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हम सब ज़हरीली गैस से भरे गुब्बारे हो गए हैं
- वर्षा भम्भाणी मिर्जा़ मानव मन भाई-चारे के साथ जीना चाहता है लेकिन स्वार्थी ताकतें हर युग में उसे या उसके समूह को बस में करना चाहती हैं- कभी ताकत से...

