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नदी से एक संवाद

नदी से एक संवाद

- बसंत राघव ''क्यों इतना इतराती हो तुम नदीक्यों इतना बलखाती हो तुमक्या इस बात का है तुम्हें अभिमानकि जीवन- रेखा कहलाती हो तुम नदी क्यों नहीं तुम अपनी...

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