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नितेश राणे के बयान पर मजिद मेमन- सरकार को भारी कीमत अदा करनी होगी

महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के विधायक नितेश राणे मुसलमानों को लेकर दिए विवादित बयान के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता एवं पूर्व राज्यसभा सांसद मजिद मेमन ने निशाना साधा

नितेश राणे के बयान पर मजिद मेमन- सरकार को भारी कीमत अदा करनी होगी
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मुंबई। महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के विधायक नितेश राणे मुसलमानों को लेकर दिए विवादित बयान के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता एवं पूर्व राज्यसभा सांसद मजिद मेमन ने शनिवार को निशाना साधा। उन्होंने कहा, अगर सरकार ऐसे बयानों को रोकना नहीं चाहती, तो इसकी भारी कीमत अदा करनी पड़ेगी।

दरअसल, भाजपा विधायक नितेश राणे ने कहा था कि 'ईवीएम का मतलब-एवरी वोट अगेंस्ट मुल्ला'। भाजपा विधायक के इस विवादित बयान के बाद से सियासी हलचल तेज है, विपक्षी दल के नेता उनको अपने निशाने पर ले रहे हैं। इसी सिलसिले में एनसीपी (एसपी) नेता मजिद मेमन ने कहा, "उनको रोका नहीं जा रहा है। भाजपा सरकार में वो मंत्री हैं और मुसलमानों और धर्म के खिलाफ ऐसी गलत बातें करते हैं। उन्होंने संविधान की शपथ ली है कि सभी धर्म के लोगों को न्याय दिया जाए, किसी के साथ कोई मतभेद नहीं करेंगे, लेकिन इसका विरोध वो खुलेआम कर रहे हैं।"

मजिद मेमन ने कहा, "राणे पहले भी कई बार मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कह चुके हैं, जिससे वातावरण खराब हो और कानून व्यवस्था बिगड़े। लेकिन इसके बावजूद सरकार में से कोई भी उनके खिलाफ कदम नहीं उठाता। कोई यह नहीं कहता था कि हम उनसे सहमत नहीं हैं, उनको ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए। मंत्रीपद पर काबिज व्यक्ति को ऐसी बात करना बिल्कुल शोभा नहीं देता। अगर एक सामान्य कार्यकर्ता ऐसी बातें करे, तो समझा जा सकता है, लेकिन उन्होंने संविधान की शपथ लेने के बाद ऐसा बयान दिया है, जो शोभा नहीं देता।"

एनसीपी (एसपी) नेता ने कहा कि "नितेश राणे की मानसिकता बच्चों वाली हैं। उनके पिता नारायण राणे के साथ हमारे अच्छे संबंध थे। हमने देखा है कि उन्होंने कभी ऐसा बकवास नहीं किया। उनको भी अपने बेटे को समझाना चाहिए कि तुम मंत्रीपद पर बैठ गए, उसका ध्यान रखो और किसी के खिलाफ अनाब-शनाब बातें नहीं कहो। मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलना और उनके हक से वंचित रखना, उनका एजेंडा है। देश में हिंदुओं के बाद मुसलमान ही है, जो कुछ कर सकता है और उनकी जनसंख्या काफी है। लेकिन वो लोग मुसलमानों के पीछे हाथ धोकर पड़ गए है। अगर सरकार इसको रोकना नहीं चाहती तो इसकी भारी कीमत अदा करनी होगी।"


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