्वपूर्ण योगदान है, वास्तव में उनका सहयोग अपने आप में एक अध्याय है।
उन्होंने कहा कि अधिवक्ता जन सेवा संस्थान से छात्र और युवा वर्ग जुड़ा है, इसलिए संस्थान युवा वर्ग को देश की पूंजी मानकर उनको आगे बढ़ाने का काम करे। उन्होंने कहा कि सामुदायिक तौर पर काम करने के निश्चित रूप से अच्छे परिणाम होते हैं।
श्री नाईक ने कहा कि स्थापना दिवस का अवसर संस्था के लिए सिंहावलोकन की प्रेरणा देता है। 31 वर्षों से संस्थान द्वारा निरन्तर समाज सेवा का कार्य किया जा रहा है। संस्था द्वारा ‘सबका साथ सबका विकास’ की धारणा से वंचित लोगों को सहायता देने का कार्य अभिनन्दनीय है। जन-जन तक ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की संस्कृति को पहंुचाये। उन्होंने कहा कि अपने व्यवसाय की गरिमा को बनाये रखते हुए जनसेवा के कार्यों के माध्यम से समाज, प्रदेश एवं देश को आगे बढ़ाने में योगदान करें।
इस मौके पर न्यायमूर्ति सुधीर सक्सेना अध्यक्ष राज्य लोक सेवा अधिकरण ने कहा कि अधिवक्ता जन सेवा संस्थान के लक्ष्य सराहनीय हैं। अधिवक्ताओं को कड़ा परिश्रम और संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता जरूरतमंदों को निःशुल्क कानूनी सलाह देने में सहयोग दें।
श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने अधिवक्ताओं की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि महात्मा गांधी, पं0 नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल और बाबा साहेब डाॅ0 आंबेडकर जैसे अनेक वकीलों ने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। समाज को आप से बहुत अपेक्षाएं हैं। न्याय का पक्ष मजबूती से रखना वकीलों का दायित्य है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता समाज का एक प्रबुद्ध वर्ग है।
स्थापना दिवस के अवसर पर समाज सेवा के लिए वी पी श्रीवास्तव तथा शिक्षा के क्षेत्र में काम करने लिए पीयूष मिश्रा को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।