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बिहार में शराबबंदी को लेकर जारी है सत्तापक्ष और विपक्ष में तकरार

बिहार में यूं तो 1 अप्रैल, 2016 से ही शराबबंदी कानून लागू है और सरकार या सत्तापक्ष के नेता शराबबंदी की सफलता को लेकर ढिंढोरा पीटते रहते हैं, लेकिन विपक्ष शराबबंदी को पूरी तरह नकारती रही है

बिहार में शराबबंदी को लेकर जारी है सत्तापक्ष और विपक्ष में तकरार
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पटना। बिहार में यूं तो 1 अप्रैल, 2016 से ही शराबबंदी कानून लागू है और सरकार या सत्तापक्ष के नेता शराबबंदी की सफलता को लेकर ढिंढोरा पीटते रहते हैं, लेकिन विपक्ष शराबबंदी को पूरी तरह नकारती रही है। सरकार और सत्तापक्ष जहां शराबबंदी कानून का कड़ाई से पालन होने का दावा करते हैं, वहीं विपक्ष इस दावे को झुठलाता रहा है।

अगर आंकड़ो पर भी गौर करें तो बिहार में कोई भी ऐसा दिन नहीं गुजरता, जब राज्य के किसी न किसी थाना क्षेत्र से शराब जब्त किए जाने की खबर न आती हो। ऐसे में शराबबंदी को लेकर सवाल उठते रहे हैं। पिछले एक महीने में रोहतास, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज जिले से जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत की भी खबरें आईं।

आंकड़ों पर गौर करें तो अप्रैल, 2016 से जनवरी, 2021 तक शराबबंदी से संबंधित 2 लाख 55 हजार 111 मामले दर्ज किए गए हैं। करीब 51.7 लाख लीटर देसी शराब, 94.9 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गई। इस क्रम में 3 लाख 39 हजार 401 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई। इसमें 470 आरोपियों को न्यायालय से सजा मिली।

शराबबंदी की मुहिम में लापरवाही बरतने वाले पुलिस एवं उत्पाद विभाग के अधिकारियों एवं कर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। कुल 619 अधिकारियों एवं कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई की गई है और 348 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके अलावा 186 लोगों को बर्खास्त तथा 60 पुलिस पदाधिकारियों को थानाध्यक्ष के पद से हटाया गया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई मौकों पर स्वीकार कर चुके हैं कि समाज में गड़बड़ी करने वाले कुछ लोग होते हैं, जो गड़बड़ी करना नहीं छोड़ते।

इधर, मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं कि बिहार के सभी जिलों में शराब का अवैध व्यापार चल रहा है। उन्होंने कहा कि राजद शराबबंदी के विरोध में नहीं है, बल्कि कहना यह है कि ऐसी बंदी किस काम की, जब गांव से लेकर शहर तक में शराब आसानी से पहुंचाई जा रही हो। राजद के विधायक आरोप लगाते हैं कि इस धंधे में थाना से लेकर ऊपर तक के लोग शामिल हैं।

वहीं, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा भी शराबबंदी को पूरी तरह असफल बताते हुए यहां तक कह चुके हैं कि शराबबंदी से सरकार को राजस्व का घाटा हो रहा है और शराब भी लोगों तक पहुंच रही है।

सत्तापक्ष भी शराबबंदी को लेकर हो रही कार्रवाई को लेकर संतुष्ट नहीं है। भाजपा के विधान पार्षद संजय पासवान ने शराबबंदी को लेकर समीक्षा करने की जरूरत बताई है।

मुख्यमंत्री हालांकि दो दिन पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि बिहार में शराबबंदी लागू रहेगी और कोई ढिलाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि किसी के प्रति कोई समझौता नहीं होगा।

हालांकि विपक्ष ने कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर शराबबंदी से समझौता नहीं होगा तो तीन जिलों में जहरीली शराब पीने से मौतें होने पर जिले के वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

बहरहाल, शराबबंदी कानून को लेकर बिहार में सियासत शुरू से चल रही है, लेकिन यह भी सत्य है कि इस कानून के लागू होने के बाद बड़ी मात्रा में शराब पकड़ी भी जा रही है। इससे यही लगता है कि तस्करों के मन में तनिक भी डर नहीं है।


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