सरकार को नहीं पता, कितनी साफ हुई गंगा!
प्रधानमंत्री बनने से पहले गंगा की सफाई को लेकर भाजपा के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी के बड़े बोल सुनने को मिले थे

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री बनने से पहले गंगा की सफाई को लेकर भाजपा के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी के बड़े बोल सुनने को मिले थे। गुजरात से उत्तर प्रदेश के वाराणसी आए मोदी ने सांसद प्रत्याशी के रूप में गंगा को नमन करते हुए कहा था, न मैं यहां खुद आया हूं, न किसी ने मुझे लाया है, मुझे तो गंगा मां ने बुलाया है। गंगा के प्रति उनकी भक्ति देखकर देश खुश हुआ था।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 'नमामि गंगे' नाम से एक परियोजना देश के गले बांध दी गई। इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती को सौंपी गई। तब देश को लगा था कि साध्वी की प्रखर वाणी की तरह गंगा भी अविरल बहेगी, निर्मल बनेगी पर ऐसा हो न सका। बाद में पता चला, साध्वी 'नमामि गंगे' से हाथ धो बैठी हैं और इस परियोजना का अतिरिक्त भार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ढो रहे हैं। अब, जब मौजूदा सरकार के पांच साल पूरे होने में बमुश्किल एक साल बचा है। सरकार ने गंगा की सफाई को लेकर चार साल में आखिर किया क्या है? यह जानने के लिए जब एक आरटीआई अर्जी दायर की गई, तो जवाब में सरकार साफतौर पर कह रही है कि उसे पता ही नहीं, गंगा अब तक कितनी साफ हुई है।
पर्यावरणविद जयंती कहती हैं, सरकार ने 2020 तक 80 फीसदी गंगा साफ करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक कितनी साफ हुई है, इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है। 2019 में कितनी गंगा साफ करेंगे इसका हिसाब भी किसी और को नहीं, सरकार को ही देना है।
हाल ही में एक आरटीआई अर्जी के जवाब से खुलासा हुआ कि सरकार गंगा की सफाई पर अब तक 3,800 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। तब सवाल उठता है कि जमीनी स्तर पर सफाई कहां-कहां हुई? इतनी बड़ी रकम कहां-कहां और किन मदों में खर्च हुई? आरटीआई याचिकाकर्ता एवं पर्यावरणविद् विक्रम तोगड़ कहते हैं, आरटीआई के तहत यह ब्योरा मांगा गया था कि अब तक गंगा की कितनी सफाई हुई है, लेकिन सरकार इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं करा पाई।


