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सरकार को विपक्ष का सुझाव, एैलोपैथी डिस्पेंसरियों व चलते फिरते क्लीनिक को बना दें मोहल्ला क्लीनिक

नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज मुख्यमंत्री केजरीवाल को सुझाव दिया कि वे दिल्ली सरकार की 270एैलोपैथी डिस्पैंसरियों तथा 45 चलते-फिरते स्वास्थ्य क्लीनिकों को मोहल्ला क्लीनिकों में परिवर्तित कर दें

सरकार को विपक्ष का सुझाव, एैलोपैथी डिस्पेंसरियों व चलते फिरते क्लीनिक को बना दें मोहल्ला क्लीनिक
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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज मुख्यमंत्री केजरीवाल को सुझाव दिया कि वे दिल्ली सरकार की 270 एैलोपैथी डिस्पैंसरियों तथा 45 चलते-फिरते स्वास्थ्य क्लीनिकों को मोहल्ला क्लीनिकों में परिवर्तित कर दें। इनमें मोहल्ला क्लीनिकों में प्राइवेट क्लीनिकों के माध्यम से दी जानेवाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएं जैसे महंगे जांच व लैब टैस्ट इत्यादि। ऐसा करने से 315 मोहल्ला क्लीनिक बिना किसी विशेष व्यय के उपलब्ध होंगे व दिल्ली सरकार को डीडीए और अन्य भूस्वामी एजेंसियों से कठिनाई भी नहीं होगी। ेसा करने से दिल्ली सरकार को बिना किसी कठिनाई और खर्चे के मोहल्ला क्लीनिक स्थापित करने के लिए ढांचा उपलब्ध हो जाएगा।

श्री गुप्ता ने कहा कि अभी सरकार को जमीन खरीदने अथवा भवन किराये पर लेने, डॉक्टर, मैडिकल तथा पैरामैडिकल स्टाफपर होने वाला व्यय बचेगा । इससे दिल्ली सरकार को करोड़ों रुपये की बचत होगी । दिल्ली सरकार की 270 डिस्पैंसरियॉं दिल्ली के 11 जिलों में फैली है और इनको जनता की सुविधा को देखते हुए निर्मित किया गया है । वर्तमान में इन डिस्पैंसरियों का बहुत कम प्रयोग किया जा रहा हैए क्योंकि इनमें लैबोरेटरी टैस्ट और अन्य टैस्टों की सुविधा उपलब्ध नहीं है। डिस्पेंसरी व क्लीनिक मोहल्ला क्लीनिकों के रूप में चमक उठेंगे और लोगों को भी एमआरआई, सीटी स्कैन तथा खून इत्यादि जांच के लिए इधर उधर नहीं भागना पड़ेगा। वहीं निगम में आप पार्षद व नेता विपक्ष ने भाजपानीत निगम पर आरोप लगाए हैं।

उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता विपक्ष, राकेश कुमार ने आज कहा कि निगम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी दिल्ली सरकार द्वारा मौहल्ला क्लीनिक बनाने पर राजनीति कर रही है और दिल्ली की जनता की स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की जरूरतों की अनदेखी कर रही है। नेता विपक्ष ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम एक तरफदिल्ली की जनता को स्वास्थ्य सेवाएं देने में नाकाम साबित हुई है क्योंकि निगम के अस्पतालों तथा डिस्पेंसरियों में डॉक्टरों और दवाइयों की भयंकर कमी बनी हुई है।

हिन्दूराव अस्पताल तथा कस्तूरबा गांधी अस्पताल की लापरवाहियां उजागर होती रहती है। उन्होंने16 अक्तूबर को हुई स्थायी समिति का जिक्र करते हुए कहा कि तब मौहल्ला क्लीनिक के लिये जमीन देने के प्रस्ताव पर कुछ प्रश्न लगाकर आयुक्त को वापिस कर दिया जबकि इसके पीछे मूल भावना यह है कि दिल्ली सरकार से निगम को वांछित धनराशि न मिलने से वह बदले की भावाना से मौहल्ला क्लीनिक के कार्यक्रम को सहयोग नहीं कर रही है।


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