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द अरण्य प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला, ईडी ने 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एम/एस उन्नति फॉर्च्यून होल्डिंग्स लिमिटेड (यूएफएचएल) द्वारा विकसित की जा रही द अरण्य परियोजना में लगभग 100.06 करोड़ रुपए की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया

द अरण्य प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला, ईडी ने 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की
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द अरण्य प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला, ईडी ने 126 करोड़ की संपत्ति कुर्क की

  • नोएडा हाउसिंग घोटाले में ईडी की कार्रवाई, निवेशकों के फंड का दुरुपयोग उजागर
  • होमबायर्स से ठगी, ‘द अरण्य’ प्रोजेक्ट में करोड़ों की हेराफेरी का खुलासा

लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एम/एस उन्नति फॉर्च्यून होल्डिंग्स लिमिटेड (यूएफएचएल) द्वारा विकसित की जा रही द अरण्य परियोजना में लगभग 100.06 करोड़ रुपए की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया। यह मामला नोएडा के सेक्टर 119 में स्थित परियोजना उन्नति द अरण्य के लिए घर खरीदारों, निवेशकों और वित्तीय संस्थानों से एकत्रित धन के हेर-फेर से संबंधित है।

लखनऊ में सोमवार को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत एक बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्नति फॉर्च्यून होल्डिंग्स लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही द अरण्य परियोजना में लगभग 100 करोड़ रुपए की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया। यह कार्रवाई यूएफएचएल और इसके प्रवर्तकों एवं निदेशकों के खिलाफ की गई जांच का हिस्सा बताई जा रही है। इस संबंध में ईडी ने सोशल मीडिया प्लटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर जानकारी दी है।

इस मामले में यूएफएचएल के प्रमोटर अनिल मिथास एचयूएफ से जुड़ी संपत्तियां कुर्क की गई हैं। आरोप है कि कंपनी ने सेक्टर 119, नोएडा में 'द अरण्य' नामक हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए होमबायर्स, निवेशकों और वित्तीय संस्थानों से भारी मात्रा में फंड इकट्ठा किए, लेकिन इन फंड्स का दुरुपयोग किया गया और उन्हें अन्य कार्यों में डायवर्ट कर दिया गया।

कंपनी द्वारा की गई इस हेरफेर की वजह से प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हो पाया, जिससे होमबायर्स और वित्तीय संस्थाओं को भारी नुकसान हुआ। लोगों ने अपने जीवन की जमापूंजी इस प्रोजेक्ट में लगाई थी, लेकिन आज भी उन्हें अपने घर नहीं मिल पाए हैं। मामले को लेकर ईडी ने जांच तेज कर दी है।

ईडी की जांच में यह सामने आया है कि कंपनी ने ग्राहकों और निवेशकों के फंड का दुरुपयोग किया और परियोजना के निर्माण में आवश्यक संसाधनों का उचित तरीके से उपयोग नहीं किया गया। इससे ग्राहकों के विश्वास को ठेस पहुंची और वित्तीय संस्थाओं के ऋण भी डूबने की स्थिति में पहुंच गए। अब तक इस मामले में लगभग 126 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की गई है।


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