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     तमिलनाडु सरकार जलीकट्टू पर  अध्यादेश लाएगी: पन्नीरसेल्वम  

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के समर्थन में जारी व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बीच राज्य के मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने कहा कि उनकी सरकार बैल को काबू करने के इस परंपरागत खेल को मंजूरी देने के लिए अध्यादेश लाएगी।

     तमिलनाडु सरकार जलीकट्टू पर  अध्यादेश लाएगी: पन्नीरसेल्वम  
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नई दिल्ली। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के समर्थन में जारी व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बीच राज्य के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार बैल को काबू करने के इस परंपरागत खेल को मंजूरी देने के लिए अध्यादेश लाएगी। यहां संवाददाताओं से बातचीत में पन्नीरसेल्वम ने कहा कि उन्होंने इस बारे में संविधान विशेषज्ञों से विस्तृत विचार-विमर्श किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के कुछ प्रावधानों में संशोधन करेगी। संशोधन का मसौदा गुरुवार को तैयार किया गया और इसे शुक्रवार सुबह केंद्र सरकार के पास भेजा गया।

अध्यादेश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे लोगों से अपना आंदोलन समाप्त करने की अपील की है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री का यह बयान गुरुवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात के बाद आया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से राज्य के इस परंपरागत खेल को मंजूरी देने के लिए अध्यादेश लाने का अनुरोध किया था, लेकिन प्रधानमंत्री ने मामले के न्यायालय में लंबित होने का हवाला दिया। केंद्र सरकार ने हालांकि इस मामले में राज्य सरकार के कदम को समर्थन देने की बात कही थी।

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के आयोजन पर सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से ही लोग केंद्र सरकार से जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

राज्य में जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन की शुरुआत सोमवार को हुई थी, जिसके बाद कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था। इसके बाद विरोध-प्रदर्शन और भड़क गया। मरीना बीच पर हजारों की तादाद में युवक-युवतियां शुक्रवार को भी प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं।

लोग जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध को तमिलनाडु की संस्कृति का अपमान बता रहे हैं। इसके लिए पशु अधिकार संगठन पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) भी उनके निशाने पर हैं।


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