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राहुल गांधी का बयान महाराष्ट्र की जनता का अपमान : रामदास आठवले

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के अध्यक्ष रामदास आठवले ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विदेश में की गई उनकी टिप्पणियों को लेकर तीखा हमला बोला है

राहुल गांधी का बयान महाराष्ट्र की जनता का अपमान : रामदास आठवले
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मुंबई। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के अध्यक्ष रामदास आठवले ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विदेश में की गई उनकी टिप्पणियों को लेकर तीखा हमला बोला है।

रामदास आठवले ने राहुल गांधी की ओर से चुनाव आयोग पर की गई टिप्पणियों को महाराष्ट्र की जनता का अपमान और देश के खिलाफ करार दिया। साथ ही, उन्होंने न्यायपालिका और संसद के बीच हाल के विवादों पर भी अपनी राय रखी।

आठवले ने राहुल गांधी की विदेश में की गई टिप्पणियों पर ऐतराज जताते हुए कहा, "राहुल गांधी जब भारत के बाहर जाते हैं, तब ऐसी गलत टिप्पणियां करते रहते हैं। यह उनकी आदत है, हम उनकी इस आदत से परिचित हैं। महाराष्ट्र के चुनाव को लेकर ऐसी टिप्पणी करना ठीक नहीं। यह महाराष्ट्र की जनता का अपमान है। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराए और जनता ने अपने वोट से सत्तारूढ़ गठबंधन को भारी समर्थन दिया।"

आठवले ने आगे कहा, "चुनाव आयोग को दोषी ठहराना गलत है। महाराष्ट्र की जनता ने वोटिंग की, उसका सम्मान करना राहुल गांधी की जिम्मेदारी है। ईवीएम तो उनकी सरकार लाई थी, फिर भी वे चुनाव आयोग को टारगेट करते हैं। इसमें चुनाव आयोग का कोई दोष नहीं। महाराष्ट्र की जनता ने हमें इतनी बड़ी सफलता दी है। ऐसे में विदेशी मंचों पर जाकर राहुल गांधी की ओर से ऐसी टिप्पणी करना देश के खिलाफ है। "

न्यायपालिका और संसद के बीच हाल के तनाव पर अपनी राय रखते हुए आठवले ने कहा कि न्यायपालिका का सम्मान करना सभी का कर्तव्य है और उसके आदेशों का पालन होना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि न्यायपालिका को यह ध्यान रखना चाहिए कि संसद सर्वोच्च है। उन्होंने कहा, "संसद जो कानून बनाती है, उसे लागू करना और उसके अनुसार निर्देश देना न्यायपालिका का काम है। संसद द्वारा पारित कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट का बार-बार टिप्पणी करना ठीक नहीं।"

आठवले ने संसद और सुप्रीम कोर्ट के बीच पैदा हुए विवाद का जिक्र करते हुए कहा, "इस तरह की स्थिति से विवाद पैदा हुआ था। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट को भी संसद का सम्मान करना चाहिए।"


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