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राहुल गांधी की सफलता और विफलता का मापदंड अमेठी में दिखता है: स्मृति

 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज आरोप लगाया कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अपने भाषण में देश के नागरिकों का अपमान किया है

राहुल गांधी की सफलता और विफलता का मापदंड अमेठी में दिखता है: स्मृति
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नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज आरोप लगाया कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अपने भाषण में देश के नागरिकों का अपमान किया है और कहा कि उनके इस बयान पर कांग्रेस को आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि उनकी पार्टी अहंकार में आ गयी थी। गांधी ने कल देर रात अपने संबोधन में विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार की आलोचना की थी।

उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें 2012 में अहसास हो गया था कि कांग्रेस अहंकारग्रस्त हो गयी है। भाजपा की वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने यहां पार्टी मुख्यालय पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें गांधी का अंतर्राष्ट्रीय उद्बोधन सुनने को मिला जिसमें उन्होंने कुछ ऐसी बातें कही हैं जिनसे देश के लोगों का अपमान हुआ है। श्रीमती ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी ने यह भी स्वीकार किया है कि उन्हें 2012 में अहसास हो गया था कि कांग्रेस पार्टी अहंकारी हो रही है। राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कांंग्रेस अध्यक्ष पर तंज कसा है। वर्ष 2012 में श्रीमती सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थीं और श्री गांधी महासचिव थे। यह बहुत बड़ी राजनीतिक स्वीकारोक्ति है।

गांधी ने कांग्रेस पार्टी में जिस अहंकार का संकेत दिया है, उस पर उनकी पार्टी को चिंतन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि श्री गांधी की सफलता और विफलता का मापदंड अमेठी में देखा जाना चाहिए । गांधी ने अपने इलाके में कितना विकास किया, उसी पर चर्चा कर लेते तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाता। भाजपा नेता ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में जीएसटी की विफलता का कारण यह था कि उसने किसी पार्टी या राज्य सरकार का विश्वास हासिल करने का प्रयास नहीं किया। अगर एेसा हुअा होता तो जीएसटी कांग्रेस के कार्यकाल में ही आ गया होता। उन्होंने कहा, “अगर राहुल गांधी जी स्वयं सुनने के आदी होते तो जीएसटी यूपीए सरकार में ही लागू हो जाता।”

जीएसटी और नोटबंदी पर उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने गांधी को चुनौती दी कि वह संसद के अगले सत्र में या फिर किसी अन्य मंच पर भाजपा के किसी भी कार्यकर्ता के साथ बहस कर लें बशर्ते वह लिखा हुआ कागज़ ना लाएं। उन्होंने कहा कि इसके उलट प्रधानमंत्री ने सभी दलों के साथ अच्छा राजनीतिक संवाद कायम करके हर राज्य एवं दल की सहमति से इसे लागू किया। यह सहयोगी संघवाद का उदाहरण है।


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