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आजम खान ने रामपुर जेल प्रशासन से मांगी पैरोल, भांजे का जिला मजिस्ट्रेट को पत्र- "भाभी के अंतिम संस्कार में शामिल होना उनका वैधानिक अधिकार"

समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान ने अपनी भाभी के नमाज-ए-जनाजा में शामिल होने के लिए रामपुर जेल प्रशासन से पैरोल की मांग की है।

आजम खान ने रामपुर जेल प्रशासन से मांगी पैरोल, भांजे का जिला मजिस्ट्रेट को पत्र- भाभी के अंतिम संस्कार में शामिल होना उनका वैधानिक अधिकार
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सपा नेता आजम खान की भाभी का इंतकाल, नमाज-ए-जनाजा में शामिल होने के लिए मांगी पैरोल

रामपुर। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान ने अपनी भाभी के नमाज-ए-जनाजा में शामिल होने के लिए रामपुर जेल प्रशासन से पैरोल की मांग की है।

आजम खान के भांजे फरहान खान ने जिला मजिस्ट्रेट रामपुर को एक पत्र भेजकर आजम खान और अब्दुल्ला आजम को 15 दिसंबर की शाम मुमताज पार्क के पास स्थित कब्रिस्तान में नमाज-ए-जनाजा में शामिल होने के लिए पैरोल की अनुमति देने का अनुरोध किया है।

फरहान खान ने पत्र में लिखा, "प्रार्थी के मामा आजम खान और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम खान इस समय रामपुर जिला जेल में निरुद्ध हैं। आजम खान की भाभी सलमा शहनाज का इंतकाल हो गया है। उनका यह वैधानिक अधिकार है कि वे अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें।"

उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि सलमा शहनाज का नमाज-ए-जनाजा 15 दिसंबर को निर्धारित है और इस मौके पर दोनों नेताओं के शामिल होने के लिए पैरोल की अनुमति मांगी गई है। फरहान खान ने जिला मजिस्ट्रेट से अनुरोध किया कि आजम खान और अब्दुल्ला आजम को जनाजे में शामिल होने के लिए पैरोल दी जाए। अगर पैरोल मिल जाएगी तो वह शामिल हो सकते हैं।

बता दें कि आजम खान इस समय दो पैन कार्ड मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद रामपुर जेल में बंद हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी इसी मामले में सजा काट रहे हैं। रामपुर की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए उन्हें सात-सात साल की सजा सुनाई थी।

वहीं, 2019 में नगर विधायक रहे आकाश कुमार सक्सेना ने मुकदमा दर्ज कराया था और अब्दुल्ला आजम पर दो पैन कार्ड रखने का आरोप लगाया था। इसके बाद मामले में अब्दुल्ला आजम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का भी रुख किया था, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली।

उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए इस मामले में ट्रायल की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। पक्षों को सुनने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा। इसके बाद जुलाई में याचिका को खारिज कर दिया था।


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