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संतों ने राम मंदिर के लिए सरकार से की कानून बनाने की मांग

अयोध्या में रामजन्म भूमि पर भव्य राममंदिर के निर्माण के लिए आंदोलनरत संतों एवं धर्माचार्यों ने सरकार से इस मामले में तुरंत कानून बनाकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने की मांग की है

संतों ने राम मंदिर के लिए सरकार से की कानून बनाने की मांग
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नई दिल्ली। अयोध्या में रामजन्म भूमि पर भव्य राममंदिर के निर्माण के लिए आंदोलनरत संतों एवं धर्माचार्यों ने सरकार से इस मामले में तुरंत कानून बनाकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने की मांग की है अौर इसी माह से देशभर में इस मुद्दे को लेकर जनजागरण अभियान चलाने की घोषणा की है।

विश्व हिन्दू परिषद के तत्वाधान में देश के बड़े साधु संताें एवं धर्माचार्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट की और उनसे अनुरोध किया कि वह सरकार को कहें कि अब कानून बनाकर रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करें। उन्होंने कहा कि 1950 से न्यायपालिका में यह मामला लंबित है और विरोधी पक्ष मूल मुकदमे की सुनवाई टालने के लिए हर प्रकार की चालें चलते आये हैं। अब 29 अक्टूबर की तारीख दी गयी है। आगे क्या होगा, कुछ निश्चित नहीं है।

विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार और जगद्गुरू रामानंदाचार्य श्री हंसदेवाचार्य जी महाराज और महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। श्री कुमार ने कहा कि विहिप के मुख्यालय में संतों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया है कि रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर के निर्माण के लिए जारी संघर्ष के इस निर्णायक दौर में अनिश्चित समय तक न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा नहीं की जा सकती है।

उन्होंने बताया कि प्रस्ताव में कहा गया है कि इसी माह से देश के सभी राज्यों में वहां के सभी सामाजिक धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि राज्यपालों से मिलें और रामभक्तों की भावनाओं के अनुरूप सरकार से मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने की मांग करे। प्रस्ताव के अनुसार नवंबर में सभी संसदीय क्षेत्रों में विशाल जनसभाएं आयोजित की जाएंगी। वहां की जनता बड़े प्रतिनिधि मंडल के रूप में सांसदों से मिलेगी और संसद में कानून बना कर राममंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करने का आग्रह करेगी, जबकि दिसंबर में बाबरी ढांचा ढहाये जाने के दिन यानी गीता जयंती (इस वर्ष 18 दिसंबर) के अवसर पर एक सप्ताह तक मंदिर, मठ, गुरुद्वारा आदि आस्था के स्थानों पर अनुष्ठान किया जाएगा।

श्री कुमार ने कहा कि अगर जनवरी तक कोई समाधान नहीं निकला तो प्रयास के कुंभ में 30 जनवरी को होने वाली धर्मसंसद में इस विषय को रखा जाएगा और वहां से निर्णय कराया जाएगा। उन्होंने हालांकि आशा व्यक्त की कि वर्ष 2018 का सूर्यास्त होने से पहले कोई रास्ता अवश्य निकल आएगा।

संतों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति में पूर्व सांसद रामविलास वेदांती, चिदानंद पुरी, स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी अखिलेश्वरानंद, स्वामी विश्वेशरानंद, स्वामी रामेश्वरदास श्रीवैष्णव जी महाराज, स्वामी परमात्मानंद, स्वामी राघवाचार्य जी महाराज शामिल हुए।


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