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एलन मस्क को मिली कानूनी जीत: ऑस्ट्रेलिया में वीडियो से हटा बैन, चार्ली किर्क हत्या की थी क्लिप

नई दिल्ली, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलिया की सरकार डिजिटल नियमों को लेकर किसी भी अन्य देश के मुकाबले थोड़ी ज्यादा सख्त है। टीनएजर्स के लिए एज लिमिट सेट करने को लेकर दुनिया ने तारीफ की। हाल ही में एक वीडियो पर ऑस्ट्रेलिया में बैन लगाया गया। ये चार्ली किर्क हत्या का क्लिप था। एक्स पर इसे दुनिया भर में लोग देख रहे थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने इस पर तुरंत रोक लगा दी। बात अदालत तक पहुंची।

एलन मस्क को मिली कानूनी जीत: ऑस्ट्रेलिया में वीडियो से हटा बैन, चार्ली किर्क हत्या की थी क्लिप
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एलन मस्क की बड़ी जीत: ऑस्ट्रेलिया में चार्ली किर्क शूटिंग वीडियो से पाबंदी हटी

नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया की सरकार डिजिटल नियमों को लेकर किसी भी अन्य देश के मुकाबले थोड़ी ज्यादा सख्त है। टीनएजर्स के लिए एज लिमिट सेट करने को लेकर दुनिया ने तारीफ की। हाल ही में एक वीडियो पर ऑस्ट्रेलिया में बैन लगाया गया। ये चार्ली किर्क हत्या का क्लिप था। एक्स पर इसे दुनिया भर में लोग देख रहे थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने इस पर तुरंत रोक लगा दी। बात अदालत तक पहुंची।

अब एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी एक्स को ऑस्ट्रेलिया में एक अहम कानूनी जीत मिली। फैसला इनके पक्ष में आया। इस फैसले के बाद अब ऑस्ट्रेलियाई यूजर उस वीडियो फुटेज को देख सकेंगे, जिसमें अमेरिकी दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता किर्क की गोली मारकर हत्या के दृश्य रिकॉर्ड हुए थे। यह मामला सिर्फ एक वीडियो को लेकर नहीं था, बल्कि इसने 'ऑनलाइन सेंसरशिप, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सरकारों की डिजिटल ताकत' पर बड़ी बहस छेड़ दी है।

दरअसल, चार्ली किर्क की सितंबर 2025 में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के तुरंत बाद शूटिंग से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर फैल गए। ऑस्ट्रेलिया की 'ई-सेफ्टी कमिश्नर' ने इन वीडियो को अत्यधिक हिंसक बताते हुए इन्हें "रिफ्यूज्ड क्लासिफिकेशन" (वर्गीकरण से इनकार कर दिया) श्रेणी में डाल दिया था। इसका मतलब यह था कि ऑस्ट्रेलिया में इन वीडियो को पूरी तरह ब्लॉक किया जाना चाहिए और किसी भी प्लेटफॉर्म पर इन्हें दिखाया नहीं जा सकता।

एलन मस्क की कंपनी एक्स ने इस आदेश को चुनौती दी। कंपनी का तर्क था कि यह वीडियो सनसनी फैलाने या हिंसा का महिमामंडन करने के लिए नहीं है, बल्कि एक 'वास्तविक और ऐतिहासिक घटना का दस्तावेज' है, ठीक उसी तरह जैसे इतिहास में दर्ज कई अन्य हिंसक लेकिन महत्वपूर्ण रिकॉर्डिंग्स रही हैं। एक्स ने यह भी कहा कि अगर किसी एक देश के कानून के आधार पर वैश्विक प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाने लगे, तो यह इंटरनेट की खुली प्रकृति के लिए खतरनाक मिसाल बन जाएगी। एक्स ने अपनी दलील में इस वीडियो की तुलना जॉन एफ कैनेडी की हत्या के वीडियो से की।

मामला ऑस्ट्रेलिया के 'क्लासिफिकेशन रिव्यू बोर्ड' के पास पहुंचा, जिसने पहले के फैसले को पलट दिया। बोर्ड ने माना कि यह वीडियो अनावश्यक रूप से क्रूर या उत्तेजक नहीं है और इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करना उचित नहीं होगा। इसके बजाए बोर्ड ने इसे आर18+ श्रेणी में रखने का फैसला किया। इसका अर्थ है कि यह वीडियो अब ऑस्ट्रेलिया में वयस्कों द्वारा देखा जा सकता है, हालांकि बच्चों और नाबालिगों के लिए इस पर पाबंदी बनी रहेगी।

इस फैसले के बाद एलन मस्क ने इसे 'फ्री स्पीच की जीत' (अभिव्यक्ति की आजादी की जीत) बताया, जबकि ऑस्ट्रेलिया के कई सुरक्षा और बाल-अधिकार समर्थक समूहों ने चिंता जताई कि हिंसक फुटेज तक आसान पहुंच से समाज पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। आलोचकों का कहना है कि भले ही यह ऐतिहासिक रिकॉर्ड हो, लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो बिना चेतावनी और संदर्भ के दिखाए जाने से लोग मानसिक रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

वहीं, एक्स के ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिए इस फैसले का स्वागत किया। कहा, “एक्स ने फ्री स्पीच और सार्वजनिक महत्व के मामलों के बारे में जानकारी तक पहुंच के महत्व को बनाए रखने के लिए यह केस लड़ा। हम इन सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब एक्स और ऑस्ट्रेलियाई प्रशासन आमने-सामने आए हों। इससे पहले भी प्लेटफॉर्म पर हिंसक कंटेंट और गलत सूचना को लेकर टकराव हो चुका है।


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