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काम बोलता है तो कांग्रेस की गोद में बैठे क्यों ! -निर्मला सीतारमण

यदि अखिलेश यादव का काम बोलता है, पांच साल सपा की सरकार चली और सुशासन से चली तो आज कांग्रेस की गोद में बैठने की जरूरत क्यों पड़ गई

काम बोलता है तो कांग्रेस की गोद में बैठे क्यों ! -निर्मला सीतारमण
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लखनऊ, 7 फरवरी। समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर सवालिया निशान उठाते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि काम बोलता है। यदि उनका काम बोलता है, पांच साल सपा की सरकार चली और सुशासन से चली तो आज कांग्रेस की गोद में बैठने की जरूरत क्यों पड़ गई।

उन्होंने राहुल गांधी और अखिलेश यादव की ताजा दोस्ती पर चुटकी लेते हुए कहा कि जैसे राहुल गांधी अक्सर चुनाव के बाद छुटिटयां मनाने विदेश चले जाते हैं, उसी तरह वह अपने नए दोस्त अखिलेश यादव को लेकर चुनाव के बाद छुट्टियां मनाने चले जाएंगे।

उन्होंने राहुल के बारे में कहा कि जो लोग मेक इन मेरठ, मेक इन मुरादाबाद कहते हैं, उन्होंने अपनी केंद्र की सरकार में ऐसा क्यों नहीं किया। राहुल गांधी इंडिया में पिकनिक मनाने आते हैं। चुनावों के शुरू होने से पहले विदेशों में छुट्टी पर रहते हैं। चुनाव बाद भी छुट्टी पर चले जाते हैं।

उन्होंने कहा,

"राहुल गांधी सिर्फ बोलते हैं। वो तो बोलते थे कि मैं भ्रष्टाचार का डाटा दूंगा, कहां है वो डाटा? अब गठबंधन हो गया है तो अखिलेश यादव को साथ लेकर जाएंगे। इनसे जनता को कोई फायदा नहीं है। ये सिर्फ अपनी पार्टी और परिवार के लिए सोचते हैं।"

इस दौरान जब उनसे भाजपा सांसद गिरिराज सिंह के राम मंदिर पर दिए बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राम मंदिर अगर अयोध्या में नहीं बनेगा तो क्या मलेशिया में बनेगा? राम का जन्म अयोध्या में हुआ है तो वहीं मंदिर भी बनेगा।

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने कहा,

"प्रदेश में पहले से ही बदहाल उद्योग बदलते वक्त के साथ ना तो खुद में तकनीकी उन्नयन ला सके और ना ही उद्योग जगत की इस परेशानी को दूर करने के लिए अखिलेश सरकार की ओर से कोई प्रयास धरातल पर हुआ। व्यापारियों की दिनदहाड़े हत्याओं ने पूरे प्रदेश के वातावरण को भयग्रस्त बना दिया है।"

उन्होंने कहा,

"पूरब का मैनचेस्टर कहलाने वाले कानपुर की टेक्सटाइल मिलों की बदहाली का कारण सपा-बसपा का शासन ही है। इसी उदासीनता के चलते किसी भी छोटे-बड़े औद्योगिक घराने ने उत्तर प्रदेश की ओर रुख नहीं किया। छोटे छोटे रोजगारों के लिए भी युवाओं को पलायन करने के लिए विवश होना पड़ा।"

सीतारमण ने कहा कि अखिलेश सरकार की नीयत और नीतियों के कारण पांच वर्षो में प्रदेश में मात्र 33456.39 करोड़ रुपये निवेश हुआ जो पूर्व सरकार की तुलना में 42 प्रतिशत कम है।


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