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झारखंड के राज्यपाल ने राज्य स्थापना दिवस पर राजकीय कार्यक्रम से बनाई दूरी, सरकार और राजभवन के रिश्ते हुए और तल्ख

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार और राज्यपाल के रिश्तों में आई तल्खी का असर मंगलवार को झारखंड राज्य स्थापना दिवस समारोह में साफ तौर पर दिखा

झारखंड के राज्यपाल ने राज्य स्थापना दिवस पर राजकीय कार्यक्रम से बनाई दूरी, सरकार और राजभवन के रिश्ते हुए और तल्ख
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रांची। झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार और राज्यपाल के रिश्तों में आई तल्खी का असर मंगलवार को झारखंड राज्य स्थापना दिवस समारोह में साफ तौर पर दिखा। राज्यपाल रमेश बैस ने रांची के मोरहाबादी मैदान में राज्य की 22वीं वर्षगांठ पर आयोजित राजकीय समारोह से दूरी बना ली, जबकि राज्य सरकार की ओर से जारी कार्यक्रम के मुताबिक उन्हें मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होना था। झारखंड में पिछले 22 वर्षों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब राज्यपाल राज्य स्थापना दिवस के राजकीय समारोह में मौजूद न रहे हों।

पिछले साल इसी मैदान में आयोजित समारोह में राज्यपाल रमेश बैस न सिर्फ मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे, बल्कि उन्हें राज्य सरकार की ओर से तैयार भाषण भी पढ़ा था। दूसरी तरफ राज्य सरकार ने राज्य स्थापना दिवस पर मंगलवार को मीडिया में शुभकामना का जो विज्ञापन जारी किया, उसमें न तो राज्यपाल का नाम था और न ही उनकी तस्वीर। इसके पहले ऐसे खास अवसरों पर जारी किए जाने वाले विज्ञापनों में राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों की तस्वीरें होती थीं।

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार सुबह राजभवन जाकर राज्यपाल से राजकीय कार्यक्रम में आने की गुजारिश भी की थी, लेकिन इसके बावजूद राज्यपाल ने नहीं पहुंचने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि इसके पहले आज ही बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू में उनकी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों एक साथ मौजूद रहे। प्रोटोकॉल के अनुसार यह आवश्यक भी था। उलिहातू में आयोजित कार्यक्रम और राष्ट्रपति की रवानगी के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोरहाबादी मैदान में आयोजित राजकीय कार्यक्रम में पहुंचे, जबकि राज्यपाल राजभवन चले गए।

राज्यपाल के कार्यक्रम में नहीं आने के पीछे की वजह हालिया घटनाक्रमों को माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर खनन पट्टा मामले में चुनाव आयोग के ओपिनियन पर राज्यपाल की ओर से किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर रोक लगाने की दरख्वास्त की है। उन्होंने इसके पहले भी राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। दूसरी तरफ राज्यपाल ने भी कुछ दिनों पहले एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि झारखंड में एकाध एटम बम फट सकता है। परोक्ष तौर पर राज्यपाल के इस बयान के निशाने पर मुख्यमंत्री ही थे।

राज्यपाल के नहीं पहुंचने के पीछे की एक वजह ईडी की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जारी समन को माना जा रहा है। इस मामले में 17 नवंबर को सीएम से पूछताछ होनी है। संभव है कि स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने पर राज्यपाल को परंपरा के अनुसार राज्य सरकार की नीतियों के अनुरूप ही वक्तव्य देना पड़ता और ईडी के समन से उपजी परिस्थितियों के बीच वे संभवत: मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार नहीं थे।


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