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यात्री की गुहार प्रभु तक नहीं पहुंची, वरना खुल जाती पोल

मोबाइल के नेटवर्क की मार ने एक यात्री का बंटाधार कर दिया, नहीं तो उसकी गुहार भी रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु तक पहुंच जाती

यात्री की गुहार प्रभु तक नहीं पहुंची, वरना खुल जाती पोल
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- रविशंकर शर्मा
रायपुर। मोबाइल के नेटवर्क की मार ने एक यात्री का बंटाधार कर दिया, नहीं तो उसकी गुहार भी रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु तक पहुंच जाती। रविवार सुबह चोरी की घटना के शिकार हुए मुजफ्फरनगर से रायपुर के लिए ट्रेन क्रमांक 15231 बरौनी गोंदिया के यात्री विवेक कुमार झा को ये उम्मीद थी कि उनके ट्वीट पर जरूर कार्रवाई होती और सारे लापरवाही बरतने वालों की पोल खुल जाती।

रेलवे में सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करने वाले अधिकारियों की उस वक्त बोलती बंद हो गई जब वीएनएस ने ये मुद्दा उठाया। जिम्मेदार अधिकारी अब ये कह कर बचाव में लगे हैं कि टीटीआई और आरपीएफ के पास और भी दूसरे काम होते हैं। हर बार मदद हो जाए ऐसा संभव नहीं है।

सवाल तो ये है कि अगर आरपीएफ के जवान यात्रियों की सुरक्षा नहीं कर सकते तो फिर उनकी ड्यूटी ही क्या है? उनको क्यों ट्रेनों में रखा जाता है? सबसे अहम सवाल तो ये कि ऐसे में फिर रेल यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है? खाली कैश लेकर ऐश करना ही क्या इनकी नियति है?

क्या है पूरा मामला :

मुजफ्फरनगर से रायपुर के लिए ट्रेन क्रमांक 15231 बरौनी गोंदिया से रवाना हुआ एक परिवार कटनी स्टेशनके आस-पास चोरी की घटना का शिकार हो गया। प्रार्थी यात्री विवेक कुमार झा (27) राजिम बासीन, गरियाबंद थाना फिंगेश्वर छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि उनके साथ पत्नी और दो रिश्तेदार रायपुर आ रहे थे।

रविवार सुबह कटनी स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचने पर विवेक नाश्ता लेने स्टेशन पर उतरे और बाकी लोग बर्थ क्रमांक 49,50,51,52 पर बैठे थे। उनकी पत्नी कुछ देर के लिए सीट से उठी थी। ऊपर की बर्थ पर उनकी पत्नी का पर्स रखा थी, जिसे किसी चोर ने चुरा लिया। जब ट्रेन रवाना हुई तो सभी अपनी-अपनी सीट पर आकर बैठे और पर्स को लेने ऊपर देखा तो पर्स नहीं था। तब तक ट्रेन रवाना हो गई थी।

विवेक की पत्नी का पर्स चोरी हुआ है, जिसमें एक 15 हजार कीमती मोबाइल और साढ़े 3 हजार रुपये नगदी थे। इसके अलावा कुछ आवश्यक काम की चीजे थीं। रायपुर जीआरपी के एएसआई अनुपराम साहू ने कहा कि प्रार्थी की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है, डायरी कटनी भेजी जाएगी।

नहीं किया टीटीआई ने सहयोग :

विवेक ने बताया कि ट्रेन रवाना होने के बाद जैसे ही घटना का पता चला वैसे ही ट्रेन में टीटीआई की तलाश किए। टीटीआई के मिलते ही घटना की जानकारी दीए लेकिन उसने किसी तरह की सहयोग नहीं किया, जबकि वे चाहते तो ट्रेन में ही हम चलित एफआईआर कर सकते थे। बहुत मिन्नतें करने के बाद भी सहयोग नहीं मिला तो आखिरी रास्ता रायपुर जीआरपी ही दिखा।

वहीं जब ट्रेन में आरपीएफ की टीम की जानकारी चाही गई तो पता चला किए बरौनी-गोंदिया एक्सप्रेस में तो आरपीएफ पेट्रोलिंग स्टॉफ रहता ही नहीं। उन्हें आखरी उम्मीद भी खत्म होती नजर आई।

नेटवर्क ने नहीं पहुंचाई प्रभु तक बात :

ट्रेन में टीटीआई का सहयोग नहीं और आरपीएफ का साथ नहीं दिखा तो विवेक ने रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु को ट्वीट करना चाहा, लेकिन मोबाइल के नेटवर्क ने साथ नहीं दिया। विवेक ने बड़े बुझे मन से कहा कि यदि नेटवर्क रहता तो प्रभु की कृपा कटनी से रायपुर स्टेशन के बीच कहीं भी प्राप्त हो सकती थी। सोशल मीडिया में हमारे रेल मंत्री समस्या का त्वरित निदान कर रहे हैं। लेकिन विवेक के साथ नेटवर्क समस्या के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका।

हर दफा सहयोग संभव नहीं : डीआरएम

इस घटना के संबंध में रायपुर रेल मंडल प्रबंधक राहुल गौतम ने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है, यदि ऐसा हुआ है तो नियम तो यही है कि यात्री चलती ट्रेन में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उन्हें यात्रा रोकने की आवश्यकता नहीं, लेकिन यह हर बार यह संभव नहीं हो पाता कि टीटीआई और आरपीएफ वाले मदद करें, क्योंकि उनके पास बहुत से काम होते हैं। टिकट चेक करने से लेकर व्यवस्था दुरुस्त करने तक।

उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं कि सिर्फ सोशल मीडिया में ही शिकायत करने से समस्या की समाधान तुरंत होता है, हमारी ओर से बगैर किसी सोशल मीडिया की सहायता के सहयोग के बावजूद भी मदद तेजी से दी जाती है। इस मामले में जानकारी नहीं है, जीआरपी से जानकारी ली जाएगी।"


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