सुराज अभियान सबसे बड़ा सोशल ऑडिट : रमन
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने राज्य में 84 दिनों के लम्बे सुराज अभियान का आज समापन करते हुए इसमें इस बार समाधान शिविरों के आयोजन के हुए नए प्रयोग को काफी सफल करार दियाछत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने राज्य में 84 दिनों के लम्बे सुराज अभियान का आज समापन करते हुए इसमें इस बार समाधान शिविरों के आयोजन के हुए नए प्रयोग को काफी सफल करार दिया और कहा कि प्रति वर्ष आयोजित होने वाला यह अब तक का सबसे सफल सुराज अभियान रहा।
डॉ.सिंह ने समापन के मौके पर आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि पूर्व के अभियानों से हटकर इस बार के अभियान में समाधान शिविरों का आयोजन किया गया। जहां मुख्यमंत्री या मंत्री की उपस्थिति में आम लोगों को उनके आवेदनों पर अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी दी गई।
उन्होंने कहा कि इस तरह गांवों में जाकर लोगों के बीच भीषण गर्मी में शायद ही किसी राज्य में मुख्यमंत्री या मंत्री लोगों के आवेदनों के निराकरण के बारे में बैठकर जानकारी लेते हो। उन्होंने कहा कि इन शिविरों में सब अच्छा ही सुनने को नही मिला, बुराई भी सुनने को मिली लेकिन यह सुनने का साहस होना चाहिए।
उन्होंने इस अभियान को सबसे बड़ा सोशल आडिट बताते हुए कहा कि हमनें मंत्रियों ने साहस दिखाया,लोगों की बाते सुनी लापरवाह अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की तथा सरकार की कमियों को भी जाना।
उन्होंने कहा कि यह संदेश निचले स्तर तक के तंत्र में देने में सरकार कामयाब रही कि उनके कामों का जायजा मुख्यमंत्री भी ले सकते हैं। अभियान में 28 लाख 86 हजार से अधिक आवेदन मिलने की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें शिकायत के बहुत कम जबकि मांग से सम्बधित बहुत अधिक अधिक आवेदन है।
उन्होंने कहा कि इन आवेदनों का निजी कम्पनी द्वारा अध्ययन कर डाटा तैयार किया जाएगा जिससे सरकार को अपनी नीति और कार्यक्रम बनाने में काफी मदद मिलेगी। इतनी बड़ी संख्या में आवेदन मिलने पर निचले स्तर पर सरकारी तंत्र के कामकाज पर सवाल उठने के बारे में पूछे जाने पर डा.सिंह ने कहा कि विकास एक सतत प्रक्रिया है।
लोग विकास की मांग वहीं करते है जहां उम्मीद हो। जिस दिन लोग नाउम्मीद होकर मांग बन्द कर देंगे समझ लीजिए कि जनता ने सरकार की विदाई का मन बना लिया है। ये लोगों के सरकार के प्रति विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष चलने वाले अभियान में मांगों में हर बार परिवर्तन हो रहा है। सबसे संतोशजनक बात यह हैं कि इतने बड़े अभियान में एक भी शिकायत राशन नही मिलने की प्राप्त नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि अब एक नई मांग एवं समस्या मोबाइल कनेक्टविटी तथा मोबाइल टावर की शुरू हो गई है। कालेजों के उन्नयन तथा गांवों के भीतर की सड़कों के निर्मण आदि की मांग हो रही है। पहले स्कूल खोलने, गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए सड़क के निर्माण आदि की मांगे होती थी।
डा.सिंह ने अभियान के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि एक स्थान पर आकस्मिक रूप से पहुंच कर मनरेगा के कार्यों का उन्होंने निरीक्षण किया। एक महिला श्रमिक ने उन्हें कपड़े की पोटली में बांधकर लाई रोटी चटनी उन्हें खिलाई तो उनको लगा कि स्टील का टिफीन देकर उन्हे कपड़े की पोटली से छुटकारा दिलाया जा सकता है।
उन्होने इसके बाद निर्णय लिया कि राज्यभर मे मनरेगा मजदूरों को स्टील टिफीन दिया जाएगा। उन्होंने उज्जवला योजना को प्रति लोगों में काफी आकर्षण महसूस किया। गर्भवती महिलाओं को भंगिनी योजना के तहत प्रसव के बाद दी जाने वाली 10 हजार रूपए की राशि को महिलाओं के सुझाव पर तीन किश्तों में देने का निर्णय़ भी इस दौरान लिया गया।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि उनका इस्तीफा मांगने वालों ने भी भरपूर अभियान का लाभ उठाया। उन्होने यह भी जोड़ा कि यह अच्छी बात है,अभियान सभी का है। डा.सिंह ने एक प्रश्न के उत्तर में मजाकिया लहजे में कहा कि..चलो अच्छा है कि हम सुराज अभियान में जुटे थे,और कुछ लोग अपनी जमीन और मकान में जुटे थे..। उनका इशारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की ओर था।
समापन के इस मौके मुख्य सचिव विवेक ढांड,अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री) एन.बैजेन्द्र कुमार, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री अमन सिंह,सचिव मुख्यमंत्री सुबोध सिंह,संयुक्त सचिव मुख्यमंत्री रजत कुमार,सचिव जनसम्पर्क सन्तोष मिश्रा एवं संचालक जनसम्पर्क राजेश टोप्पो मौजूद थे।


