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सामाजिक बुराईयों और सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए : सक्सेना

वर्तमान समाज में उन सभी वर्गों को सामाजिक व्यवस्था और सरकार की योजनाओं में हाशिये में डाल दिया जाता है

सामाजिक बुराईयों और सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए : सक्सेना
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रायपुर। वर्तमान समाज में उन सभी वर्गों को सामाजिक व्यवस्था और सरकार की योजनाओं में हाशिये में डाल दिया जाता है, जिन्हें सरकारें सामाजिक उत्पादन में योगदान देने में असमर्थ समझती हैं। देश के बच्चे, महिलाएं और वरिष्ठ जन सामाजिक व्यवस्था में तथा सरकार की योजनाओं में उसी तरह हाशिये पर पड़े वर्गों में आते हैं।

उपरोक्त उद्गार ऑल इंडिया रिटायर्ड इंश्योरेंस एम्पलाईज फेडरेशन के अध्यक्ष एसएस सक्सेना ने छत्तीसगढ़ रिटायर्ड इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के सातवें वार्षिक सम्मलेन का उद्घाटन करते हुए शनिवार को हॉटल लाल बाग़ इन में प्रगट किए।

उन्होंने कहा कि जीवन बीमा क्षेत्र के सेवानिवृत अधिकारियों एवं कर्मचारियों का ही नहीं बल्कि सभी सार्वजनिक क्षेत्रों के सेवानिवृत अधिकारियों और कर्मचारयों का बहुत बड़ा समूह देश में है जो इस सामाजिक व्यवस्था और सरकार के द्वारा अनदेखा करने से हताश है। उसे संगठित रूप में आगे आकर सामाजिक बुराईयों और सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

समाज के अन्दर पारिवारिक ताने-बाने में आ रहे बदलाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में पारिवारिक इकाईयां निरंतर छोटी होती जा रही हैं और बच्चों के रोजगार की तलाश में या नौकरियों के चलते दूर चले जाने के बाद वृद्ध पति-पत्नी या कभी दोनों में से कोई एक अकेले रह जाता है और कालान्तर में उसे अनेक कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है। इसलिए समाज के इस हिस्से को संगठित होना और अपने लिए संघर्ष करना बहुत जरुरी है।

ज्ञातव्य है कि एस एस सक्सेना 1996 से 1998 के मध्य रायपुर मंडल में वरिष्ठ मंडल प्रबंधक भी रह चुके हैं। वार्षिक सम्मलेन को जबलपुर से आये मध्य क्षेत्र के अध्यक्ष पुलकित दुबे ने भी संबोधित किया। वार्षिक सम्मलेन में प्रस्तुत महासचिव की रपट पर हुई बहस का समापन करते हुए अरुण कान्त शुक्ला ने कहा कि हम हमारे संगठन छत्तीसगढ़ रिटायर्ड इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन को पिछले।

वर्षों में बहुत हद तक ऐसे ही एक सामाजिक संगठन का रूप दे पाए हैं जो केवल अपने हितों के लिए नहीं बल्कि सीमित रूप में ही सही पर वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों और सामाजिक बुराईयों के खिलाफ भी आवाज उठाता है।
सम्मलेन में हुए वार्षिक चुनावों में 16 सदस्यीय कार्यकारिणी का चुनाव हुआ जिसमें एनपी नामदेव अध्यक्ष, अरुण कान्त शुक्ला महासचिव तथा टीआर वर्मा कोषाध्यक्ष तथा कार्यकारी सचिव चुने गए।


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