मशाल रैली : जिला मुख्यालयों में गूंजा कर्मचारियों का नारा ‘आर या पार-नियमित करें सरकार’
अनियमित कर्मचारियों ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में निकाली मशाल रैली

रायपुर। छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंध के आव्हान पर प्रदेश के सभी जिलों में रविवार संध्या 6 बजे सूर्यास्त के बाद विशाल मशाल रैली का आयोजन किया गया। रैली में शामिल अनियमित कर्मचारियों में व्यापक जोश व सरकार के प्रति आक्रोष व्याप्त था। क्योंकि कोरोना संक्रमण समाप्ति के बाद सरकार द्वारा समस्त विकास के कार्य, किसानों, व्यापारियों, राजनेताओं के कार्यो में करोड़ों के बजट आबंटन कर कार्य कराया जा रहा है, किंतु प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों को वर्तमान् में प्राप्त हो रहे मानदेय में 30 प्रतिशत् की वृद्वि मात्र से नियमितिकरण हो सकता है। सरकार के वादा खिलाफी व जन धोषणा पत्र के पालन न होने से अनियमित कर्मचारी रविवार 11 जुलाई को संध्या 6 बजे सभी जिलों में मशाल रैली निकाल कर सरकार की इच्छा शक्ति की कमी की ओर ध्यान आकृष्ट किया। राजधानी बूढ़ातालाब में छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध के प्रांताध्यक्ष विजय कुमार झा ने आंदोलन का समर्थन करते हुए सभा को संबोधित किया। आंदोलनकारियों में एक ही नारा गुंजायमान् था, ‘‘आर या पाार-नियमित करें सरकार।
संध के प्रांताध्यक्ष विजय कुमार झा ने अनियमित कर्मचरियों को प्रदेश के विकास के संवाहक व पूर्णत: छत्तीसगढिय़ा नवजवान होने के नाते वे प्रदेश के भविष्य है, तथा प्रदेश में कार्यरत् कार्यपालिक कर्मचारी संगठनों की अगली पीढ़ी है। कोरोना काल में अनियमित कर्मचारियों को केन्द्र व राज्य सरकार ने ‘‘नरो वा कुंजरों‘‘ की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदेश में हजारों अनियमित कर्मचारी, उनके परिजन, रिश्तेदार, दिवंगत हो गए है। जब राज्य सरकार व केन्द्र सरकार ने नियमित कर्मचारियों को कोई अनुदान, आर्थिक सहायता अथवा विशेष अनुकंपा नियुक्ति प्रदान नहीं की है, तब अनियमित कर्मचारियों को ऐसा लाभ मिलेगा यह दिवास्वप्न साबित हो रहा है। अन्य सुविधाएं तो दूर मृत्यु उपरंात अंतिम संस्कार हेतु मृत्यु उपादान से भी वंचित होना पड़ा है।
प्रदेश में कोरोना महामारी के संबंध में आर्थिक लाभ व समाजिक सम्मान् से अनियमित कर्मचारियों को वंचित रखने वाली सराकर ने कोरोना डयूटी में अग्रिम पंक्ति में इनका उपयोग कर कोरोना संक्रमण में सेवाएं ली है। यह छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य है कि ‘‘एक मुंह है, एक समय में हंसा लो या रो लो‘‘ दोनो काम एक साथ एक समय में असंभव है। श्री झा ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार नियमितिकरण न करने की दोषी है। किंतु नियमित कर्मचारी जैसा काम कराने में पीछे भी नहीं है। ऐसी स्थिति में मशाल रैली और भी अधिक महत्वपूर्ण व सरकार का ध्यान आकृष्ट करने हेतु आंदोलन का एक गांधीवादी तरीका है। प्रदेश के सभी जिलों में तृतीय वर्ग कर्मचारी संध के पदाधिकारियों ने आंदोलन का समर्थन कर अपनी सहभागिता निभाई।


