झुलस रहे पांव, चरणपादुका मिलेगी बरसात में
जिले में तेंदूपत्ते का संग्रहण जोरों पर है। धरती तप रही है और मजदूरों के पांव जल रहे हैं......

बिलासपुर। जिले में तेंदूपत्ते का संग्रहण जोरों पर है। धरती तप रही है और मजदूरों के पांव जल रहे हैं। सरकार की चरणपादुका नहीं बांट सकी। अधिकारियों का कहना है कि प्रक्रिया चल रही है। अगस्त तक मजदूरों को चरणपादुका बांट दी जाएगी।
गौरतलब है कि इस वर्ष जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य 31,500 मानक बोरा है। 32,300 मानक बोरा से अधिक तेंदूपत्ता संग्रहित किया जा चुका है। पिछले दो वर्ष के आंकड़े देखें तो क्रमश: 32,000 व 31,000 मानक बोरा का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया था। इस वर्ष लक्ष्य से अधिक संग्रहण के पीछे पारिश्रमिक में बढ़ोतरी बताई जा रही है। तेंदूपत्ता संग्राहकों में हालांकि थोड़ी मायूसी भी है क्योंकि वर्ष 2016 का बोनस व चरणपादुका अब तक नहीं मिल पाई है। बताया जा रहा है कि तेंदूपत्ते ठेकेदारों ने पूरी राशि अब तक जमा नहीं की जिसके कारण संग्राहकों को बोनस के भुगतान में देरी हो रही है।
तेंदूपत्ता संग्रहण वनवासियों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया है। लगभग 12-13 वर्ष पहले तेंदूपता संग्राहकों को पारिश्रमिक मात्र 350 रूपए मिलता था। अब संग्राहकों को 18 सौ रूपए प्रति मानक बोरा मिल रहे हैं। संग्राहक पूरे उत्साह के साथ संग्रहण कार्य में जुटे हैं।
संग्राहकों व उनके बच्चे का बीमा, छात्रवृत्ति लाभ
तेंदूपत्ता संग्राहकों के बीमा का भी प्रावधान शासन ने रखा है। संग्रहण के दौरान वन्यप्राणियों द्वारा की गई क्षति पर मृत्यु में 4 लाख रूपए, अस्थायी रूप से अपंग होने पर 2 लाख रूपए, घायल होने पर 60 हजार रूपए, पशुहानि पर 30 हजार रूपए दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा संग्राहक परिवार के बच्चे जो कक्षा 9 वीं, 11 वी या आईटीआई में अध्ययनरत हैं उन्हें तीन सौ रूपए तिमाही और मेधावी छात्र पुरस्कार योजना के तहत कक्षा 8वीं, 10 वीं 12वीं में सर्वोच्च अंक पाने वाले बच्चों को पुरस्कार भी दिए जाते हैं।
बोनस, चरणपादुका का अगस्त में
जिले में इस वर्ष तेंदूपत्ता का उत्पादन बहुत अच्छा है। वर्ष 2016 की बोनस राशि अब तक शासन से आबंटित नहीं हो पाई है। वर्ष 2017 का संग्रहण लगभग अंतिम चरण में है। अगस्त तक चरणपादुका व बोनस बंटने की संभावना है।


