सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों की कमी, मरीज परेशान
नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली कहावत शहर के एकमात्र अस्पताल में स्टीक बैठ रही है
होडल। नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली कहावत शहर के एकमात्र अस्पताल में स्टीक बैठ रही है। क्षेत्र के 22 गावों के लोगों के स्वास्थ की जांच के लिए होडल में सरकारी अस्पताल बना हुआ है लेकिन इस अस्पताल में ना तो चिकित्सकों की कोई सुविधा है और ना ही अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों के बैठने,पीने के लिए पानी,दवाईयों आदि की कोई व्यवस्था है। यहां तक ही आपातकाल स्थित में किसी मरीज को दूसरे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबूलैंस तक की व्यवस्था नहीं है।
अॉपरेशन करने के लिए इस अस्पताल में कमरे की व्यवस्था तक नहीं है। शहर के एकमात्र सरकारी अस्पताल में जेनरेटर की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। चिकित्सकों ने अपनी सुविधा के अनुसार इंनवर्टर आदि की व्यवस्था की हुई। इसके अलावा पिछले कई महीनों से महिला चिकित्सक का पद भी यहां रिक्त पडा हुआ है।
यहां पहुंचने वाली महिला मरीजों की जांच या तो महिला डैंटल चिकित्सक करती है या फिर पुरुष चिकित्सक महिलाओं का उपचार करते हैं। कुछ महिला मरीज पुरुष चिकित्सक से उपचार कराते समय शर्मसार हो जाती हैं और अपनी बीमारी तक भी उन्हें नहीं बता पाती हैं।
अस्पताल में एक्सरे मशीन तो रखी हुई है लेकिन यहां एक्सरे करने के लिए कोई अॉपरेटर तक की कोई व्यवस्था नहीं है। सप्ताह में केवल दो दिन के लिए ही एक्सरे रूम खुलता है। इन दिनों के अलावा इस कमरे पर ताला लटका रहता है। राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े इस अस्पताल में अगर किसी मरीज को आपातकालीन अवस्था में दूसरे अस्पताल में भेजने की जरूरत होती है तो यहां एम्बूलैंस तक नहीं मिल पाती है। चिकित्सकों को किसी दूसरे अस्पताल से ही एम्बूलैंस की गुहार लगानी पड़ती है।
ऐसा भी नहीं है कि स्वास्थ विभाग के उच्च अधिकारियों को अस्पताल की स्थिती के बारे में जानकारी ना हो लेकिन विभाग इस बारे में जरा भी गंभीर नहीं है जिसके कारण मरीजों को निजी अस्पताल में उपचार कराने को मजबूर होना पड़ रहा है।
गर्मियों की शुरुआत होते ही अस्पताल में बल्ड प्रेशर,मधुमेह,रक्तचाप,पेट दर्द, उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियों से ग्रस्त मरीज यहां सुबह से ही पहुंचने शुरु हो जाते हैं।
इन मरीजों के अलावा अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की भी भीड़ लग जाती है लेकिन जब उन्हें बताया जाता है कि अस्पताल में महिला चिकित्सक की व्यवस्था नहीं है तो उन्हें मजबूरन पुरुष चिकित्सकों से जांच करानी पड़ती है।
अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार यहां पहुंचने वाले मरीजों की संख्या रोजाना लगभग ढाई सौ से तीन सौ के बीच होती है जिनमें सबसे ज्यादा संख्या महिला रोगियों की होती है। यहां आने वाले मरीजों का कहना है कि जब यहां चिकित्सकों की व्यवस्था नहीं है तो यहां आकर क्या करें। कहने को तो सरकारी अस्पताल में दो चिकित्सक हैं लेकिन इन चिकित्सकोंं के पास महिलाओं सहित अन्य मरीजोंं की लम्बी लाईनें लगी रहती हैं। जिसके कारण चिकित्सक भी मरीजों का ठीक से उपचार नहीं कर पाते हैं।
63 पदों में से 31 पद रिक्त
अस्पताल में कुल 63 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 31 पदों पर कर्मचारी तैनात हैं। अस्पताल में रिकार्ड के अनुसार चिकित्सकों के 7 पद हैं जिनमें 5 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इसी प्रकार अस्पताल में स्टाफ नर्स के 8 पदों में से 6 पद रिक्त पड़े हैं। अस्पताल में महिला चिकित्सक का पद कई महीनों से रिक्त पड़ा हुआ है।


