मोदी को टक्कर देने के लिए राहुल की 'बुद्धिजीवी' रणनीति
2019 लोकसभा चुनाव में बुद्धिजीवियों की चुप्पी जहां पीएम मोदी की कमजोरी बनी हुई है, तो राहुल गांधी ने इसी कमजोरी को अपना हथियार बना लिया है

नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव में बुद्धिजीवियों की चुप्पी जहां पीएम मोदी की कमजोरी बनी हुई है, तो राहुल गांधी ने इसी कमजोरी को अपना हथियार बना लिया है।
चुनाव में कांग्रेस को बुद्धिजीवियों का साथ मिले। इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष बुधवार को मुस्लिम बुद्धिजीवियों उसे मुलाकात करेंगे। इस संवाद के जरिए राहुल एक तीर से दो निशाने लगाने की फिराक में हैं।
कांग्रेस पर हमेशा मुसलमानों की तुष्टीकरण का आरोप लगाता रहा है इसीलिए 2014 में पार्टी ने इनसे दूरी बना ली थी जिसकी कीमत उसे चुकानी भी पड़ी थी। लेकिन अब एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष इन्हें अपनी ताकत बनाने की तैयारी में हैं। इसीलिए वो बुधवार को मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों से मुलाकात करने वाले हैं.।
कहा जा रहा है कि इस संवाद में मुस्लिम समाज के हर वर्ग के नुमाइंदों को बुलाया जा रहा है। इसमें सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग भी शामिल हैं प्रोफेसर, नामचीन डॉक्टर, एनजीओ चलाने वालों से लेकर फिल्म जगत के प्रमुख लोगों को निमंत्रण भेजा गया है। राउंड टेबल की इस चर्चा में तकरीबन बीस लोगों के शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
हालांकि, गेस्ट लिस्ट को काफी सीक्रेट रखा जा रहा है। लेकिन संभावना है कि जावेद अख्तर, सैय्यदा हमीद जैसी शख्सियत इस बैठक में होंगी, जिसमे राहुल गांधी मुस्लिम समाज की परेशानियों से रूबरू होंगे। बुद्धिजीवी वर्ग से राहुल गांधी की इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
माना जा रहा है कि इस संवाद के जरिए जहां वो मुस्लिम समाज के लोगों को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि कांग्रेस मॉइनॉरिटी की लड़ाई लड़ती रहेगी। तो वहीं मोदी सरकार से बुद्धिजीवियों की नाराजगी को भी वो अपना हथियार बनाने की तैयारी में हैं।


