छत्तीसगढ़ में आदिवासियों ने शुरू किया पत्थलगड़ी आंदोलन से दूरी बनाना
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के अधिकारों में कटौती करने की बातों को लेकर शुरू किये गए पत्थलगढ़ी आन्दोलन से अब ज्यादातर आदिवासियों ने दूरी बनानी शुरू कर दी है;
पत्थलगांव। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के अधिकारों में कटौती करने की बातों को लेकर शुरू किये गए पत्थलगढ़ी आन्दोलन से अब ज्यादातर आदिवासियों ने दूरी बनानी शुरू कर दी है।
जशपुर जिले में बगीचा जनपद की ग्राम पंचायत बटूंगा और कलिया में पत्थलगढ़ी आन्दोलन की शुरूआत के बाद शनिवार को कलिया ग्रामसभा की बैठक में ज्यादातर आदिवासियों ने अपने अधिकारों में कटौती करने की बातों को बेबुनियाद बताया। इस ग्रामसभा में पत्थलगढ़ी आन्दोलन से जुड़े 8 आरोपियों को जेल से रिहा करने के प्रस्ताव को भी भारी बहुमत के साथ खारिज कर दिया।
बगीचा जनपद उपाध्यक्ष मुकेश शर्मा ने आज बताया कि शनिवार को ग्राम पंचायत कलिया में आयोजित ग्रामसभा में पत्थलगढ़ी आन्दोलन का विस्तार तथा इससे जुड़े आठ समर्थकों की जमानत के पक्ष में प्रस्ताव रखा गया था। इस प्रस्ताव को कलिया गांव के आदिवासियों ने भारी बहुमत के साथ खारिज कर दिया। ग्राम सभा में उपस्थित ग्रामीणों का कहना था कि आदिवासियों के अधिकारों में कटौती होने की सभी बातें बेबुनियाद हैं। पत्थलगढ़ी आन्दोलन से सर्व आदिवासी समाज को कोई लेना देना नहीं है।
ग्राम पंचायत कलिया से एक दिन पहले ग्राम बटूंगा में भी ग्रामसभा की बैठक में पत्थलगढ़ी आन्दोलन से जुड़े पूर्व आईएएस अधिकारी हेरमोन मिंज सहित आठ लोगों की जमानत का प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है।
पुलिस अधीक्षक प्रशांत सिंह ठाकुर ने आज यूनीवार्ता को बताया कि बगीचा तहसील अन्तर्गत ग्राम बटूंगा, कलिया सहित अन्य सभी गांवों में स्थिति पूरी तरह सामान्य है। यहां दो महीने पहले आदिवासियों का पत्थलगढ़ी आन्दोलन के दौरान पुलिस अधिकारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी को बंधक बनाने के मामलों में आरोपियों को जेल भेजे जाने के बाद अभी तक न्यायालय से जमानत नहीं मिल पाई है।