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किराये के मकान में दम घुट रहे हैं नौनिहालों के

 छुरा विकासखंड के वनांचल ग्रामों में विकास कार्य सिर्फ शासन की फाईलों में सिमट कर रह गया हैं

किराये के मकान में दम घुट रहे हैं नौनिहालों के
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राजिम। छुरा विकासखंड के वनांचल ग्रामों में विकास कार्य सिर्फ शासन की फाईलों में सिमट कर रह गया हैं। विकास कार्य की पोल खोलने वाला एक मामला ग्राम पंचायत बिन्नी बाहरा के आश्रित ग्राम कुडेंमा मे आगंनबाडी भवन जर्जर हो जाने के कारण लगभग 20 मासूम बच्चें एक निजी किराये के मकान में 10 बाई 10 के कमरे में जानवरों की तरह ठूस कर पढाई-लिखाई करवाई जा रही हैं।

वहीं जहां षासन प्रषासन के द्वारा आदिवासी क्षेत्रों के विकास की गाथा गाई जाती हैं। लेकिन जमींनी स्थल पर जाकर देखने पर पता चलता है कि आज भी वे जीवन के लिए आवष्यक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। लगभग कुडेंमा में तीन वर्शो से आगंनबाडी केन्द्र जर्जर अवस्था में पडा है और सरकारी फाईल में नये भवन बनने के लिए इधर-उधर भटक रहा हैं। वहीं आगंनबाडी सहायिका संतोशी बाई ध्रुव से चर्चा करने पर कहा कि इस छोटे से किराये के कमरे में आगंनबाडी केन्द्र संचालित करने मे अनेक कठनाईयों का सामना कर पड रहा है क्योकि न तो भवन में बिजली, पानी और न ही षौचालय की सुविधाओ का अभाव हैं। जिसके कारण बच्चों को पढाई लिखाई करवाने एवं पोशक आहार देने में भी डर लगता है क्योकि बाहर में खाना बनाने के कारण कुछ भी कीडे मकोडे गिरने की संभावना बनी रहती है जिसके कारण मासूम बच्चों की जान खतरे में रहती हैं।

ग्राम पंचायत के सरपंच चेतन ठाकुर ने कहा कि आगंनबाडी भवन की समस्या को क्षेत्र भ्रमण के दौरान लगभग एक वर्श पूर्व क्षेत्र के विधायक संतोश उपाध्याय के सामने रखा गया तो उन्होने 8 लाख रूपये की लागत से नये आगंनबाडी भवन बनाने की घोशणा की थीं लेकिन उसका आज तक कोई अतपता नहीं हैं। इस मामले को लेकर कई बार अधिकारियों के चक्कर काट चुके हैं। लेकिन उनके द्वारा हमेषा गोल-मोल जवाब दिया जाता हैं। वहीं मौका स्थल पर जर्जर आगंनबाडी भवन खडा हुआ है जो किसी भी समय ढह सकता है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में षासन-प्रषासन के द्वारा विकास कार्यो का गुण-गान किया जाता हैं लेकिन इस विकास कार्य को क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी परिवार ही जानते हैं। आदिवासी ग्रामीणों से चर्चा करने पर कहा कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि वोट लेने के लिए अनेको लुभावने वादे करते है लेकिन चुनाव जितने के बाद उनके दर्षन तक नहीं होते हैं।

पुराने आगंनबाडी के जर्जर होने से किराये के कमरे में संचालित आगंनबाडी में महज षासन की औपचारिकता मात्र पूरी करने से ग्रामीणो में खासा आक्रोष व्याप्त हैं। ग्रामीणों ने षासन प्रषासन की ध्यान आकृश्टि कर त्वरित कार्यवाही की मांग किये है उक्त आषय की जानकारी लिये जाने पर पुनीता कसार महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने मामले को संज्ञायन में लाये जाने पर जर्जर आगंनबाडी को डिसमेंटल कर नये आगंनबाडी भवन बनाने षासन को प्रस्ताव भेजने की बात कहीं।


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