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योग का आधार जीवन में शुद्घता, पवित्रता : निरंजनानंद

योगाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने यहां रविवार को कहा कि योग का आधार जीवन में शुद्घता और पवित्रता है, और इस दिशा में लगातार कार्य किए जा रहे हैं

योग का आधार जीवन में शुद्घता, पवित्रता : निरंजनानंद
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मुंगेर। योगाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने यहां रविवार को कहा कि योग का आधार जीवन में शुद्घता और पवित्रता है, और इस दिशा में लगातार कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि योग के दूसरे चरण का लक्ष्य भी यही निर्धारित किया गया है। मुंगेर स्थित बिहार योग विद्यालय के स्थापना दिवस पर 'गंगा दर्शन' में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए निरंजनानंद ने कहा, "योग एक संस्कृति है। योग तथा संन्यास संस्कृति के अंग हैं। सुख, शांति और सहयोग की स्थापना दोनों के लक्ष्य हैं। मुंगेर का बिहार योग विद्यालय परमहंस सत्यानंद सरस्वती के समर्पण का प्रतीक है।"

योग के संबंध में विभिन्न प्रकार की भ्रांतियों के बारे में उन्होंने कहा, "10 आसन, कुछ एक प्राणायाम करने से कोई योगी नहीं हो जाता। योग का आधार जीवन में शुद्घता और पवित्रता है। इसी कारण इसका नाम गंगा दर्शन है। गंगा अपने आप में पवित्रता का प्रतीक है। योग अध्यात्मिक चेतना की प्राप्ति का माध्यम है।"

उन्होंने कहा, "चित्त, भाव और मन मनुष्य के अधीन हैं। तरह-तरह के विकारों से ग्रसित होते हैं। ज्ञान के दीप तभी जलेंगे, जब हम साकारात्मक और रचनात्मक कार्यो से जुडें़गे।"

कैलाश धाम आश्रम, नासिक के प्रमुख और आह्वानी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी संविदानंद सरस्वती ने कहा, "वर्ष 1850 से लेकर वर्ष 1960 तक की अवधि काफी महत्वपूर्ण रही है। इस दौरान स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद, स्वामी शिवानंद, स्वामी सत्यानंद जैसे तपस्वी हुए। इसी अवधि में स्वामी निरंजनानंद का भी जन्म हुआ।"

उन्होंने कहा, "संत ईश्वर की पंसद हैं, क्योंकि वे हमेशा दूसरों के लिए काम करते हैं। वे अनंत की ओर लेकर जाते हैं।"

बिहार योग विद्यालय के स्थापना दिवस वर्ष की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसका स्थापना वर्ष 1963 है, जिसका योग पूर्णाक है और परमात्मा की आराधना भी पूर्णाक के ²ष्टिकोष से ही करना चाहिए।

इस मौके पर स्वामी शिवध्यानम ने कहा, "यह आश्रम ब्रह्मलीन परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने योग को नगर-नगर, डगर-डगर तक पहुंचाया। योग को वैज्ञानिक मान्यता भी दिलाई। उनके इस अभियान को स्वामी निरंजनानंद ने आगे बढ़ाया। वर्ष 2013 में घोषणा की कि योग का द्वितीय अध्याय आरंभ हो गया है।"

चार दिनों के स्थापना दिवस समारोह के दौरान दक्षिण भारत के ललिता महिला समाजम की योगिनियों द्वारा श्रीयंत्र की आराधना की गई। बसंत पंचमी के दिन गुरु पूजा, हवन, स्त्रोत पाठ और भजन कीर्तन किया गया।

समापन सत्र की शुरुआत में बाल योग मित्रमंडल के बच्चों ने सुमधुर स्वर में कीर्तन प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस मौके पर स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने गुरु आराधना के भजन किए।


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