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सरकारी स्कूलों पर ध्यान देने के बजाय निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही सरकार: सैलजा

कांग्रेस महासचिव एवं सिरसा सीट से सांसद कुमारी सैलजा ने गुरुवार को आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार सरकारी स्कूलों पर ध्यान देने के बजाय निजी स्कूलों को प्रोत्साहित कर रही है

सरकारी स्कूलों पर ध्यान देने के बजाय निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही सरकार: सैलजा
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चंडीगढ़। कांग्रेस महासचिव एवं सिरसा सीट से सांसद कुमारी सैलजा ने गुरुवार को आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार सरकारी स्कूलों पर ध्यान देने के बजाय निजी स्कूलों को प्रोत्साहित कर रही है।

कुमारी सैलजा ने यहां जारी बयान में कहा कि निजी स्कूलों के हाथों में शिक्षा जाने से गरीब वर्ग के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि ‘चिराग योजना’ के नाम पर बच्चों को निजी स्कूलों के हवाले करने से बेहतर होगा कि उन बच्चों को वही वातावरण सरकारी स्कूलों में ही उपलब्ध करवाया जाए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों की संख्या 14303 जबकि निजी स्कूलों की संख्या 9216 है यानी प्रदेश में 60. 82 प्रतिशत स्कूल सरकारी है जबकि 39.18 प्रतिशत स्कूल निजी हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या 2146888 है जबकि निजी स्कूलों में यह संख्या 3153075 है। यानी 40.51 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में और 59.49 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की संख्या अधिक होने के बावजूद ज्यादा बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं, यानी अभिभावक मानते हैं कि उनके बच्चों को सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा नहीं मिल सकती।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार खुद मानती है कि अंबाला, सिरसा, फतेहाबाद और नूंह जिलों में शिक्षा को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन सरकार मानती है, पर उस दिशा में कोई काम नहीं करती।

सांसद ने ‘चिराग योजना’ की आलोचना करते हुए कहा कि यह योजना उन बच्चों के लिए शुरू की गई है जो निजी स्कूल में पढ़ना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह निजी स्कूल की फीस भरने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की यह योजना सीधे तौर पर निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही है और उन्हें प्रोत्साहित कर रही है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार जो धनराशि चिराग योजना पर खर्च करना चाहती है, उसी राशि से सरकारी स्कूलों की व्यवस्था को सुधार सकती है, अगर सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा मिलेगी तो बच्चे निजी स्कूलों की ओर क्यों रुख करेंगे।



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