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उत्तराखंड में यूसीसी लागू, राजद नेता ने कहा- 'उन्मादी लोगों की मंशा शॉर्टकट, दाएं-बाएं करके सरकार में आना है'

राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने उत्तराखंड में भाजपा सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने पर बयान दिया है

उत्तराखंड में यूसीसी लागू, राजद नेता ने कहा- उन्मादी लोगों की मंशा शॉर्टकट, दाएं-बाएं करके सरकार में आना है
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पटना। राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने उत्तराखंड में भाजपा सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने पर बयान दिया है। राजद नेता ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि जब हम चुनाव लड़ते हैं, तो संविधान के प्रति अपनी निष्ठा की शपथ लेते हैं।

उन्होंने कहा कि जब हम चुनाव जीतकर आते हैं और सरकार में जाते हैं तब संविधान की शपथ लेते हैं। हमें ईमानदारी से उस शपथ का पालन करना चाहिए। हमारा देश इसलिए दुनिया में सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि यहां सभी धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं। यह सबका देश है, और संविधान में सबको बराबरी का अधिकार दिया गया है।

राजद नेता ने कहा कि अब यदि संविधान में सबको बराबरी का दर्जा दिया गया है, तो उसके विपरीत आचरण करना संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन होगा। हमारे संविधान के चार स्तंभ हैं, यदि इनको कोई आदमी कमजोर करने की कोशिश कर रहा है, तो वह न सिर्फ संविधान का उल्लंघन कर रहा है, बल्कि समाज और मुल्क को भी कमजोर कर रहा है। हमारा देश आने वाले समय में एक सुपर पावर की श्रेणी में आने वाला है। संविधान का बदलाव इस तरह से थोड़ी होगा, कोई राज्य इसे लागू करेगा तो हो जाएगा क्या? उसके लिए संविधान में संशोधन चाहिए।

अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि देश की जनता कभी इसको बर्दाश्त नहीं करेंगी। अब धीरे-धीरे लोग समझने लगे हैं कि उन्मादी लोगों की मंशा क्या है। उन्मादी लोगों की मंशा शॉर्टकट, दाएं-बाएं करके सरकार में आना है और देश तथा समाज को कमजोर करना है। यह कतई अच्छा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि आजादी की लड़ाई में, बॉर्डर की रक्षा में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने भी अपने प्राणों की आहुति दी है। जिन्होंने कुछ नहीं है आज वो देश के सबसे बड़े भक्त बने हुए हैं।

यूसीसी को लेकर जदयू के विरोध को लेकर अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि यह उनकी बात है। जो लोग विरोध कर रहे हैं उनका बैकग्राउंड क्या है समाजवादियों का, कर्पूरी ठाकुर का, डॉ. राम मनोहर लोहिया का, जॉर्ज का आदि? मुझे नहीं लगता है कि संविधान के विरुद्ध अगर इतनी बड़ी बात हो तो कोई उसे मान जाएगा।


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