स्टापडेम निर्माण में अनियमितता का आरोप

शासन के कुछ ऐसे विभाग होते है जिसमें गैर तकनीकी अधिकारी-कर्मचारी ही निर्माण कार्य के ठेकेदार होते हैं और  वहीं उस कार्य के इंजीनियर भी होते है...;

Update: 2017-04-03 11:52 GMT

अम्बिकापुर। शासन के कुछ ऐसे विभाग होते है जिसमें गैर तकनीकी अधिकारी-कर्मचारी ही निर्माण कार्य के ठेकेदार होते हैं और  वहीं उस कार्य के इंजीनियर भी होते है उस काम का मेजरमेंट का काम भी खुद करते है। ऐसे में निर्माण कार्य के गुणवत्ता और विश्वसनीयता की बात बेईमानी से ज्यादा कुछ नहीं हो सकती है। सरगुजा में ऐसी ही एक घटिया निर्माण की खबर सतह पर आई है। मामला कृषि विभाग के अधीन संचालित भूमि संरक्षण विभाग का है, जिसके द्वारा जिले के बांसाझाल में बनाए जा रहे स्टाप बरसात के पहले ही बहने की आशंका बनी हुई है।

आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले में भोले-भाले आदिवासियों को गैर जागरुकता का फायदा निर्माण कार्य मे लगे लोग आसानी से उठा लेते है। ऐसा ही इन दिनों सरगुजा जिले के लुण्ड्रा विकासखण्ड के सुदूर पहाड़ी के नीचे बसे बांसाझाल गांव मे देखा जा रहा है।  इस गांव के पहाड़ी नाले में भूमि संरक्षण विभाग के द्वारा 14 लाख की लागत से स्टाप डेम बनाया जा रहा है,  जिसमें 24 तगाड़़ी गिट्टी, 17 तगाड़ी बालू, 2 तगाड़ी सीमेंट का मसाला बनाकर विभाग द्वारा खुद काम कराया जा रहा है।  जबकि स्टीमेट के मुताबिक 1 तगाड़ी सीमेंट, तीन तगाड़ी बालू और 6 तगाड़ी गिट्टी का मसाला बनाकर स्टाप डेम का निर्माण कराया जा रहा है।  

इतना ही नही निर्माण कार्य मे नाले की मिट्टी युक्त बालू का इस्तेमाल किए जाने से स्थानिय लोग ये मान रहे है कि निर्माण पूर्ण होने के बाद पहली ही बरसात मे ये स्टाप डेम बह जाएगा और तो और इस निर्माण मे लगे वो श्रमिकों के बयान भी गुणवत्ता पर सवाल खडा कर दिया है।इधर कृषि विभाग के अधीन काम करने वाले भूमि संरक्षण अधिकारी की देखरेख मे ये काम चल रहा है वो हाथ से ही जमीदोंज होने वाले घटिया निर्माण को बेहतर काम बता कर हमें आईना दिखाने का प्रयास करते रहे।

 इतना ही नही उन्होने अपने आप को टेकिनकल एक्सपर्ट बताने से भी गुरेज नही किया, जबकि वो किसी भी प्रकार से तकनीकी एक्सपर्ट नही बल्कि कृषि विभाग के कर्मचारी है। ओहदेदार अधिकारी की जुबान से घटिया निर्माण मे ये दिलेरी भरे बयान से ही आप खुद समझ सकते है कि शासकीय राशि के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की कहानी में कितना दम है क्योकि इन अधिकारी एमआर भगत ने निर्माण के संबध मे कहा कि कोई अपने बेटा को काना थोड़ी कहेगा। 
 

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