आम आदमी पर गरम व माननीयों पर नरम जीडीए
माननीयों को लेकर सरकार और शासन का मिजाज हमेशा नरम ही नजर आता है

गाजियाबाद। माननीयों को लेकर सरकार और शासन का मिजाज हमेशा नरम ही नजर आता है। लेकिन जब बात आम जनता की आती है तो अफसरों को अनुशासन याद आने लगता है। जीडीए का मिजाज भी कुछ ऐसा ही है जो आम आदमी पर तो चाबूक चलाने में गुरेज नहीं करती मगर बात जब माननीय की हो उसका मौनव्रत शुरू हो जाता है।
प्राधिकरण ने पिछले दिनों विभिन्न योजनाओं के तहत डिफ्लॉटरों की सूची जारी की। नंदग्राम, मधुबन बापूधाम, शास्त्री नगर व प्रताप विहार को मिलाकर 774 लोगों की सूची जारी की गई थी।
इस सूची में उन लोगों का नाम शामिल था जो किसी भी कारण आबंटित सम्पत्ति का बकाया नहीं जमा करा सकें हैं। इसमें सबसे ज्यादा बकायेदार मधुबन बापूधाम के थे जहां के 580 आबंटियों का नाम इस सूची में शामिल है। जीडीए के इस विज्ञापन में आबंटियों को निर्धारित समयानुसार धन न जमा करने की सजा के तौर पर आबंटन रद्द करने की चेतावनी जारी की गई है।
अचरज की बात है है कि उसी मधुबन बापूधाम में 22 विधायकों ने भू-खंड आरक्षित होने के बाद भी कोई राशि नही जमा कराई है। बावजूद इसके जीडीए ने इस संबध में कोई सूची जारी नही की।
प्लॉट मिलने के बाद चुप लगा बैठे 22 विधायक
मधुबन बापू धाम योजना में कुल आरक्षित प्लॉटों की संख्या 280 है जिसमें से विशेष आबंटित भूखंड़ 254 हैं। यह भूखंड विधायकों को दिए गए हैं। जिसमें 22 विधायकों ने प्लॉट आरक्षित होने के बाद अभी तक कोई भी फूटी कोड़ी भी नहीं जमा कराई है।
इन विधायकों में अनिल कुमार दोहरे, सुधीर कुमार, दाऊद अहमद, आलोक कुमार शाक्य, अब्दुल वारिस खान, अशोक कुमार सिंह, राजेश त्रिपाठी, जमीउल्लाह खान, डा. वाईडी सिंह, भगवान दास, राकेश बाबू, जासमीर अंसारी, अवधेश प्रसाद, अरविन्द गिरी, इरशाद खान, दशरथ प्रसाद चौहान, सुरेश्वर सिंह, सुन्दर लाल लोधी, अंगद यादव, भोला पासवान, अशोक धवन और अहमद हसन शामिल हैं। इन सभी को पिछली सरकारों में यह भूखंड हासिल हुए थे।
28 नए आवेदन आए
रियल इस्टेट के मामले में गाजियाबाद पहले से ही काफी मशहूर रहा है। इसकी एक झलक जीडीए में भी देखने को मिलती है। केवल 54 विधायकों ने ही अब तक अपने प्लॉटों की रजिस्ट्री करवाई है, इसके बावजूद जीडीए को फिर से भूंखड़ों के संबध में विधायकों की ओर से 28 नए आवेदन प्राप्त हुए हैं।


